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पंडित श्री कृष्ण वल्लभ शास्त्री की भागवत कथा मे हुआ भगवान श्री कृष्ण व माता रुक्मिणी विवाह संपन्न…

(महाकुम्भ प्रयागराज के उपलक्ष मे भागवतभूषणाचार्य पं. श्री कृष्ण वल्लभ शास्त्री के मुखारविंद से षष्टम दिवस की कथा व अंतिम दिन पूर्णआहुति व महाप्रसादी के साथ होगा कथा का समापन…..)
मंदसौर।महाकुम्भ प्रयागराज 2025 महापर्व के उपलक्ष में मंदसौर के पद्मावती रिसोर्ट के सामने  स्थित विश्व मंगल बालाजी इंदिरा कॉलोनी मे ज्ञान गंगा रूपी श्रीमद् भागवत कथा भागवत विचार संस्थान के द्वारा आयोजित की जा रही है। जिसके तहत षष्टम दिवस की कथा मे पंडित श्री कृष्ण वल्लभ शास्त्री ने कथानुसार बताया कि 7 दिन तक इंद्र ने तपस्या की। इंद्र ने भगवान का पूजन किया। भगवान श्री कृष्ण कहते है कि गोपियों तुमको प्रसन्न करने के लिए ऐसा क्या कार्य करुँ। सभी गोपियाँ भगवान श्री कृष्ण के पास पहुंच गयी। गोपियाँ भगवान श्री कृष्ण के लिए सारा घर छोड़ के आ गयी। फिर भगवान श्री कृष्ण गोपियों से कह रहे क्यों आ गयी मेरे पास। गोपियाँ यह सुनकर आश्चर्यचकित हो गयी। एक तो श्री कृष्ण ने बुला लिया फिर वह कह रहे क्यों आ गयी। फिर भगवान श्री कृष्ण के लिए गोपियों ने गीत गाये। भगवान श्री कृष्ण ने आगे जाकर सुदर्शन का उद्धार किया। गोकुल के पास मथुरा बड़ा शहर है तब नंदबाबा ने कहा शहर मे जाओ तो वहाँ सिग्नल व बड़ी बड़ी बिल्डिंगे होती है इसलिए वहाँ देखकर व बाएँ चलना। फिर कन्हैया अपने भाई बलराम के साथ सभी गोपालको के साथ शहर भृमण के लिए निकल पड़े। तब श्री कृष्ण गोपालको की टीम सर्वप्रथम दर्जी के यहां पहुँचती है तब दर्जी कन्हैया की यह टोली देखकर उनके लिए कपड़े सिलता है। तब भगवान उस दर्जी को वरदान देते तेरे यहां कभी कपड़े की कमी नही होगी। फिर माली के हाथ से माला पहनते है। फिर कहते है इस माली के घर कभी फूल बांसी नही होंगे। कन्हैया की टोली व जुलुस बड़ा सुंदर देखकर मिठाई वाले ने कहा मैं इनका स्वागत करूंगा।कन्हैया के साथ उनके गोपालक ज़ब मिठाई के दुकान मे पहुंचते है। तो उन्हें घेवर दिखाई देता है जो गोपालको ने कभी नही देखा था। अंत मे भगवान कन्हैया व भाई बलराम पहाड़ चढ़कर द्वारकापूरी मे निकले। जहाँ माता रुक्मणी प्रतिदिन भगवान श्री कृष्ण का पूजन करती थी।माता रुक्मणी ने असल मे भगवान श्री कृष्ण की ज़ब लीलाये देखी। तब माता रुक्मणी ने सोच लिया कि उनके पतिदेव हो तो भगवान श्री कृष्ण जैसे ही हो। तब इस कथा मे भी भगवान श्री कृष्ण व माता रुक्मणी का विवाह हुआ। विवाह उपरांत वहां बैठी सैकड़ो महिलाओ द्वारा कन्यादान भी किया गया। एवं छप्पन भोग भी लगाया गया।अंत में इंद्रा कॉलोनी मे हो रही कथा के माध्यम से ही पंडित श्री कृष्ण वल्लभ शास्त्री द्वारा शेष एक दिवसीय इस कथा में अधिक से अधिक संख्या में पधारने का अनुरोध किया गया।अंतिम दिवस पूर्णआहुति व महाप्रसादी के साथ कथा का समापन होगा।

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