मंदसौरमंदसौर जिला
तपस्वियों का चल समारोह वरघोड़ा निकला

बारसा सूत्र का श्रवण करने से महावीर स्वामी के बताये मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है- साध्वी श्री अमितगुणाश्रीजी म.सा.
मन्दसौर। स्थानीय नयापुरा रोड़ स्थित आदिनाथ जैन मंदिर (दादावाड़ी) पर परमपूज्य साध्वी श्री अमितगुणा श्रीजी म.सा. एवं श्रेयनंदिता श्रीजी म.सा. ने बुधवार को प्रातः 6.45 बजे बारसा सूत्र का वाचन किया।
साध्वीजी ने प्रवचन में कहा कि सम्पूर्ण कल्प सूत्र का सार बारसा सूत्र में बताया गया है बारसा सूत्र मे 1200 गाथा होती है जिसमे तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के जीवन चरित्र का वर्णन बताया गया है। बारसा सूत्र का श्रवण करने से धर्म आराधकों-साधको को आत्म अनुशासन आंतरिक शुद्धी, सम्यक दृष्टी एव भगवान महावीर स्वामी के बताये मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। बारसा सूत्र की रचना भद्रबाहु स्वामी द्वारा की गई रचना मूलतः प्राकृत अर्धमागधी भाषा में रचित है बारसा सूत्र का श्रवण करने से कल्पसूत्र के श्रवण जितना लाभ श्रावकों श्राविका को मिल जाता है जो कल्प सूत्र का श्रवण नहीं कर पाए उन्हें बारसा सूत्र का श्रवण करने से उतना ही लाभ मिल जाता है।
इस दौरान आपने बताया की सर्व जीवो के प्रति मिच्छामि दुक्कडम करने से पाप कर्म का क्षय होकर पुण्य का अर्जन होता है। पृथ्वी काय, उपकाय, वायुकाय, वनस्पति काय इस तरह चौरासी लाख उत्पन्न होने वाले समस्त जीवो से मिच्छामि दुक्कडम करे। मिच्छामि दुक्कडम अभयदान से बढ़ा कोई दान नहीं होता है। संसार के समस्त प्राणियों जीव आत्मा के प्रति दया करुणा परोपकार अहिंसा क्षमा के भाव होने से व्यक्ति के आंतरिक गुणों का विकास कर आत्मा को आत्म कल्याण के मार्ग पर अग्रसर करती है। संवत्सरी के महान पर्यूषण पर्व पर हमारे गत वर्षों मे परिवार, मित्र, पडोसी, समाज अथवा किसी के प्रति कोई राग द्वेष आया है तो मिच्छामि दुक्कडम कर क्षमा मांग कर कर्मों से उन्मुक्त बनने का प्रयास करना चाहिये, इससे हमारी आत्मा निर्मल शुद्ध होकर पवित्र बनती है।
इस दौरान नयापुरा श्री आदिनाथ जैन मंदिर से चैत्र परिपाटी एवं अठाई करने वाले तपस्वियों का चल समारोह वरघोड़ा निकला जिसमें श्री आगम बाफना, श्रेयांश बम, अश्विन बोथरा, वीरेन्द्र नाहटा, मीनाक्षी बोथरा, अर्पिता कोठारी, अनीता जैन, गौतम मेहता, अक्षिता मेहता, रौनक संघवी का वर घोड़ा विभिन्न मार्ग से ंनिकाला गया जो की नयापुरा गोल चौराहा होते हुए श्रेयांशनाथ मंदिर प्रभु दर्शन वंदन करते हुए सहस्त्रफना मंदिर पंहुचा जहाँ साध्वी भगवंत को गुरु वंदना करके पुनः नईआबादी होते हुए नयापुरा पंहुचा। तपस्वियों की कई जगह अनुमोदना की गई।
