एक और दो रुपये के सिक्कों का चलन कम होने से आम लोगों, खासकर मजदूर वर्ग के लोगों, को हो रही परेशानी

एक और दो रुपये के सिक्कों का चलन कम होने से आम लोगों, खासकर मजदूर वर्ग के लोगों, को हो रही परेशानी
गरोठ- कोटडाबुजुर्ग/बोलिया और आसपास के क्षेत्रों में एक और दो रुपये के सिक्कों का चलन कम होने से आम लोगों, खासकर मजदूर वर्ग के लोगों, को परेशानी हो रही है। दुकानदार इन सिक्कों को लेने से मना कर देते हैं, जिससे उन्हें होती है।शासन प्रशासन को दुकानदारों व बैंको सख्त से कार्यवाही करना चाहिये ! ये एक भारतीय मुद्रा का अपमान हो रहा है!
समस्या का प्रभाव
–मजदूर वर्ग पर प्रभाव– मजदूर वर्ग के लोगों को अपनी दैनिक जरूरतों के लिए अधिक पैसे देने पड़ते हैं।
बच्चों के लिए परेशानी: बच्चों को छोटी-मोटी चीजें खरीदने के लिए अधिक पैसे देने पड़ते हैं।
दुकानदारों की मनमानी: दुकानदारों द्वारा चिल्लर लेने से मना करना एक प्रकार की मनमानी है।
समाधान की आवश्यकता
शासन और प्रशासन की कार्रवाई-: शासन और प्रशासन को दुकानदारों पर कार्रवाई करनी चाहिए जो चिल्लर लेने से मना करते हैं।
–बैंकों की भूमिका- बैंकों को भी चिल्लर को स्वीकार करने और वितरित करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
-जागरूकता:- लोगों को जागरूक करना चाहिए कि चिल्लर एक वैध मुद्रा है और इसे स्वीकार करना चाहिए।
शासन व प्रशासन को इस समस्या का समाधान करना चाहिये! जिससे आम जनता हो राहत मिले ! और बाजार में चिल्लर का चलन फिर से शुरू हो !