मंदसौरमध्यप्रदेश

समाचार मध्यप्रदेश मंदसौर 31 मई 2025 शनिवार

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गौ सेवा से बढ़कर कोई सेवा नहीं है- श्री सुराणा

गौशाला में गायों को हरा चारा और गुड़ का आहार कराया गया

मन्दसौर। महावीर इंटरनेशनल मंदसौर के तत्वावधान में संस्था के पूर्व अध्यक्ष निर्मल चंदनबाला सुराना द्वारा उनकी वैवाहिक वर्षगांठ के उपलक्ष्य में गोशाला में गायों को दो हरा चारा और गुड़ का आहार कराया गया।
संस्था अध्यक्ष भागचंद खंडेलवाल ने बताया कि संस्था ने इस सत्र पहला जीव दया प्रोजेक्ट आयोजित किया। स्वागत उद्बोधन प्रदान करते हुए जॉन चेयरमैन राकेश जैन ने बताया महावीर इंटरनेशनल सदैव जीव दया के लिए कार्यक्रम आयोजित करता रहता है। पिछले वर्ष भी संस्था ने अनेक जीव दया प्रकल्प आयोजित किए थे।
इस अवसर पर लाभार्थी निर्मल सुराणा ने कहा यह आयोजन भगवान महावीर के शिक्षाओं के अनुरूप है, जो अहिंसा और जीवों के प्रति करुणा का संदेश देते हैं। उन्होंने बताया गौ सेवा से बढ़कर कोई सेवा नहीं है और आज अपने जीवन के खास अवसर पर सेवा कार्य करके मन को संतोष हुया। उन्होंने बताया कि मान्यता है कि बड़े से बड़ा कष्ट भी सिर्फ गौ माता की सेवा करने से दूर हो जाता है। प्रारंभ में लाभार्थी परिवार का स्वागत जॉन कोषाध्यक्ष संजय चौधरी, पूर्व अध्यक्ष गुणवान सिंह कोठारी, प्रोजेक्ट चेयरमैन दिलीप जैन और सुजान ओसवाल द्वारा माला पहनकर किया गया,आभार सचिव भावेश बक्शी ने माना। छायाकार प्रवक्ता प्रतीक माहेश्वरी ने किया। यह जानकारी इंटरनेशनल को डायरेक्टर सीए आयुष जैन ने दी।
इस अवसर पर उपाध्यक्ष अखिलेश धींग, सह सचिव यश चौधरी, कार्यकारिणी सदस्य अरविंद कुदार, अनिल खाबिया, विशाल चौधरी, अमन गर्ग, दिनेश जैन, विजय ओसवाल, नवीन चिंगावत, नीलेश कर्नावट, रत्नेश गर्ग, प्रवीण श्रीवास्तव, गौरव सुराना, राकेश सुराना उपस्थित थे।

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श्रीमती अनामिका जैन ने विक्षिप्त आश्रय गृह की स्थापना कर विक्षिप्त महिलाओं को आश्रय, चिकित्सा एवं पुर्नवास प्रदान किया

मंदसौर 30 मई 25/ संजीत जिला मंदसौर की रहने वाली श्रीमती अनामिका जैन ने अनामिका विक्षिप्त आश्रय गृह की स्थापना करके कई बेसहारा महिलाओं को आश्रय प्रदान किया है। श्रीमती अनामिका जैन द्वारा अनामिका जनकल्याण सेवा समिति विक्षिप्त आश्रय गृह की स्थापना 2018 में की। इनका आश्रयग्रह 500 र्क्‍वाटर रेवास देवड़ा रोड पर स्थिति है। जिसमें विक्षिप्त महिलाओं को आश्रय, चिकित्सा एवं पुर्नवास प्रदान किया जाता है। अब तक इनके द्वारा 42 महिलाओं को पुनर्वास प्रदान किया। वर्तमान में आश्रय गृह में 25 महिला निवासरत है।

