मध्यप्रदेश

उपभोक्ता आयोग ने याचिकाकर्ता को दी राहत, क्रेडिट कार्ड कंपनी की वसूली पर लगी रोक

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उपभोक्ता आयोग ने याचिकाकर्ता को दी राहत, क्रेडिट कार्ड कंपनी की वसूली पर लगी रोक

इंदौर – जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग ने एक उपभोक्ता के वनकार्ड क्रेडिट कार्ड के माध्यम से किये गए साइबर फ्रॉड के मामले में याचिकाकर्ता के पक्ष में अंतरिम आदेश पारित करते हुए बैंक द्वारा की जा रही वसूली की कार्रवाई पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है।

यह मामला तब सामने आया जब गत वर्ष 2 अगस्त को एक साइबर अपराधी ने अधिवक्ता विस्मित पानोत के क्रेडिट कार्ड से, फिशिंग के ज़रिए, ₹51876/- की राशि उड़ा ली जिसकी जानकारी अधिवक्ता द्वारा तुरंत ही बैंक और साइबर क्राइम टीम को दी गई थी किन्तु फिर भी बैंक द्वारा उक्त संबंध में कोई समयबध्द कदम नहीं उठाए गए उल्टा बिल राशि मे बैंक ने उक्त राशि भी जोड़ के चुकाने हेतु कहा और जब अधिवक्ता पानोत ने ऐसा नही किया तब बैंक ने उक्त राशि पर ब्याज और पेनल्टी जोड़ते हुए उसे ₹ 69632 /- तक पहुच दिया और वसूली हेतु परेशान करना प्रारंभ कर दिया जिस पर अधिवक्ता पानोत ने कार्ड जारीकर्ता बैंक और वसूली कंपनी के विरुद्ध उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई। आयोग के समक्ष बैंक की ओर से कोई उपस्थित नही हुआ जिसके बाद आयोग ने इस मामले में शिकायतकर्ता और वसूली कंपनी को सुना और दस्तावेजों की जांच की और प्रथम दृष्टया पाया कि सुविधा का संतुलन शिकायतकर्ता के पक्ष में है जिसके बाद आयोग ने दिनांक 11.09.2025 को स्थगन आवेदन पर आदेश पारित करते हुए कहा कि जब तक इस मामले में अंतिम निर्णय नहीं हो जाता, तब तक बैंक द्वारा याचिकाकर्ता से किसी भी प्रकार की वसूली नहीं की जा सकती। आयोग ने याचिकाकर्ता की अर्जी स्वीकार कर ली है और वसूली की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। गौरतलब है कि साइबर फ्रॉड के मामले में रिज़र्व बैंक ने ग्राहकों की सुरक्षा के लिए कई नियम बनाए हैं, जैसे कि –

शून्य दायित्व:- यदि ग्राहक 3 कार्यदिवसों के भीतर अनधिकृत लेनदेन की रिपोर्ट करता है, तो उसे कोई नुकसान नहीं होगा।

-सीमित दायित्व:- यदि ग्राहक 4-7 कार्यदिवसों के बीच अनधिकृत लेनदेन की रिपोर्ट करता है, तो उसकी देयता सीमित होगी, जो खाते के प्रकार पर निर्भर करती है।

यह फैसला उपभोक्ता संरक्षण के प्रति आयोग की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। साइबर फ्रॉड के मामलों में यह आवश्यक है कि बैंक और वित्तीय संस्थान समयबद्ध कदम उठाएं और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करें।

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