
सिंगोली (मुकेश जैन)- नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर पर विराजमान आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज आचार्य श्री ज्ञैयसागर सागर जी महाराज कि परम प्रभावित शिष्या गुरु मां आर्यिका श्री प्रशममति माताजी व आर्यिका श्री उपशममति माताजी ससघ के सानिध्य में 7 नवम्बर शुक्रवार को प्रातः काल आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के 54 वा आचार्य पदारोहण दिवस पर आर्यिका श्री प्रशममति माताजी ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज तिथि के हिसाब से कृष्ण पक्ष दूज 1972 को आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को आचार्य ज्ञान सागर जी महाराज द्वारा आचार्य पद नसीराबाद राजस्थान में दिया गया आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने अनेक ग्रंथों का स्वाध्याय अध्ययन करते तो दूसरी तरफ गुरु की सेवा में भी लगे रहते गुरु ने अपने जीवन के अंतिम समय में आपको ही योग जानकर आपसे ही संलेखना व्रत लेने का मन बनाया इसके लिए जब उन्होंने एक सभा में आपको आचार्य पद स्वीकार करके संलेखना व्रत देने का निवेदन किया तो आपके लिए गुरु के निर्णय को स्वीकार करना मुश्किल हो गया आप इस निर्णय के लिए तैयार नहीं हो पाए पर जब गुरु ने समझाया गुरु आज्ञा आगम आज्ञा गुरु भक्ति की बात रखी तभी आप गुरु के इस निर्णय के लिए अपने को तैयार कर पाये आपने आचार्य पद स्वीकार करके अपने गुरु को संलेखना व्रत दिलाया दिन-रात गुरु की सेवा में तन मन से अपने को लगा दिया गुरु के प्रति आपकी सेवा ऐसी अद्वितीय और अर्पूव थी आचार्य श्री ने गुरु से बढ़कर गुरु आज्ञा का पालन किया आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के ऐसे कई प्रसंग हैं जिससे वह जाने जाते हैं इस अवसर पर समाजजनों द्वारा आचार्य श्री को अर्घ समर्पण किया गया इस अवसर पर बडी संख्या में समाजजन उपस्थित थे