मध्य प्रदेश का पहल ऐसा आश्रम है जो महिलाओं के लिए पुनर्वास का काम करता है। श्रीमती जैन ने अपने पिता के साथ सामाज सेवा का काम शुरू किया। इस कार्य में इनको पति का भी पूर्ण सहयोग मिला। इस कार्य में जुड़ने के लिए इन्होंने मास्टर ऑफ सोशल वर्क से पढ़ाई भी की। श्रीमती जैन 17-18 वर्षों से लगातार सामाजिक क्षेत्र में महिलाओं के लिए जनकल्याण के कार्य कर रही है।

आश्रय गृह स्थापित करने से पहले इन्होंने 7 वर्षों से निराश्रित विक्षिप्‍त महिलाओं की देखभाल की, जिसमें महिलाओं की देख-रेख कर उन महिलाओं को इंदौर, उज्जैन अनाथ आलय में भेजती थी, लेकिन कभी-कभी वहां पर अधिक संख्या होने के कारण अनाथालय उन महिलाओं को आश्रय देने से मना कर देता था। चुकीं निराश्रित विक्षिप्‍त महिलाओं को आसरा प्रदान करना बहुत जरूरी था, इस हेतु इन्होंने प्रशासन के सहयोग से शासकीय भवन में आश्रय ग्रह स्थापित किया। जिसमें महिलाओं को पुनर्वास प्रदान कर निराश्रित महिलाओं को पुन: उनके घर पहुंचाने का काम किया।

पुलिस विभाग द्वारा लाई गई महिलाओं को भी उनकी संस्था रखती है, उन्हें ठीक करती हैं एवं ठीक होने के बाद पुनर्वास का भी काम करती हैं। ऑनलाइन गुगल के माध्यम से उनके परिवार को ढुंढने का कार्य करती है।

निराश्रित विक्षिप्‍त महिलओं के साथ सभी तरह के त्यौहार हंसी खुशी मनाते हैं। उनको पूरी तरह से पारिवारिक वातावरण प्रदान किया जाता है। निराश्रित महिलाओं की याददाश्त पुनः आ सके इसके लिए खेल-खेल में अलग अलग गतिविधियां कराई जाती हैं।

इसके साथ ही श्रीमती जैन ने सा‍माजिक कार्य अंतर्गत महिलाओं को शराब छुड़वाना, कुष्ठ एवं गाडोलिया बस्ती में स्कूल का संचालन, विधवा एवं परित्यक्ता महिलाओं को प्रशिक्षण प्रदान कर उनको आत्मनिर्भर बनाने का काम भी किया है।

ये भविष्य में एक बड़ा पुनर्वास केंद्र स्थापित करना चाहये है, जहाँ महिलाओं को न सिर्फ चिकित्सा और आश्रय मिले, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए शिक्षा और रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे।

इनको राज्य सरकार ने रानी अवंति बाई राज्य स्तरीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया। यह पुरस्कार समाज में महिला अथवा बच्चों को उत्पीडन तथा उनके पुर्नवास में योगदान देने तथा बाल विवाह प्रथा जैसी सामाजिक कुरीति को रोकने में साहसिक कार्य करने वाले को राज्य सरकार द्वारा पुरूरकार प्रतिवर्ष दिया जाता है।

श्रीमती अनामिका जैन का कहना है कि, सभी महिलाए अपनी संवेदनशीलता और सहानुभूति को अपनी ताकत बनाएँ। समाज में बदलाव लाने की सबसे बड़ी शक्ति महिलाओं के पास है – बस जरूरत है आगे बढ़कर पहल करने की। अगर हम मिलकर एक-दूसरे का हाथ थामें और कमजोर तबकों को सहारा दें, तो संवेदनशील और समानता भरा समाज बना सकते हैं। सभी आत्मनिर्भर बनें, अन्य महिलाओं को सशक्त करें और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें।

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राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत विश्व महावारी स्वच्छता दिवस पर किशोरियों एवं महिलाओं को किया गया जागरूक

