आदिवासी युवाओं ने संभाली स्वास्थ्य जागरूकता की कमान – शुरू हुआ “अबू स्वास्थ्य, अबू गाँव, अबू अभियान”

आदिवासी युवाओं ने संभाली स्वास्थ्य जागरूकता की कमान – शुरू हुआ “अबू स्वास्थ्य, अबू गाँव, अबू अभियान”
सिनर्जी संस्थान के युवा स्वास्थ्य संसाधन केंद्र के अंतर्गत आदिवासी युवाओं ने अपने गाँवों की स्वास्थ्य स्थिति को बेहतर बनाने के उद्देश्य से *“अबू स्वास्थ्य, अबू गाँव, अबू अभियान”* नामक विशेष अभियान की शुरुआत की है। स्थानीय बोली में “अबू” का अर्थ हमारा होता है, इसलिए अभियान का भाव है—हमारा स्वास्थ्य, हमारा गाँव, हमारा अभियान। इस अभियान का मुख्य लक्ष्य आदिवासी समुदाय में स्वास्थ्य, स्वच्छता, पोषण और कुपोषण से संबंधित मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाना है, साथ ही 14 से 29 वर्ष के युवाओं की इन विषयों में सार्थक भागीदारी सुनिश्चित करना भी इसका महत्वपूर्ण हिस्सा है। अभियान की शुरुआत ग्राम मुरलिखेड़ा से की गई, जहाँ युवाओं ने फिम्ल शो के माध्यम से महिलाओं एवं समुदाय के अन्य सदस्यों को स्वास्थ्य संबंधी वीडियो दिखाए और उसके बाद स्थानीय भाषा में संवाद करते हुए पोषण, स्वच्छता, टीकाकरण, माहवारी स्वच्छता आदि पर चर्चा की। वहीं बोवदा में युवाओं ने स्थानीय परंपरा के अनुसार गदली कार्यक्रम आयोजित कर ग्रामीणों को एक साथ बुलाया और सरल उदाहरणों तथा अनुभव-आधारित बातचीत के माध्यम से स्वास्थ्य, स्वच्छता और कुपोषण के प्रभावों पर जागरूक किया। यह अभियान सिर्फ जानकारी देने तक सीमित नहीं है, बल्कि युवाओं को नेतृत्व, सामुदायिक संवाद और समस्या-समाधान कौशल विकसित करने का अवसर भी दे रहा है। आने वाले दिनों में यह अभियान बासपानी, बंशीपुरा, सिंगोंडा, बड़झिरी, लाखादेह और बापचा जैसे गाँवों में आगे बढ़ाया जाएगा, जहाँ विभिन्न सांस्कृतिक, सहभागितापूर्ण और जागरूकता गतिविधियों के माध्यम से समुदाय को स्वास्थ्य व्यवहार अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।संस्थान का मानना है कि जब समुदाय खुद अपने स्वास्थ्य की जिम्मेदारी लेने लगेगा, तभी कुपोषण-मुक्त और स्वस्थ गाँव का सपना पूरा होगा। युवाओं द्वारा शुरू किया गया यह विशेष अभियान आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य जागरूकता को नई दिशा देने वाला कदम माना जा रहा है और उम्मीद की जा रही है कि इस पहल से समुदाय में बेहतर स्वास्थ्य व्यवहार, स्वच्छता की आदतें और पोषण संबंधी समझ विकसित होगी।
सिनर्जी संस्थान से युवा स्वास्थ्य संसाधन केंद्र समन्वयक आरिफ़ खान बताते हैं।
“बच्चों और माताओं के लिए यह अभियान उनके पोषण, स्वास्थ्य और समुदाय की जागरूकता को ध्यान में रखता है। हमारा उद्देश्य है कि हर गाँव में लोग न सिर्फ जानकारी लें, बल्कि उसे अपने जीवन में अपनाएँ ताकि एक स्वस्थ और सशक्त समाज की नींव रखी जा सके।



