मांगों को लेकर आशा-उषा सहयोगिनी ने किया प्रदर्शन, दिया ज्ञापन

=========================
15 फरवरी को भोपाल में विशाल प्रदर्शन में भाग लेने बड़ी संख्या में मातृशक्ति हुई भोपाल रवाना
मन्दसौर। लम्बे समय से अपनी मांगों के लिये संघर्ष कर रही आशा-उषा सहयोगिनी कार्यकर्ताओं ने 14 फरवरी, मंगलवार को प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम नायब तहसीलदार सुश्री राजश्री ठाकुर को ज्ञापन दिया गया। ज्ञापन के पश्चात् भोपाल के नीलम पार्क में 15 फरवरी में विशाल प्रदर्शन में भाग लेने हेतु बड़ी संख्या में मातृशक्ति रवाना हुई।
इसके पूर्व बड़ी संख्या में आशा-उषा सहयोगिनी कार्यकर्ता दशपुर कुंज में एकत्र हुए। जहां संबोधित करते हुए संगठन संरक्षक श्याम सोनावत व जिलाध्यक्ष साधना सेन ने कहा कि आशा उषा सहयोगिनी को वर्ष 2006 में नियुक्त किया गया था। आज दिनांक तक उनको किसी प्रकार का मानदेय नहीं दिया जा रहा है। हम ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में कार्यरत है और सारे राष्ट्रीय कार्यक्रम एवं सभी राष्ट्रीय कार्यक्रम हम सुचारू रूप से करते है। हम लोगों की बदौलत ही प्रदेश में मातृ मृत्यु शिशु मृत्यु की दर कम करने में हमारा महत्वपूर्ण योगदान है। शत-प्रतिशत टीकाकरण करने में हमारा सम्पूर्ण योगदान रहता है। स्वास्थ्य संबंधी सभी योजनाओं में हमारा महत्वपूर्ण योगदान रहता है हमारे ग्रामीण क्षेत्र में घर-घर में संबंध रहते है, जो हमारी स्वास्थ्य संबंधी सारी सेवाओं में हमारी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। हम सभी 24 घंटे कार्य कर ग्रामीण व शहरी लोगों को सेवाएं देते हैं, शिशुओं एवं गर्भवती माताओं की देखभाल करते है, शासकीय अधिकारी समय-समय पर हमको नौकरी से बाहर करने की धमकी देते रहते है। पूरे मध्यप्रदेश में 75 आशा व सहयोगी कार्यकर्ता पूर्णरूप से सेवा में संलग्न है। साथ ही 2 वर्ष के कोविड महामारी में आशा व सहयोगी कार्यकर्ता अपनी जान जोखिम में डालकर पूर्णरूप से कर्तव्यस्थ रही है एवं वर्तमान में भी कार्य कर रही है इसका कोई भी भुगतान शासन से नहीं किया गया है। वर्तमान में शासन की योजना के तहत पर-घर जाकर हमारी कार्यकर्ता आयुष्मान कार्ड भी बना रही है।
दशपुर कुंज से सभी कार्यकर्ता मातृशक्ति रैली के रूप में कोर्ट परिसर पहुंचे जहां ज्ञापन दिया। ज्ञापन में मांग रखी की कि आशा पर्यवेक्षक को शासकीय कर्मचारी मान्य किया जाये।.आशा कार्यकर्ताओं को प्रत्येक गांव में आरोग्य केन्द्र पृथक किये जाये। ग्रामीण व शहरी आशा कार्यकर्ताओं को फिक्स मानदेय दिया जाये, जिससे अधिकारियों के आगे बार-बार जो टुकड़ों के रूप में दिया जाता है यह एकजाई दिया जाये ताकि अधिकारियों के सामने भटकना न पड़े। आशा सहयोगी को 15000/- रुपये एवं आशा कार्यकर्ता को 10000/- रुपये प्रतिमाह फिक्स मानदेय दिया जायें। आशा पर्यवेक्षक का पेट्रोल भत्ता 300/- रुपये प्रतिदिन दिया जायें। आशा कार्यकर्ता शहरी, ग्रामीणों को रुपये इन्सेन्टिव 5000/- रुपये प्रतिमाह किया जाये। आशा पर्यवेक्षक को संविदा नियुक्ति प्रदान की जाये। आशा कार्यकर्ता प्रसव लेकर हॉस्पिटल में जाती है तो हर हॉस्पिटल में पांच पलंग का एक हाल बनाकर उसमें पंखा, कुलर सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जावे। आशा उषा कार्यकर्ताओं के साथ हॉस्पिटल में हॉस्पिटल स्टॉफ द्वारा पूरी तरह सम्मानित व्यवहार किया जाये। संगठन के द्वारा हड़ताल की जाती है तो उसमें किसी प्रकार का कोई मानदेय नहीं काटा जाये। उक्त मांगों को शीघ्र पूरा किया जाये अन्यया मांगों को पूरा न करने पर हमें उग्र धरना प्रदर्शन करना पड़ेगा। जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन व प्रशासन की रहेगी।
ज्ञापन का वाचन गीता मालवीय ने किया। इस अवसर पर संगठन जिलाध्यक्ष साधना सेन, संगठन संरक्षक श्याम सोनावत, जिला सचिव शोभा पाटीदार, संयुक्त सचिव कोमल जैन, जिला कोषाध्यक्ष माया सोनावत एवं विद्या मण्डलोई, विष्णु धाकड़, संगीता सौलंकी, माधुरी सौलंकी, सुनिता प्रधान, संगीता असलिया, हेमलता दुबे, कारी रत्नावत, टमा मालवीय, पुष्पा सेन, निर्मला गुर्जर, कौशल्या गुर्जर,गुड्डी कुंवर, सीमा कुंवर, मधु परमार, मधुबाला डांगी, मनीषा सेन, अनिता बैरागी, गायत्री चौहान, रचना राठौर, यशोदा ढाबला, सीमा कारपेंटर, सम्पत सूर्यवंषी, रामकन्या सेन, संगीता राठौर, संतोष दरिंग, धापु राठौर, निर्मला मेहर, पूजा व्यास, नन्दू चौहान, सुमित्रा माली, सीमा सूर्यवंशी, कंचन ओझा, बालकुंवर, यशोदा सूर्यवंशी, उषा विश्वकर्मा, यशोदा लोहार, ममता मेहर सहित बड़ी संख्या में मातृशक्ति उपस्थित थी।