मंदसौर 30 मई 25/ स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत विश्व महावारी स्वच्छता दिवस पर किशोरियों एवं महिलाओं को किया। अपना घर बाल आश्रम एवं आंगनवाड़ी केंद्र पर माहवारी के विषय पर जानकारी दी गई जिसमें किशोरिया शामिल रही, जिसमें सभी किशोरियों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया इसके पश्चात माहवारी क्यों होती है और कब शुरू होती है, माहवारी स्वच्छता के बारे में बताया गया, सेनेटरी नेपकिन का उपयोग व इसे नष्ट करना ,सेनेटरी नेपकिन के फायदों के बारे में बताया गया,माहवारी पूर्ण लक्षणों पर चर्चा, किशोरावस्था पर चर्चा की एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के द्वारा भी किशोरियों को जानकारी दी गई ,पोषण हमारे लिए क्यों जरूरी है,और एवं उमंग स्वास्थ्य केंद्र से प्राप्त सेवाओं एवं टोल फ्री नंबर की जानकारी के बारे में चर्चा ,जस्ट अस्क चैट बोट ,खुलकर पूछो खुलकर जानो, साथ ही टेली मानस कार्यक्रम पर विस्तार पूर्वक चर्चा की गई एवं टेली मानस नंबर की जानकारी दी गई एवं महत्वपूर्ण टोल फ्री नंबर भी बताए गए। महिला हेल्प लाइन नंबर, पुलिस हेल्प लाइन नंबर,उमंग हेल्प लाइन नंबर ,सी एम हेल्प लाइन नंबर इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ कार्यक्रम के उद्देश्य को बताया।

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किशोर सेन देवड़ा मजदूर कल्याण समिति चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक नियुक्त

मन्दसौर। मजदूर कल्याण समिति मध्यप्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष करणसिंह परिहार ने समिति के प्रदेश प्रभारी मुकेश सोनी व प्रदेश उपाध्यक्ष गोवर्धनलाल हाड़ा की सहमति से समिति के चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक पद पर श्री किशोर सेन देवड़ा को नियुक्त किया है।
मजदूर कल्याण समिति के प्रदेश अध्यक्ष करणसिंह परिहार ने श्री किशोर सेन देवड़ा को नियुक्ति पत्र देते हुए कहा कि मजदूर कल्याण समिति के नियमों के अनुरूप कार्य करेंगे एवं मजदूरों के हित, कल्याण एवं उनको शासन की योजनाओं का लाभ दिलाने में सहयोग प्रदान करेंगे।
समिति के चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक पद पर श्री किशोर सेन देवड़ा की नियुक्ति पर इष्टमित्रों ने बधाई दी है।

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ऑपरेशन सिंदूर ने बढ़ाई सिंदूरी महेश्वरी साड़ी की डिमांड

सुश्री निर्मला भूरिया ने खरीदी सिंदूरी महेश्वरी साड़ी

मंदसौर 30 मई 25 / ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद पहली बार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भोपाल में आ रहे हैं। देवी अहिल्या बाई के 300 वें जन्मदिन पर होने वाले महिला सशक्तिकरण सम्मेलन में भाग लेने के लिये महिला और बाल विकास मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया ने खास तौर पर सिंदूरी रंग वाली महेश्वरी साड़ी खरीदी है। यही सिंदूरी साड़ी पहनकर सुश्री भूरिया प्रधानमंत्री के मुख्य आतिथ्य में हो रहे महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन में भाग लेंगी। भोपाल में मृगनयनी से महिला और बाल विकास विभाग की प्रभारी कमिश्नर निधि निवेदिता ने भी मंत्री के साथ महेश्वरी साड़ी खरीदी।

