स्कूल-कॉलेज के छात्र बन रहे हैं नशे के शिकार, सैकड़ों परिवारों की उजड़ रही दुनिया

सुनियोजित साज़िश के चलते नवयुवकों को ड्रग्स की लत का बनाया जा रहा शिकार, अब तक कई घर हो चुके हैं बर्बाद…!
जिले के पुलिस कप्तान की सख्ती से अंकुश की उम्मीद, लेकिन रोकना नामुमकिन आने वाली पीढ़ियों के लिए भारी पड़ेगा ‘ड्रग्स जिहाद ……?
मंदसौर। किसान आंदोलन, अफीम, डोडाचूरा की तस्करी के नाम से पहचाना जाने वाला मंदसौर जिला आने वाले कुछ वर्षों में ड्रग्स तस्करी और ड्रग्स की लत में खोखले हो चुके युवाओं के कारण पहचाना जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। ग्रामीण अंचल, छोटे-छोटे कस्बों से लेकर बड़े शहरों के स्कूल और कॉलेजों में पढ़ने वाले नवयुवक वर्तमान में एमडी ड्रग्स के आदी होते जा रहे हैं या यूं कहें कि एक संगठित गिरोह युवाओं के भविष्य को बर्बाद करने के लिए एक सुनियोजित मुहिम चला रहा है, जिसमें पहले युवाओं को एमडी पीने की लत लगाई जाती है और जब वे इसके आदी हो जाते हैं तो उन्हें कुरियर बॉय बना दिया जाता है ताकि वे कुछ पैसा कमाकर अपनी लत पूरी कर सकें और ऐश, मौज, अय्याशी भी कर सकें। इसमें सबसे अधिक 18 से 25 वर्ष की आयु के युवाओं को टारगेट किया जाता है ताकि वे जल्दी इसकी गिरफ्त में आ जाएं। सरकारें, संगठनों और जनता का ध्यान वर्तमान में हिंदू-मुस्लिम, लव जिहाद, गौहत्या जैसे मुद्दों और उन पर बनने वाले कानूनों की ओर अधिक है, जिनका राजनीतिक लाभ भी उठाया जा रहा है, और जब तक वह इस ड्रग्स गिरोह की साजिश को समझ पाएंगे, तब तक कई युवा खोखले हो चुके होंगे और सैकड़ों परिवार बर्बाद हो चुके होंगे। मंदसौर के वर्तमान पुलिस अधीक्षक श्री अभिषेक आनंद ने ड्रग्स के फैलते नेटवर्क को रोकने के लिए न केवल मोर्चा संभाला है, बल्कि सख्त कार्रवाई के लिए जिलेभर के थानों को निर्देशित भी किया है इसी का परिणाम है पिछले कुछ ही समय एमडी ड्रग्स के खिलाफ दर्जनों कार्रवाइयां की जा चुकी हैं, जिनमें नशे की खेप के साथ तस्करों और नेटवर्क से जुड़े लोगों को गिरफ्तार किया गया है। श्री आनंद के नेतृत्व में हुई कार्यवाहियों ने यह तो स्पष्ट कर दिया है कि ड्रग्स के धंधे में लिप्त किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा,चाहे वह बेचने वाला हो, रखने वाला हो या उपयोग करने वाला — सभी को आरोपी बनाकर केस दर्ज किया जा रहा है। लेकिन सवाल फिर वही की क्या महज पुलिस कार्यवाही से जिले भर में पैर फसार चुका ड्रग्स का कारोबार रुक पाएगा..?
यह गिरोह इतनी तेजी से फैल रहा है कि अब सिर्फ पुलिस कार्रवाई से इसे रोक पाना संभव नहीं है, अब इसमें उन परिजनों की भी जिम्मेदारी बनती है जिनके बच्चे संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त हो सकते हैं, खासकर कोटा, इंदौर और अन्य शहरों में रहकर पढ़ाई करने वाले छात्रों हॉस्टलों में रहने वाले स्कूली छात्राओं पर विशेष निगरानी की आवश्यकता है कि वे किन लोगों के साथ रह रहे हैं और किन गतिविधियों में सम्मिलित हो रहे हैं, वरना यह ड्रग्स जिहाद आने वाली पीढ़ियों के लिए एक भयानक संकट बनकर उभरेगा।