मंदसौर न्यायालय में चैक अनादरण के 10 हजार से अधिक प्रकरण लंबित
अधिवक्ता श्री रत्नावत ने विशेष न्यायालय गठन की मांग की
मंदसौर। मंदसौर जिला न्यायालय में चेक अनादरण (धारा 138, एनआई एक्ट) से जुड़े प्रकरणों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए अधिवक्ता श्री गौरव रत्नावत ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश मंदसौर को एक ज्ञापन सौंपकर ऐसे मामलों के त्वरित निराकरण हेतु विशेष न्यायालय गठित करने की मांग की है।
अधिवक्ता श्री रत्नावत ने बताया कि वर्तमान में मंदसौर न्यायालय में लगभग 10 हजार से अधिक चैक अनादरण प्रकरण लंबित हैं। इन मामलों की सुनवाई में देरी के कारण पीड़ित पक्षकारों को वर्षों तक न्याय के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रकरण समरी ट्रायल के अंतर्गत आते हैं, जिनका शीघ्र निपटारा होना चाहिए, किंतु न्यायालयों पर अन्य दीवानी एवं फौजदारी मामलों का बोझ अधिक होने से समय पर सुनवाई नहीं हो पा रही है।
अधिवक्ता श्री रत्नावत ने यह भी उल्लेख किया कि वर्तमान में न्यायालयों में तिथि निर्धारण के लिए 6-6 माह का अंतराल रखा जा रहा है, जिससे न्याय प्रक्रिया लंबी खिंच रही है। इस स्थिति को देखते हुए उन्होंने चैक अनादरण मामलों के लिए अलग विशेष न्यायालय गठित करने का आग्रह किया है, जिससे लंबित मामलों का त्वरित निपटारा हो सके और आम जनता का न्यायपालिका पर विश्वास मजबूत बना रहे।
एडवोकेट श्री रत्नावत ने बताया कि पूर्व में भी ऐसे मामलों के शीघ्र निराकरण के लिए विशेष न्यायालय का गठन किया गया था, जिससे सकारात्मक परिणाम मिले थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में पुनः ऐसे विशेष न्यायालय की आवश्यकता है, ताकि पीड़ित पक्षकारों को शीघ्र न्याय मिल सके।
उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता गौरव रत्नावत मन्दसौर बार एसोसिएशन के सदस्य हैं और वर्ष 2006 से नियमित रूप से अधिवक्ता के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि यदि शीघ्र कदम नहीं उठाए गए, तो इन प्रकरणों की संख्या और बढ़ेगी, जिससे न्याय व्यवस्था पर अतिरिक्त भार पड़ेगा।