महेश्वरी साड़ी का महत्व…

देवी अहिल्या ने ढ़ाई सौ साल पहले महेश्वरी साड़ी बनवाना शुरू किया था। दरअसल ऑपरेशन सिंदूर में भारत की सफलता के बाद महेश्वरी सिंदूरी साड़ी का चलन फिर बढ़ने लगा है। भोपाल में प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की सभा में जाने के लिये मध्य प्रदेश की महिला बाल विकास मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया ने भी खास तौर से सिंदूरी रंग की महेश्वरी साड़ी खरीदी है। महेश्वरी साड़ी मध्य प्रदेश में महिला सशक्तिकरण का उदाहरण मानी जाती है। लोकमाता देवी अहिल्या ने ढ़ाई सौ साल पहले महेश्वर में सादगी और सुंदरता से भरी इन साड़ियों को बनवाना शुरू किया था। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को देवी अहिल्या के 300 वें जन्मदिन के मौके पर हो रहे कार्यक्रम में भाग लेने के लिये भोपाल आ रहे हैं।

मनपसंद सिंदूरी महेश्वरी साड़ी खरीदने के बाद महिला और बाल विकास मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया ने बताया कि महिला सशक्तिकरण के कार्यक्रम में दो लाख से ज्यादा महिलाएं शामिल होंगी। उन्होंने कहा कि वो खास तौर पर महेश्वरी साड़ी खरीदने इसलिये आई हैं क्योंकि ढाई सौ साल पहले देवी अहिल्या ने महेश्वरी साड़ियाँ बनवाना शुरू किया था। ये सौभाग्य की बात है कि लोकमाता अहिल्या देवी के 300 वें जन्मदिन पर देश के पीएम श्री नरेन्द्र भाई मोदी जी भोपाल आ रहे हैं। महेश्वर लोकमाता अहिल्या देवी की धार्मिक नगरी है। महेश्वरी में बुनकरों को बसाने का काम देवी अहिल्या बाई ने किया। रेशम औऱ सूती धागों से महेश्वरी साड़ी की अलग कला है। ये साड़ी फैशन से कभी बाहर नहीं जाती। बुनाई देखिये हाथ से बुनकर बनाते हैं। एक लाख से ऊपर की भी साड़ी है जिसको बनाने में एक महीने से ज्यादा वक्त लगा।

सुश्री निर्मला भूरिया ने कहा कि महिलाओं को सशक्त बनाने का काम पीएम मोदी की सोच है और मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव की सोच है। वही काम माता अहिल्याबाई ने किया। बुनकरों को बुलाकर ये काम चालू कराया। हमारी सरकार वही कर रही है। महिला बाल विकास मंत्री सुश्री भूरिया ने कहा कि आजकल देश में औऱ विदेश में सिंदूर छाया हुआ है। ऑपरेशन सिंदूर विदेश में खास तौर पर छाया है। इसलिये ये हमारा नारी का सशक्तिकरण का प्रतीक है। इसलिये सिंदूरी रंग चुना है। हमारे प्रधानमंत्री के स्वागत करने के लिये हम आये हैं देवी अहिल्या ने जो रास्ता दिखाया है। महिलायें कैसे आत्मनिर्भर बने ये रास्ता देवी अहिल्या बाई ने दिखाया। इसी उद्देश्य से हम यहाँ आये हैं ताकि बुनकरों को बढ़ावा मिले। महेश्वरी साड़ी देश में नहीं विदेश में भी फेमस है। फोटो संलग्‍न

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एम.पी. ट्रांसको का नवाचार, अत्याधुनिक फोटे तकनीक से सबस्टेशनों में आटोमेशन और टेलीप्रोटेक्शन को मिलेगी नई मजबूतीः – ऊर्जा मंत्री श्री तोमर

मंदसौर 30 मई 25 / ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने बताया कि देश की अग्रणी विद्युत ट्रांसमिशन कंपनियों में से एक एम.पी. पावर ट्रांसमिशन कंपनी (एम.पी. ट्रांसको) ने एक और तकनीकी नवाचार करते हुए अपने एकस्ट्रा हाई सबस्टेशनों में फाइबर ऑप्टिक टर्मिनल उपकरण (फोटे) तकनीक को स्थापित कर उसका उपयोग प्रारंभ कर दिया है। यह तकनीक चरणबद्ध तरीके से विभिन्न सबस्टेशनों में लागू की जा रही है। ट्रांसमिशन एलीमेंट्स की सुरक्षा, संचार और निगरानी व्यवस्था को अधिक आधुनिक, तेज और विश्वसनीय बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण पहल है।

