सनातन धर्म में पूजा पाठ की सम्पूर्ण विधि के जनक है आदि गुरू शंकराचार्यजी-मालवा प्रांत प्रमुख पांडे

मध्यप्रदेश जनअभियान परिषद द्वारा आयोजीत आदि गुरु शंकराचार्यजी की जयंती

मालवा प्रांत प्रमुख रविंद्र पांडे ने कहा कि मात्र 8 वर्ष की आयु में आदी गुरू शंकराचार्यजी ने चार वेदों का अध्ययन कर लिया था। उनको मात्र 12 वर्ष की आयु में संपूर्ण ज्ञान प्राप्त हो गया था । सनातन धर्म के 4 वेद और 18 पुराण की पुनःरचना करने का श्रेय आदी गुरु शंकराचार्यजी को जाता है। मां के आज्ञा से उन्होने सन्यास लिया था, लेकिन अंतिम समय में उन्होंने मां की सेवा की है। श्री पांडे ने कहा कि समाज में बढ़ती छुआछुत को खत्म करने के लिए उन्होंने काशी में सफाई कर्मी को साथ लेकर मार्गदर्शन दिया था। सनातन संस्कृति का पुनः उद्धार आदि गुरु शंकराचार्यजी को जाता है। सनातन धर्म में पूजा पाठ की सम्पूर्ण विधि के बारे में उन्होंने विस्तृत वर्णन किया है।
व्याख्यान कार्यक्रम मे वरिष्ठ शिक्षक मनोज जामलिया ने कहा कि आदि गुरु शंकराचार्य जी का जीवन हमे प्रेरणा देता है। छुआछुत सहित अनेक सामाजिक क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए कार्यो से हमे सिखना चाहिए। श्री जामलिया ने कहा की प्रकृति के प्रति हमारा कुछ दायित्व होता है,जिसे हमें उतरना होगा। व्याख्यान कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती एवं आदी गुरु शंकराचार्यजी के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया।कार्यक्रम का सफल संचालन हरिओम गंधर्व ने किया।
अंत में आभार विकासखण्ड समन्वयक नारायणसिंह निनामा ने किया।जयंती महोत्सव कार्यक्रम मे नवांकुर संस्था से पंकज काला, दिलीप भटनागर, परामर्शदाता हेमंत गौङ, हरिओम गंधर्व, मंगला बैरागी, सत्यनारायण प्रजापत,ग्राम विकास प्रस्फुटन समिति से भगतराम राठौर,श्री पालीवाल ,मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास पाठ्यक्रम के सभी विद्यार्थियों ने भी अपने विचार व्यक्त किये। साथ ही मध्यप्रदेश जनअभियान परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष मोहन नागर एवं कार्यपालन निर्देशक बतुल लाङ ने वर्चुअल क्लास के माध्यम से एमएसङ्ब्लू के छात्र मुकेश शर्मा एवं छात्रा साधना सेन एवं सभी परामर्शदाताओ से कक्षा,उपस्थिती सहित अनेक विषयों पर चर्चा की गई।