मध्य प्रदेश के 6 शहरों की सड़कों पर इस साल दिसंबर तक दौड़ने लगेंगी 472 ई-बसें

मध्य प्रदेश के 6 शहरों की सड़कों पर इस साल दिसंबर तक दौड़ने लगेंगी 472 ई-बसें
भोपाल। प्रदेश की सड़कों पर इस साल दिसंबर तक 472 ई-बसें दौड़ने लगेंगी। इसको लेकर नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। भारत सरकार की ओर से मध्य प्रदेश को मिलने वाली 582 बसों में से 472 ई बसों का टेंडर किया गया था। यह ग्रीन सेल कंपनी को मिला है। कंपनी मप्र में 10 डिपो बनाएगी। साथ ही छह शहरों को ई-बसें भी उपलब्ध कराएगी। कंपनी को भारत सरकार 12 साल के लिए आपरेशनल एंड मेंटेनेंस कास्ट भी देगी। इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन और सागर के लिए आवंटित की गई बसों में से 472 बसें मिडी ई-बस (26 सीटर) और 110 मिनी ई-बस (21 सीटर) रहेंगी। ई-बसों का किराया नगर निगम द्वारा तय किया जाएगा। ई- बसों का संचालन जीसीसी (ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर) मॉडल पर होगा। इसमें संबंधित फर्म बस खरीदेगी और उसके ड्राइवर, कंडक्टर, मेंटेनेंस की व्यवस्था भी खुद करेगी। ट्रैफिक के हिसाब से ई-बसों का रूट और टाइम तय किया जाएगा। बसों में टिकटिंग के लिए नगर निगम अलग से एक एजेंसी तय करेगा। बस का किराया जिले की एसपीवी (स्पेशल पर्पज व्हीकल कमेटी) तय करेगी। इसके लिए आरटीओ से सलाह ली जाएगी।
प्रतिदिन 180 किलोमीटर चलेगी बसें-:
ई-बसों के संचालन के लिए भारत सरकार की तरफ से प्रति बस संचालन के लिए प्रति किमी 22 रुपये का भुगतान किया जाएगा, जबकि बाकी का भुगतान राज्य सरकार करेगी। आपरेटर कंपनी को प्रत्येक बस 58.14 रुपये प्रति किमी की दर से भुगतान किया जाएगा। प्रत्येक बस प्रति दिन न्यूनतम 180 किमी चलेगी। नई ई-बसों के लिए इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर में दो- दो बस डिपो बनाए जाएंगे। भोपाल में बैरागढ़ और कस्तूरबा नगर, इंदौर के नायता मुंडला और चंदन नगर बनाए जाएंगे। उज्जैन और सागर में एक-एक स्थान पर डिपो का निर्माण कराया जाएगा। इस पर 58 करोड़ रुपये व्यय होगा। 60 प्रतिशत केंद्र सरकार एवं 40 प्रतिशत राशि राज्य सरकार वहन करेगी।
चार्जिंग स्टेशन के लिए बिजली की व्यवस्था केंद्र सरकार के जिम्मे-:
डिपो के पास ई- बसों के लिए चार्जिंग स्टेशन भी बनाए जाएंगे। इंदौर, भोपाल और ग्वालियर में दो-दो चार्जिंग स्टेशन बनेंगे। उज्जैन, जबलपुर, सागर में एक-एक चार्जिंग स्टेशन होगा। इसके लिए 41 किमी लंबी हाई टेंशन लाइन बिछाई जाएगी। इस पर 60 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे। इसके लिए अलग से विद्युत सब स्टेशन बनाए जाएंगे।