ऊर्जा मंत्री श्री तोमर ने बताया कि इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को प्रदेश में तीन जोन बनाकर पूरा किया जा रहा है। यह तकनीक अति उच्च-दाब सबस्टेशनों एवं एम.पी. ट्रांसकों से जुडे़ जनरेशन सबस्टेशनों में लागू की गई है।

रियल टाइम मॉनिटरिंग हुई आसान

एम पी ट्रांसको में इस प्रोजेक्ट की प्लानिंग और टेंडरिंग प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अधीक्षण अभियंता श्री मनीष खरे ने बताया कि फोटे एक अत्याधुनिक ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जिसका उपयोग फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क, उपकरणों और प्रणालियों के आटोमेशन, टेलीप्रोटेक्शन और ट्रांसमिशन एलिमेंटस की निगरानी के लिए किया जाता है, इस तकनीक की मदद से सबस्टेशनों में लगे ट्रांसफॉर्मर्स और अन्य महत्वपूर्ण उपकरणों की निगरानी रियल टाइम में संभव हो सकेगी। भविष्य में इस प्रणाली से प्रोटेक्शन रिले की सेटिंग व फॉल्ट रिपोर्ट भी सेन्ट्रालाइज भी की जा सकेगी।

ट्रांसमिशन सिस्टम में ओपीजीडब्ल्यू के माध्यम से फोटे का सफल क्रियान्वयनः

प्रदेश के ट्रांसमिशन सिस्टम में ओ.पी.जी.डब्ल्यू (ऑप्टिकल ग्राउंड वायर) के माध्यम से फाइबर ऑप्टिक ट्रांसमिशन इक्विपमेंट (फोटे) का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन किया गया है। ट्रांसकों का डेडिकेटेड कम्यूनिकेशन सिस्टम होने के कारण इस तकनीक से एम.पी. ट्रांसकों प्रणाली के संचालन में रियल टाइम डेटा संप्रेषण, बेहतर निगरानी, तेज संचार और सायबर खतरों से उच्च सुरक्षा संभव हो सकी है ।

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शासकीय आईटीआई में प्रवेश हेतु 31 मई तक करें ऑनलाईन आवेदन

मंदसौर 30 मई 25/ शासकीय आईटीआई प्राचार्य श्री मुकेश मौर्य द्वारा बताया गया कि शासकीय आईटीआई नयाखेड़ा मंदसौर, गरोठ, शामगढ़, मल्हारगढ़, भानपुरा एवं सीतामऊ में इलेक्ट्रीशियन, फीटर, मोटर मेकेनिक, वेल्डर, कोपा, ड्राफ्ट्समैन सिविल, हिंदी स्टेनो, सोलर टेक्नीशियन ट्रेड में प्रवेश हेतु ऑनलाइन आवेदन 1 मई 25 से प्रारंभ हो चुके है। आवेदन हेतु https://mpiticounseling.co.in/ पर विजिट करे। प्रवेश संबंधित अधिक जानकारी के लिए शासकीय आईटीआई नयाखेड़ा मंदसौर में कार्यालयीन समय पर संपर्क कर सकते हैं। प्रवेश के लिए निर्धारित योग्यता 10 वी है।

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पिछडावर्ग पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति वर्ष 2024-25 के आवेदन हेतु अंतिम तिथ‍ि 31 मई तक

