जब ट्रैफिक कांस्टेबल पंकज यादव ने अपनी जान जोखिम में डालकर बेकाबू ट्रक को रोक लिया

जब ट्रैफिक कांस्टेबल पंकज यादव ने अपनी जान जोखिम में डालकर बेकाबू ट्रक को रोक लिया
इंदौर में एक बड़ा हादसा टल गया जब ट्रैफिक कांस्टेबल पंकज यादव ने अपनी जान जोखिम में डालकर बेकाबू ट्रक को रोक लिया।कांस्टेबल यादव तुरंत एक बाइक पर सवार होकर ट्रक के पीछे दौड़े। उन्होंने राहगीरों और अन्य बाइकर्स को आगे का रास्ता साफ़ करने और लोगों को सतर्क करने के निर्देश दिए।
ट्रक जैसे ही थोड़ा धीमा हुआ (एक बाइक उसके नीचे फंस जाने से), यादव ने मौके का फायदा उठाया। एक राहगीर की मदद से उन्होंने ट्रक पर चढ़कर ड्राइवर का दरवाज़ा खोला और उसे बाहर खींचकर ट्रक रोकने में सफल रहे।
प्रत्यक्षदर्शियों ने यादव की बहादुरी और त्वरित सोच की जमकर सराहना की। “अगर वो ना होते तो सिग्नल पर सैकड़ों लोग जान गंवा सकते थे,” एक चश्मदीद ने कहा। यह घटना उस समय आई है जब पुलिस को लेकर आलोचनाएँ अधिक होती हैं, लेकिन यह साबित करती है कि कई अधिकारी निस्वार्थ भाव से जनता की सुरक्षा के लिए डटे रहते हैं।।।कल से लगातार ट्रक हादसों की ख़बरें सुनकर दिल भारी है। कई मासूम ज़िंदगियाँ छिन गईं… घरों में सन्नाटा और आँसुओं का समंदर छोड़ गई।।
पर हर अंधेरे में कुछ रोशनियाँ भी होती हैं। इस बार भी कुछ लोग देवदूत बनकर सामने आए—किसी ने दौड़कर घायल को उठाया, किसी ने अपनी जान दाँव पर लगाकर औरों को बचा लिया। यही वो पल हैं जो हमें याद दिलाते हैं कि इंसानियत अभी ज़िंदा है। अगर आज इन नायकों की कहानियाँ हम तक पहुँचीं, तो कल वही कहानियाँ किसी और को मुश्किल घड़ी में मदद के लिए खड़े होने की ताक़त देंगी।हादसे दर्द देते हैं, लेकिन इंसानियत ज़ख़्मों पर मरहम भी रखती है।
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