धनगर ने जिला कलेक्टर के नाम सोपा ज्ञापन ज्ञापन,जिम्मेदार कर्मचारियों पर की कार्रवाई की मांग

धनगर ने जिला कलेक्टर के नाम सोपा ज्ञापन ज्ञापन,जिम्मेदार कर्मचारियों पर की कार्रवाई की मांग
नीमच -धनगर की उपजातियों को विमुक्त घुमक्कड़ एव अर्ध घुमक्कड़ जाति के प्रमाण पत्र ना देने पर शासकीय जिम्मेदार कर्मचारियों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 166 (क) के तहत कार्यवाही करने हेतु रमेश धनगर प्रदेश उपाध्यक्ष विमुक्त घुमंतू एवं अर्ध घुमंतु महासंघ मध्य प्रदेश ने जिला कलेक्टर के नाम ज्ञापन सोपा गया।जिसमें जिम्मेदार कर्मचारियों पर कार्रवाई की मांग की गई ।श्री धनगर ने बताया कि मध्यप्रदेश शासन के विमुक्त घुमक्कड़ एव अर्ध घुमक्कड़ जनजाति कल्याण विभाग, भोपाल के आदेश क्रमांक एफ 12/02/2018/62 दिनांक 04 अक्टूबर 2018 को मध्यप्रदेश राज्य की विमुक्त घुमक्कड़ एव अर्ध घुमक्कड़ जनजाति की सूची के क्रमांक 30 पर धनगर जाति की सभी उपजातियों गडरिया, कुरमार , हटकर, हाटकर, गाडरी, धारियां, गोसी, ग्वाला (गडरिया), गारी, गायरी, गडरिया (पाल बघेले) को जोड़ा गया है। यह जानकारी हम समाज बंधु आपको देना चाहते है ताकि भविष्य में कोई अधिकारी इस विषय पर जानकारी ना होने का बहाना ना बना पाए। भविष्य में यदि कोई कर्मचारी ऐसा बहाना बनाता है कि उन्हें ऊपर से सरकार के आदेश नहीं है तो उसकी अंतिम जिम्मेदारी आपकी मानी जाएगी और इसमें जिला कलेक्टर को दोषी माना जाएगा। सरकारी कर्मचारियों को जानकारी होने के बावजूद सरकारी आदेश की अवहेलना करना यह भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 166(A) या 166 (क) के तहत दंडनीय अपराध है। इसमें सरकार ने कर्मचारीयों को कम से कम छह महीने व अधिकतम 2 वर्ष की सजा का प्रावधान संविधान में कर रखा है। हमारा समाज अशिक्षित होने के कारण शासन के आदेशों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखता है। जब भी धनगर समाज का कोई भी व्यक्ति या विद्यार्थी विमुक्त घुमक्कड़ एव अर्ध घुमक्कड़ जाति के प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करता है तो अधिकारी उनसे सरकारी आदेश की प्रति मांगते है जो कि बिल्कुल गलत है। शासन के अधिकारियों को शासन के आदेशों की जानकारी नहीं होना अपराध की श्रेणी में आता है। लेकिन जानकारी का अभाव बताकर जाति प्रमाण पत्र ना बनाना कर्मचारियों के लिए एक बहाना बन गया है। सरकार के आदेश की प्रति आम जनता से मांगने की जगह स्वयं कर्मचारियों/अधिकारियों को शासन के आदेश की जानकारी होना जरूरी है।अतः आपसे पुनः आग्रह करते है कि पटवारी, तहसीलदार व उपखंड अधिकारी सहित संबंधित सभी कर्मचारियों को आदेश जारी कर उन्हें तुरंत धनगर समाज के उन सभी आवदेकों जिनके आवेदन निरस्त किए हे उनकी लिस्ट बनाकर लिखित में उनसे माफी मांगते हुए प्रशासन के कर्मचारी स्वयं उनसे संपर्क कर पुनः आवेदन करने के लिए कहे व पूर्व में जाति प्रमाण पत्र के निरस्त किए गए आवेदन पर हुए खर्च का भुगतान स्वयं शासन के कर्मचारी करे यही उनके लिए सजा है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृति ना हो। जो कर्मचारी सात दिन के अंदर लिखित में आवदेकों से माफी ना मांगे व पूर्व में किए गए आवेदन का खर्च ना उठाए उन पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 166 (क) के तहत कार्यवाही की मांग करते है ।यदि 15 दिन के अंदर ऐसे कर्मचारियों पर कोई कार्यवाही नहीं होती है तो समाज की एक कमेटी बनाकर निरस्त किए गए आवेदकों को एकत्रित कर आवेदन निरस्त जिन कर्मचारियों ने किए है उनकी पहचान कर समाज उन पर कार्यवाही की मांग करेगा उसके बाद समाज द्वारा किसी भी कर्मचारी के माफी पर विचार नहीं किया जाएगा ।