मंदसौर 30 मई 25 / पिछडा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के सहायक संचालक ने जानकारी दी क‍ि पिछड़ा वर्ग पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति वर्ष 2024-25 में नवीन एवं नवीनीकरण छात्रवृत्ति आवेदन हेतु MPTAAS पोर्टल पुनः प्रारंभ हो चुका है। जिसकी अंतिम 31 मई निर्धारित की गई है। जिलें में संचालित समस्त महाविद्यालयों को निर्देषित किया जाता है, कि संस्था में अध्ययनरत वर्ष 2024-25 में नवीन एवं नवीनीकरण छात्रों के MPTAAS पोर्टल पर आवेदन जमा किए जाए।

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वित्तीय वर्ष 2024-25 उत्कृष्ट खिलाडियों को खेल वृत्ति प्रदान करने हेतु आवेदन आमंत्रित

मंदसौर 30 मई 25/ जिला खेल और युवा कल्याण अधिकारी ने जानकारी दी की संचालनालय, खेल और युवा कल्याण म.प्र. 01 अप्रैल 2024 से 31 मार्च, 2025 के मध्य आयोजित अधिकृत राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में पदक विजेता जिले के प्रतिभावान खिलाडियों से वर्ष 2024 की राज्य स्तरीय खेलवृत्ति हेतु आवेदन आमंत्रित किये जा रहे है। अधिकृत राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक विजेता खिलाडी को राशि रु. 10,000/- रजत पदक विजेता खिलाडी को राशि रू. 8.000/- एवं कांस्य पदक विजेता खिलाडी को राशि रु. 6.000/-खेलवृत्ति राशि प्रदान करने का प्रावधान है। वर्ष 2025 की खेलवृत्ति हेतु आवेदन आगामी 31 मई तक स्वीकार किए जा सकेंगे। खेलवृत्ति हेतु आवेदन कार्यालय जिला खेल और युवा कल्याण अधिकारी से प्राप्त कर सकते है। 31 मई के पश्चात प्राप्त आवेदन पर विचार नहीं किया जावेगा। खेलवृत्ति हेतु निर्धारित दिशा-निर्देश व नियमावली की जानकारी विभागीय वेबसाईट www.dsywmp.gov.in पर पर उपलब्ध है।

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पूर्व सैनिक परिषद ने किया चल समारोह का भव्य स्वागत

सीतामऊ। पूर्व सैनिक परिषद टीम की सीतामऊ शाखा द्वारा सीतामऊ में महाराणा प्रताप जयंती पर निकले चल समारोह का भव्य स्वागत किया गया।
वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के अवतरण दिवस पर सीतामऊ द्वारा एक भव्य चल समारोह का आयोजन राजपूत बोर्डिंग हाउस से शुरू कर सीतामऊ बस  स्टैंड तक आयोजित किया गया। इस दौरान पूर्व सैनिक टीम सीतामऊ द्वारा चल समारोह का भव्य स्वागत किया गया।

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रोटरी सेटेलाइट महिला क्लब की निशा कुमावत होगी अध्यक्ष
(उपाध्यक्ष भारती पाटीदार व सचिव सरिता चंचल सोनी होंगे)
मंदसौर। महिला क्लब की संस्थापक श्वेता कपूर द्वारा बताया गया कि आगामी वर्ष जुलाई 2025 से जून 2026 हेतु रोटरी सेटेलाइट महिला क्लब की नवीन कार्यकारिणी गठित की गई।जिसमें निशा कुमावत को अध्यक्ष,भारती पाटीदार को उपाध्यक्ष व सरिता चंचल सोनी को सचिव बनाया गया।यह तीनों ही रोटरी सेटेलाइट महिला क्लब की पूरी टीम को लेकर आगामी वर्ष हेतु लोगों के उत्थान के लिए कार्य करेंगे। एवं गरीब दीन- दुखियों, वृद्धो की सेवा ही रोटरी सेटेलाइट महिला क्लब का महत्वपूर्ण कार्य रहेगा।

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यूं ही नही बनी रानी से मां और फिर देवी अहिल्या बाई होल्कर

