राजनीतिनीमचमध्यप्रदेश
राजस्थान की तरह मध्यप्रदेश में भी सरकार समर्थन मूल्य पर खरीदे सोयाबीन और मूंगफली

भाजपा सरकार की किसान विरोधी नीतियों के चलते केंद्र सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से बहुत कम दामों पर बिक रही किसान की फसल
नीमच, 24 अक्टूबर ( नप्र ) नीमच के पूर्व विधायक और क्षेत्र के वरिष्ठ कांग्रेस नेता नंदकिशोर पटेल ने कहा है कि,राजस्थान सरकार के आदेश पर किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सोयाबीन और मूंगफली सहित अन्य फसलों की सरकार द्वारा खरीद हेतु राजस्थान में समीपस्थ चितौड़गढ़ जिले में पंजीयन शुरू हो गया हैं। लेकिन यह किसानों के हितों का खोखला दावा करने वाली मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने इस ओर से आंखे मूंद कर प्राकृतिक आपदा से पीड़ित किसानों को उनके हाल पर छोड़ देने से मंडियों में उनका जम कर शोषण हो रहा हैं।
यहां जारी एक बयान में नंदकिशोर पटेल ने कहा कि, खरीफ फसल 2025 के दौर में प्राकृतिक आपदा से मध्यप्रदेश प्रदेश सहित नीमच जिले के किसानों को सोयाबीन,मूंगफली,मक्का सहित अन्य फसलों में बहुत भारी नुकसान हुआ हैं। बारम्बार किसानों के हितों का ढोल पीटने वाली भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने नगण्य से मुआवजे और भावान्तर का जुमला देकर किसानों को बरगलाने की नाकाम कोशिश की हैं।
श्री पटेल ने कहा कि, नुकसानी के गलत आँकलन से किसानों के साथ अन्याय हुआ है और इस स्थिति में पीड़ित किसानों के साथ न्यायसंगत व्यवहार यही है कि उनकी फसलों को भावान्तर के चक्रव्यूह में न उलझाते हुए केंद्र सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार खरीदें। केंद्र सरकार ने सोयाबीन के लिए समर्थन मूल्य प्रति क्विंटल 5 हजार 328 रुपये और मूंगफली के लिए 7 हजार 263 रुपये घोषित किया हैं। इसी तरह अन्य खरीफ फसलों के बारे में भी प्रबंध सुनिश्चित हैं।
श्री पटेल ने कहा कि, राजस्थान सरकार के सकारात्मक आदेश के तहत समीपस्थ चितौड़गढ़ जिले में किसानों से सोयाबीन और मूंगफली के उक्त वर्णित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी हेतु पंजीयन की प्रक्रिया भी 16 अक्टूबर से ही शुरू हो गई हैं। इस बारे में उप पंजीयक सहकारी समिति चितौड़गढ़ द्वारा विधिवत आदेश जारी किया गया हैं।
इसके विपरीत किसानों के हित मे कांग्रेस द्वारा बार – बार मांग करने के बावजूद मध्यप्रदेश सरकार ने इस आशय का कोई आदेश जारी नहीं किया हैं। सोयाबीन को भावान्तर के दुष्चक्र में उलझा दिया है जबकि मूंगफली एवं अन्य फसलों के बारे में तो कोई व्यवस्था तक घोषित नहीं की गई हैं।
इसका दुष्प्रभाव किसानों को भोगना पड़ रहा हैं। उनकी उपज सोयाबीन, मक्का और मूंगफली को नीमच और अन्य मंडियों में षडयंत्र पूर्वक लागत मूल्य से भी कम भावों में बेचने पर विवश किया जा रहा हैं। श्री पटेल ने मांग की है कि, राजस्थान सरकार की तरह मध्यप्रदेश सरकार को भी सोयाबीन, मूंगफली और मक्का सहित अन्य फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी की प्रक्रिया प्रारम्भ करना चाहिये।
मुख्यमंत्री के साथ वर्चुअल मीटिंगों में किसानों के असली मुद्दो की अनदेखी
श्री पटेल ने कहा कि, खरीफ फसल सीजन में प्राकृतिक आपदा से हुई नुकसानी का कम मुआवजा, सिंगल क्लिक पर घोषित मुआवजा वितरण के हो रहे असाधरण विलम्ब, फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य न मिलने से किसानों का हो रहा शोषण, पीड़ित किसानों का फसल ऋण वसूली स्थगित करने और पर्याप्त मात्रा में समय पर खाद उपलब्ध कराने जैसे अनेक गम्भीर मुद्दे अभी विद्यमान है जिनके बारे में अविलम्ब सकारात्मक कदम उठाए जाने की आवश्यकता हैं।
लेकिन अफसोस यह है कि, मुख्यमंत्री के साथ इन दिनों होने वाली सभी वर्चुअल मीटिंगों में क्षेत्र के निर्वाचित नेताओं , भाजपा के पदाधिकारियों ने सामूहिक रूप से इन समस्याओं के बारे में मुख्यमंत्री को अवगत कराते हुए शीघ्र समाधान की आवश्यकता पर जोर नहीं दिया। सभी वर्चुअल बैठकों में झूंठी वाहवाही के बजाय अगर निर्वाचित नेतागण सामूहिक रूप से किसानों की समस्याओं पर बात करते तो सार्थक एवं कृषकों की भलाई के नतीजे प्राप्त हो सकते थे। श्री पटेल ने कहा कि, अगर वाकई किसानों का भला करना है तो इन समस्याओं के लेकर समाधानकारी कदम उठाना जरूरी हैं।
बॉक्स
मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी नहीं दिला रहें न्याय
पूर्व विधायक नंदकिशोर पटेल ने कहा कि, वर्तमान में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराजसिंह चौहान हैं जो प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहें हैं। वह हमेंशा ख़ुद को किसान पुत्र और कृषक समुदाय का सबसे बड़ा हितैषी बताते रहें हैं। इस बार खरीफ फसल में प्राकृतिक आपदा के कारण मध्यप्रदेश के किसानों को हुई व्यापक क्षति के बारे में वह अच्छी तरह अवगत हैं।
श्री पटेल ने कहा कि, श्री चौहान का प्राथमिक दायित्व और कर्तव्य है कि, अपने राज्य के पीड़ित किसानों के प्रति संवेदनशील रूख अपनाते हुए



