मंदसौरमध्यप्रदेशसीतामऊ

कचनारा मे श्री बाबा रामदेव जी मंदिर पर भव्य मेले का आयोजन हुआ हजारो की संख्या मे भक्तो ने दर्शन किए 

 चारो दिशाओ से आने जाने वाले मार्ग पर भक्तो के लिए जगह-जगह पर पानी , खिर ,केला, फलिहारी व प्रसादी वितरण हुआ 
कचनारा/नाहरगढ–बाबा रामदेव जी के यू तो पूरे देश में अनगिनत मंदिर है और प्रत्येक मंदिर से आस्था जुड़ी है, किंतु इनमें से कुछ स्थल ऐसे हैं जिन्हें आध्यात्मिक चिकित्सालय माना जाता है । मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के कचनारा (नाहरगढ़) गांव में स्थित बाबा रामदेव मंदिर भी कुछ ऐसा ही है । मंदसौर कयामपुर मार्ग पर मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर मुख्य सड़क मार्ग पर स्थित कचनारा में धाम वैसे तो बहुत प्राचीन हैं । यहां पर वर्षों से चरणों की पूजा होती आई है और चरणों की पूजा से ही कई लोगों को असाध्य रोगों से मुक्ति मिली है। टेकरी पर पूरा परिसर हरियाली से सरोबार है । सोमवार को भव्य मेले का आयोजन किया गया । जिसमें हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए । रविवार से टेकरी पर श्रद्धालुओं का जमघट लगना शुरू हो गया था ।
 101 सीढ़िया चढ़कर पहुंचते हैं मंदिर-
बाबा रामदेव मंदिर प्रांगण के पूर्व दिशा में प्रारंभिक अवस्था के प्राचीन समय के पुजारी उधानाथजी की समाधि है जहां माथा टेकने एवं परिक्रमा करने की परंपरा प्रचलित है । ठीक मुख्य ग्रह एवं समाधि के बीच में यज्ञशाला है जो की मूर्ति स्थापना के समय पूस कि यज्ञशाला बनाकर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को पूर्ण किया गया था । इस महोत्सव की स्मृति में इस यज्ञशाला की स्थापना हुई । उधर दक्षिण दिशा में अलग-अलग समाजो द्वारा धर्मशाला बनाई हुई है । साथ ही पास में समिति द्वारा एक वृहद भोजनशाला का निर्माण किया गया है । उत्तर दिशा में मुख्य सड़क मार्ग से लगभग 101 सीढ़ियां चढ़कर मंदिर तक पहुंचा जाता है । सीढिया मुख्य मंदिर के बीच एक बाबा की धूनी है जहां पर भजन कीर्तन किया जाता है । पिछले कई वर्षों से अखंड ज्योति जलाई जा रहे हैं । भादवा सुदी बीज को भव्य मेले का आयोजन किया जाता है । मेले में दूरदराज से श्रद्धालु लोटन यात्रा व पैदल बाबा के जयकारे के साथ दर्शन करने आते हैं ।

1999 मंदिर जीर्णोद्धार का काम हुआ–

शुरू 1999 स्थानीय समिति द्वारा मंदिर जीर्णोद्धार का कार्य शुरू हुआ । इसके बाद राजस्थान के पिंडवाड़ा गांव के कारीगरों ने मूर्ति स्थापना का काम किया । मूर्ति का भार करीब 2 क्विंटल है । मूर्ति स्थापना वैशाख सुदी पूर्णिमा, 23 मार्च 2005 में हुई ।मान्यता है कि जिन महिलाओं को संतान सुख नहीं मिलता यह महिलाएं मंदिर परिसर में स्थित वृक्ष पर पालने बांधती है ।
भीड़ का दबाव बढ़ने से करीब 2 बजे जाम लग गया जिसमें दोपहिया वाहन चालक व पैदल श्रद्धालु परेशान होते रहे ।
 प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी भव्य मेले का आयोजन हुआ। यह स्थान मगरे पर स्थित है जो मंदसौर से 23 किलोमीटर दुर, डिगाव से 13 किलोमीटर दुर व कचनारा ग्राम से 2 किलोमीटर डिगाव से कचनारा मार्ग पर स्थित है । यह प्राचीन एतिहासिक धार्मिक स्थल है । जो भक्त श्रृद्धा से मन्नत करता है जो भी मांगता है सभी की पूरी होती है । मनुष्य के शरीर सम्बंधित कई बिमारी का उपचार दर्शन से हो रहा है साथ ही चर्म रोग व लकवा सहित अनेक बिमारी यहा आने पर ठीक हो जाती है । अंचल के भक्तजन बडी संख्या मे हर दिन आते है । जो भी बाबा रामदेव से मांगा है भक्तजन को मिला है । यह बाबा रामदेव मंदिर कचनारा मगरे पर स्थित है । समिति सदस्य व गणमान्य नागरिक अपनी सेवा देते है । आस्था व विश्वास का बडा केन्द्र है। समिति के वालेंटियर व पुलिस थाना नाहरगढ टीआई प्रभात गौड के मार्गदर्शन मे पुलिस टीम व चोकीदार एंव नगर सेवा समिति के सदस्य के साथ राजस्व विभाग व स्वास्थ्य विभाग एव महिला बाल विकास विभाग के कर्मचारी सहित सभी अपनी सेवाये देते है । यातायात विभाग व पुलिस टीम मिलकर आवागमन के लिए वाहनो के आने जाने मार्ग पर मुस्तैद है। वाहनो के लिए पार्किंग की भी दूरदराज व्यवस्था की गई है । बडे वाहनो के लिए रुट मे भी बदलाव किया है । सुबह से ही पैदल व वाहन से भक्तजन पुरुष-महिला व युवा व बच्चे बडी संख्या मे चारो दिशाओ से आने का क्रम निरंतर जारी है जो दोपहर मे दर्शन करने वालो की संख्या बडी है जो देर शाम तक रहेगी । हजारो की तादाद मे भक्तजन भजन-कीर्तन व नाचते गाते के साथ बाबा रामदेव के जय कारे की धुन दिनभर मेला क्षेत्र के दो किलोमीटर मे सुनाई देती रही है । मैला भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है सभी प्रकार की दुकान लगी हुई है ।
जय बाबारी जय बाबारी के जय कारे के साथ भव्य मेले का आयोजन हुआ।

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