दूरदर्शी मां अहिल्या ने शुरु की विधवा पेंशन, नारी सशक्तिकरण की सशक्त हस्ताक्षर

मंदसौर 30 मई 25/ आसान नही होता सत्ता के कठोर अपरिहार्य चलन को ढकेल कर, ममता को बरकरार रखते हुए सामाजिक रुढियों को तोड पाना। बात जब सदियों के काबिज धर्म और पारिवारिवारिक रस्मों और दौर को बदलने की हो तो अच्छे से अच्छे रणनीतिकार, राजनितज्ञ भी विरोध के डर से हिम्मत नही जुटा पाते है। इस रानी की न्याय प्रियता, शासन संचालन और धार्मिक कार्यों घाटों के निर्माण पर बहुत कछ लिखा गया। लेकिन हम बात करके देवी अहिल्या के नारी उत्थान की दिशा ने किए गए दूरदर्शी कार्यों की।

लेकिन होल्कर घराने की बहु रानी अहिल्या बाई होल्कर – महिला सेना का गठन करने वाली उस दौर की वे शायद प्रथम ही शासक थी। इतना ही नही युद्ध में मारे गए सैनिकों की विधवाओं को सामाजिक और आर्थिक रुप से सक्षम बनाने की पहल उन्होंने ही की। देश में पहली बार विधवा पेंशन की शुरुआत हुई। यही वजह है कि उनकी आयु भले ही 70 वर्ष रही हो लेकिन कई पीढियों को, दशकों तक चार सदी बीत जाने के बावजूद भी रानी अहिल्या आज भी प्रासंगिक है।

इतना ही नही, पाखंडी धर्मवेताओं के विरोध को अकाट्य तर्कों, संयम तो कभी कडक निर्णय ले चुनौति देने से भी नही चुकी रानी अहिल्या। और इस तरह समाज के बडे वर्ग को महिला शिक्षा का अधिकार दिलवाया ।

कानून को पालन करवाने में महज कडक रुख नही अपनाया वरन ऐसे मानवीयता को प्राथिमकता देते हुए नए कानूनों की ईबारत लिखी। जो आज भी अनुकरणीय है। मसलन, विधवा संपति जप्त होने के कानून को समाप्त किया, विधवा पेंशन लागू की, सती प्रथा को समाप्त किया और महिलाओं के रोजगार की चिंता कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया।

उनके द्वारा स्थापित माहेश्वरी साड़ी का उद्योग आज भी कई परिवारों की रोजी रोटी है। खासकर महिलाएं इसे बखूबी चला रही है। जहां तक बात है पेंशन की तो उस समय यह कानून था कि, अगर कोई महिला विधवा हो जाए और उसका पुत्र न हो, तो उसकी पूरी संपत्ति सरकारी खजाना या फिर राजकोष में जमा कर दी जाती थी, लेकिन अहिल्याबाई ने इस कानून को बदलकर विधवा महिला को अपनी पति की संपत्ति लेने का हकदार बनाया।

महिलाओं के उत्थान के लिए और लड़कियों को अच्छी शिक्षा के साथ रोजगार मिले इसके लिए भी काफी कार्य किए। महाराष्ट्र के चौंडी (वर्तमान में हमदनगर जिले) गांव के एक साधारण परिवार में अहिल्या का में हुआ था। इस छोटी सी बालिका ने बडे बडे योद्धाओं को धूल चटाई। लेकिन जनता के प्रति राजकाज की कठोरता को कभी हावी नही होने दिया। मां नाम है संपूर्णता, समर्पण और बगैर भेदभाव किए बच्चों के खातिर खतरे मौल लेने का । भले ही अहिल्या ने मालवा प्रांत की सूबेदारी का रसूख और रुतबा पाया लेकिन अपने अंदर के ममत्व को जनता के खातिर खोल कर रख दिया। निजी जीवन के मृत्यु तुल्य दर्द, जब पति खांडेराव होल्कर की असामयिक मृत्यु हुई हो महज 19 वर्ष की उम्र में ही वे विधवा हो जाना या फिर पुत्र का उम्मीद न उतरना, का असर रानी अहिल्या ने कभी अपने शासन संचालन में नही किया।

