सोयाबीन की फसल में पौध गलन एवं सड़न का नियंत्रण

सोयाबीन की फसल में पौध गलन एवं सड़न का नियंत्रण
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने लासुड़ावन, मुवाला, खजूरिया सारंग, अमलवाद, सेजपुरिया आदि गावों का भ्रमण कर पाया कि सोयाबीन की फसल के अंकुरण प्रभावित हो रहा है तथा कुछ बीज अंकुरण से पूर्व ही जमीन के अंदर ही सड़ने गए हैं एवं सोयाबीन के पौधे जमीन के नीचे वाले भाग में सड़न के कारण मर रहे हैं। इसका मुख्य कारण बुवाई के समय तथा बुवाई के पश्चात लगातार खेतों में अत्यधिक नमी की वजह से भूमि जनित हानिकारक फफूंद जिसमें मुख्यतः पिथियम, फायटोपथोरा एवं राएज़ोक्टोनिया का विकास तेज गति से हुआ और पौधे के अंकुरण को प्रभावित किया अतः किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि सोयाबीन की फसल पर पूर्व मिश्रित फफूंदनाशक मेटैलेक्सील 8 % + मेंकोजेब 64% WP की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर के फसलों पर छिड़काव करें ताकि रोग को फैलने से रोका जा सके। आवश्यकता पड़ने पर 10 से 15 दिन की अंतराल पर दोबारा छिड़काव करें अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि विस्तार अधिकारी से संपर्क करें।
मिर्च की फसल में थ्रिप्स कीट की निगरानी के लिए आसमानी रंग के चिपचिपे प्रपंच 5-10 प्रति बीधा की दर से लगावे एवं प्रकोप प्रारंभ होने पर नीम निर्मित कीटनाशी 45 एमएल या टोलफेनपाईरेड की 30 मि.ली. या ईमिडाक्लोप्रिड 17.8 % एसएल की की 5 मि.ली या लेम्बडा साईहेलोथ्रिन की 15 मात्रा मि.ली मात्रा को प्रति पम्प (15 लीटर) पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
मक्का की फसल में इल्ली नियन्त्रण के लिए स्पाईनिटोरम 11.7 प्रतिशत एससी की6 एमएल मात्रा या मेटाराइजियम एनिसोप्लाए की 100 ग्राम मात्रा प्रति पंप (20 लीटर पानी में) घोल बनाकर के छिडकाव करें तथा फेरोमोन टेªप एवं लाइट ट्रैप खेत में लगावे।
संतरे में कार्बेन्डाजिम 50 % WP की 2 ग्राम मात्रा या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% डबल्यूपी की 2.5 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी से छिड़काव करें। संक्रमित पेड़ों पर हर 10 से 15 दिनों में एक बार स्प्रे करें जब तक लक्षण समाप्त न हो जाएं।
(डॉ॰ गजेंद्र सिंह चुंडावत)
वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख कृषि विज्ञान केंद्र मंदसौर