अफिम खेती के लिए वर्ष 2025-26 कि नीति केन्द्र सरकार ने की जारी, पात्रता के नियम सख्त किए

अफिम खेती के लिए वर्ष 2025-26 कि नीति केन्द्र सरकार ने की जारी, पात्रता के नियम सख्त किए
नई दिल्ली। देशभर के अफीम पोस्त किसानों के लिए बड़ी खबर आई है। केंद्र सरकार ने अफीम वर्ष 2025-26 की नई खेती नीति जारी कर दी है। यह अधिसूचना नियम 8 के तहत जारी की गई है। नई नीति के अनुसार अफीम फसल वर्ष 1 अक्टूबर 2025 से 30 सितम्बर 2026 तक रहेगा। इस अवधि में केवल वही किसान अफीम पोस्त की खेती कर पाएंगे जिन्हें केंद्र सरकार की ओर से विधिवत लाइसेंस जारी किया जाएगा।
केवल अधिसूचित क्षेत्रों में खेती की अनुमति
नई नीति में सरकार ने स्पष्ट किया है कि खेती केवल उन्हीं जिलों और तहसीलों में होगी जिन्हें अधिसूचित क्षेत्र घोषित किया गया है। इन क्षेत्रों के बाहर किसी भी किसान को खेती की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस कदम का उद्देश्य अफीम उत्पादन पर नियंत्रण रखना और अवैध खेती पर रोक लगाना है।
पात्रता के नियम सख्त
किसानों की पात्रता तय करने के लिए इस बार सरकार ने कई नई शर्तें जोड़ी हैं-
केवल वही किसान पात्र होंगे जिन्होंने फसल वर्ष 2024-25 में अफीम पोस्त की खेती की हो और जिनकी प्रति हेक्टेयर मॉर्फिन उपज 4.2 किलोग्राम या उससे अधिक रही हो।
जिन किसानों ने 2022-23, 2023-24 और 2024-25 में अपनी पूरी फसल सरकार की निगरानी में नष्ट करवाई हो। (भले ही 2021-22 में उन्होंने ऐसा न किया हो।)
जिनकी अपीलें 2024-25 में मंजूर हुई थीं, उन्हें भी पात्रता मिलेगी।
जो किसान पात्र थे पर किसी कारण से पिछले साल खेती नहीं कर पाए, वे भी आवेदन कर सकते हैं।
जिन किसानों का निधन हो चुका है, उनके विधिक उत्तराधिकारी भी अनुमति लेकर खेती कर सकेंगे।
ऐसे किसान जिन्होंने पिछले वर्ष पोस्त भूसा उत्पादन में प्रति हेक्टेयर 900 किलो या उससे अधिक औसत उपज दी है, उन्हें भी पात्र माना जाएगा।
लाइसेंस के लिए अनिवार्य शर्ते
नई अफीम नीति में सरकार ने साफ किया है कि पात्रता के साथ-साथ कुछ कठोर शर्तें भी अनिवार्य होंगी –
2024-25 में खेती के दौरान लाइसेंस क्षेत्र से 5 प्रतिशत से अधिक अतिरिक्त क्षेत्र में खेती नहीं की गई हो।
किसान किसी भी समय अवैध खेती या एनडीपीएस एक्ट से जुड़े किसी अपराध में शामिल न रहा हो।
किसान के खिलाफ किसी सक्षम न्यायालय में मादक पदार्थों से संबंधित कोई आपराधिक मामला लंबित न हो।
पिछले वर्ष किसान ने एनसीबी या स्वापक आयुक्त के आदेशों का उल्लंघन न किया हो।
खेती का क्षेत्र तय
इस बार पात्र किसानों को अधिकतम 0.10 हेक्टेयर (10 आरी) तक खेती की अनुमति होगी।
यह क्षेत्र एक भूखंड में होना चाहिए, लेकिन कई खसरा नंबरों में भी फैला हो सकता है।
किसान चाहें तो दूसरों की जमीन को किराए पट्टे पर लेकर भी खेती कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए भू-स्वामी की सहमति व दस्तावेज देना जरूरी होगा।
किसानों को दो श्रेणियों में बांटा
नई नीति में किसानों को दो श्रेणियों में रखा गया है-
1. चिराई (लांसिंग) करने वाले किसान
2. बिना चिराई (सिर्फ पोस्त भूसा उत्पादन) करने वाले किसान
चिराई करने वाले पात्र किसानों को 10 आरी क्षेत्र का लाइसेंस मिलेगा।
बिना चिराई करने वालों को केवल 5 आरी क्षेत्र की अनुमति दी जाएगी।
जिन किसानों ने पिछले वर्ष 90 किलो से अधिक पोस्त भूसा उत्पादन दिया है, उन्हें इस बार चिराई श्रेणी में 10 आरी का लाइसेंस मिलेगा।
इसी प्रकार, जिन किसानों ने 2024-25 में 4.2 किलो/हेक्टेयर या उससे अधिक मॉर्फिन उपज दी है, उन्हें भी चिराई श्रेणी में शामिल किया जाएगा।
सरकार का उद्देश्य
केंद्र सरकार का कहना है कि नई अफीम नीति का मुख्य उद्देश्य –
अफीम उत्पादन पर कड़ा नियंत्रण रखना।
किसानों के बीच पारदर्शिता और अनुशासन सुनिश्चित करना।
अवैध खेती पर प्रभावी रोक लगाना।
इसके लिए पूरी प्रक्रिया सरकार की सीधी निगरानी में होगी और किसानों को समय पर पंजीयन कराना अनिवार्य रहेगा। अफीम वर्ष 2025-26 की नीति साफ तौर पर बताती है कि अब अफीम किसानों को खेती के लिए कड़े नियमों से गुजरना होगा। सरकार का मानना है कि इससे न केवल उत्पादन सुव्यवस्थित होगा बल्कि अवैध कारोबार पर भी लगाम लगेगी।