सन् 1766 ई। में वीरवर ससुर मल्हारराव भी चल बसे। अहिल्याबाई होल्कर के जीवन से एक महान साया उठ गया। और इस तरह उन्हें अकेले शासन की बागडोर संभालनी पड़ी। एक साध्वी की भांति राजवाड़ा स्थित गद्दी पर निर्विकार भाव से संचालन किया। जिस बात को धोतक है शिवलिंग को राजगद्दी पर विराजित कर राज्य की कारवाई करना न कि खुद उस गद्दी पर बैठना। जहां तक हो सका शक्तिशाली अहिल्या बाई ने युद्ध के‌बजाय सुलह को तवज्जो दी। उनके अनुसार जीत किसी भी हो, उजड़ता एक नारी का घर ही है। राजा राघोवा पेशवा ने युद्ध का इरादा कर सेना को मालवा पर खड़ा कर दिया। इस युद्ध का समाधान अहिल्याबाई ने मात्र एक पत्र से ही कर दिया। इस पत्र में महारानी ने लिखा था कि ‘मेरे पूर्वजों के बनाए और संरक्षित किए राज्य को हड़पने का सपना राघोबा आप मत देखिए। अगर आप आक्रमण के लिए आमादा हैं तो आइए, द्वार खोलती हूं। मेरी स्त्रियों की सेना आपका वीरता से सामना करने को तैयार खड़ी हैं। अब आप सोचिए। आप को हार मिली तो संसार क्या कहेगा, राघोबा औरतों के हाथों हार गया। अगर आप जीत भी गए तो आपके चारण और भाट आपकी प्रशंसा में क्या गाएंगे? राघोवा सेना लेकर आया, एक विधवा और पुत्र शोक में आकुल एक महिला को हराने ताकि अपना लालच पूरा कर सके। पेशवाई किसे मुंह दिखाएगी?’ इतना जानकर पेशवा ने अपना इरादा बदल दिया। लेकिन जब बहुत आवश्यक हुआ तो तीरंदाज और तलवार बाजी में के ई योद्धाओं को मात देने वाली देवी अहिल्या ने मालवा की जनता के खातिर अपनी महिला सेना के साथ, कई युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने लखेरी, मंदसौर और पानीपत के युद्धों में मराठा सेना का नेतृत्व किया। 1793 में लखेरी के युद्ध में जीत हासिल की।

मंदसौर का युद्ध: अहिल्याबाई ने मंदसौर के युद्ध में भी मराठा सेना का नेतृत्व किया और इस युद्ध में भी सफलता प्राप्त की। मराठा शासिका अहिल्याबाई ने पानीपत के युद्ध में भी मराठा सेना का नेतृत्व किया। जनता का हित, युद्ध को अपनी चतुराई से तो कभी शौर्य से टाल कर अनगिनत माताओं की कोख और कई सुहागनों के सिंदूर मिटने से बचा लिया।

उनके शांत और शौर्य से ओतप्रोत जीवन का प्रतिबिंब महेश्वर का किला आज भी जब चांदनी में नहाता है तो दूर दूर से पर्यटकों का मन मोह लेता है। एक अलग ही तरह का सुकुन महसूस करते है आंगुतक । इस किले के सामने अतिसुंदर शांत लेकिन चंचल मां नर्मदा की लहरे – मां अहिल्या के सकारात्मकता से भरे विचारों और कार्यों की कहानी बयां करती है। यही वजह है शायद निमाड जहां के ग्रीष्मकाल के दिन रात भयंकर गर्मी के लिए जाने जाते है, तापमान 45 डिग्रीतक छू जाता है लेकिन इसके बावजूद लोग दूर दूर के शहरों गर्मी में इस किले के सामने मां नर्मदा के तट सुकुन पाते है क्योंकि वहां रानी अहिल्या की नही मां अहिल्या के मातृत्व भाव की ठंडक है, सकारात्मकता का संचार हो रहा है।

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