संघ शताब्दी वर्ष पर पथ संचलन को लेकर प्रत्येक हिन्दू घर पहुंच रहे स्वयंसेवक


87 वर्ष पहले सीतामऊ पहुंच गया विश्व का सबसे बड़ा संगठन आरएसएस
इस बार निकलेगा विशाल पथ संचलन नागरिकों में उत्साह का माहौल
सीतामऊ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने पर हर हिन्दू घर संघ पहुंचे और परिवार के सदस्य स्वयं सेवक बनकर पथ संचलन में शामिल हो इसको लेकर दायित्व वान स्वयं सेवकों द्वारा घर-घर जाकर संपर्क कर गणवेश वितरण कि जा रही है। वहीं नगर में संघ के प्रति नागरिकों में उत्साह का माहौल देखने को मिल रहा है। इस बार विशाल पथ संचलन निकलने का अनुमान लगाया जा रहा है।उल्लेखनीय है कि ऐतिहासिक छोटी काशी शिक्षा धर्म कि ही नगरी नहीं रही बल्कि राष्ट्र के प्रति समर्पित भाव रखते वाले अजय वीरों का भी नगर रहा है। यहां के नागरिकों का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का बहुत वर्षों पुराना नाता है।
जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ नागपुर से इंदौर पहुंचा और इंदौर से वर्ष 1938 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सीतामऊ नगर में प्रवेश हो गया था।संघ के स्वयं सेवकों कि उस समय आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी फिर भी पथ संचलन भव्य निकले इसको लेकर चिंता रखते हुए एनसीसी कैडेट्स से उधार नेकर लाकर पथ संचलन उत्सव आयोजनों में सम्मिलित होते थे यही नहीं सबसे कम खर्च का अल्पाहार सेव परमल चने खाकर स्वयं सेवकों में राष्ट्र प्रेम संघ का भाव जागृति को ज्योति को जलाया रखा।
वरिष्ठ स्वयं सेवकों से प्राप्त जानकारी अनुसार संघ की स्थापना सन् 1925 में हुई।स्थापना के बाद ही संघ कार्य का विस्तार शुरू हुआ। संघ के इस संगठन को एक हिंदूवादी संगठन के रूप में देखा जाने लगा। लगभग वर्ष 1938 में आजादी के पूर्व तक यह संगठन सीतामऊ नगर में भी अपनी विशिष्ट पहचान के लिए जाना जाने लगा । उस समय ऐसा बताते है कि सीतामऊ के अधिकांश घरों से संघ की शाखा में जाने वाले स्वयं सेवक थे ।आजादी के पूर्व संघ कार्य करने वालों कि भी श्रृंखला थी जो नियमित संघ शाखा में जाकर सामाजिक, सांस्कृतिक एवं खेलकूद आदि गतिविधियों के द्वारा संगठन को मजबूत करने का कार्य करते थे।किन्तु 1947 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ पर प्रतिबंध लगाने के कारण संघ कार्य पुनः प्रभावित हुआ।सीतामऊ नगर में संघ की शाखा मोड़ी माताजी के प्रांगण में लगती थी उस समय संघ की शाखा में जाने वालों को नगर से गुजर कर जाने में कितने ही तानों को सुनना पड़ता था , संघ शाखा पर आए दिन समस्याओं से जूझना पड़ता था, इन सभी विकट परिस्थितियों के बीच भी स्वयंसेवकों के हौसलों को परास्त करने की ताकत किसी में भी नहीं थी। संघ का एक मात्र लक्ष्य इस राष्ट्र की परम वैभव तक पहुंचाने का है जिसके लिए सतत प्रयत्न करते हुए आज यह संगठन विश्व का सबसे बड़ा संगठन बनने में सफल हो पाया है । इस शताब्दी वर्ष पर सीतामऊ के सभी स्वयंसेवक संघ कार्य में अपनी आहुति देने वाले सभी प्रचारकों एवं स्वयंसेवकों की तपस्या को नमन करते है ।