चल समारोह में श्री संघ अध्यक्ष कमल कोठारी चातुर्मास समिति अध्यक्ष अशोक मारु नाकोड़ा पेपर, आदिनाथ ट्रस्ट अध्यक्ष अभय चोरडिया, सकल जैन समाज पूर्व अध्यक्ष श्रीदिलीप लोढ़ा, श्री अरविन्द बोथरा, श्री पंकज डोसी, श्री अभय पोखरना, श्री विकास भंडारी, श्री यशवंत पोखरना, श्री डॉ अनिल बरडिया, श्री अभय नाहटा, श्री समरथ लोढ़ा, श्री श्याम छाजेड, श्री अशोक मेहता रानू रेडियो, श्री धीरज लोढ़ा, श्री अरुण लोढ़ा, श्री राजेन्द्र धारीवाल, श्री कुशल लोढ़ा, श्री शिखर धारीवाल, श्री सुशील बोथरा, श्री सुरेश कोठारी, श्री नितेश डोसी, श्री परसमल लोढ़ा, श्री ललित लोढ़ा, श्री अर्पित पोखरना, श्री प्रदीप लोढ़ा, श्री राजेश कोठारी, श्री चित्रेश कोठारी, श्री अंशुल कोठारी, श्री चंद्रेश बाफना, श्री प्रदीप चन्डावला, श्री सुरेंद्र डोसी, श्री सुनील बाफना, श्री प्रकाश कोठारी, श्री सुरेश बाफना, श्री देवेंद्र चौधरी, श्री चंद्रेश बाफना, श्री अनिल मुरडिया उपस्थित रहे। प्रभावना श्री बलवंत सिंह कोठारी, सौरभ मनसुख लाल डोसी, राजेन्द्र जीतेन्द्र दीक्षांत धारीवाल परिवार द्वारा वितरित की गई। परमात्मा की आंगी श्री यशवंत सिंह प्रतिक पोखरना परिवार द्वारा करवाई गई।

साध्वीजी ने प्रवचन में कहा कि सम्पूर्ण कल्प सूत्र का सार बारसा सूत्र में बताया गया है बारसा सूत्र मे 1200 गाथा होती है जिसमे तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के जीवन चरित्र का वर्णन बताया गया है। बारसा सूत्र का श्रवण करने से धर्म आराधकों-साधको को आत्म अनुशासन आंतरिक शुद्धी, सम्यक दृष्टी एव भगवान महावीर स्वामी के बताये मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। बारसा सूत्र की रचना भद्रबाहु स्वामी द्वारा की गई रचना मूलतः प्राकृत अर्धमागधी भाषा में रचित है बारसा सूत्र का श्रवण करने से कल्पसूत्र के श्रवण जितना लाभ श्रावकों श्राविका को मिल जाता है जो कल्प सूत्र का श्रवण नहीं कर पाए उन्हें बारसा सूत्र का श्रवण करने से उतना ही लाभ मिल जाता है।
इस दौरान आपने बताया की सर्व जीवो के प्रति मिच्छामि दुक्कडम करने से पाप कर्म का क्षय होकर पुण्य का अर्जन होता है। पृथ्वी काय, उपकाय, वायुकाय, वनस्पति काय इस तरह चौरासी लाख उत्पन्न होने वाले समस्त जीवो से मिच्छामि दुक्कडम करे। मिच्छामि दुक्कडम अभयदान से बढ़ा कोई दान नहीं होता है। संसार के समस्त प्राणियों जीव आत्मा के प्रति दया करुणा परोपकार अहिंसा क्षमा के भाव होने से व्यक्ति के आंतरिक गुणों का विकास कर आत्मा को आत्म कल्याण के मार्ग पर अग्रसर करती है। संवत्सरी के महान पर्यूषण पर्व पर हमारे गत वर्षों मे परिवार, मित्र, पडोसी, समाज अथवा किसी के प्रति कोई राग द्वेष आया है तो मिच्छामि दुक्कडम कर क्षमा मांग कर कर्मों से उन्मुक्त बनने का प्रयास करना चाहिये, इससे हमारी आत्मा निर्मल शुद्ध होकर पवित्र बनती है।
इस दौरान नयापुरा श्री आदिनाथ जैन मंदिर से चैत्र परिपाटी एवं अठाई करने वाले तपस्वियों का चल समारोह वरघोड़ा निकला जिसमें श्री आगम बाफना, श्रेयांश बम, अश्विन बोथरा, वीरेन्द्र नाहटा, मीनाक्षी बोथरा, अर्पिता कोठारी, अनीता जैन, गौतम मेहता, अक्षिता मेहता, रौनक संघवी का वर घोड़ा विभिन्न मार्ग से ंनिकाला गया जो की नयापुरा गोल चौराहा होते हुए श्रेयांशनाथ मंदिर प्रभु दर्शन वंदन करते हुए सहस्त्रफना मंदिर पंहुचा जहाँ साध्वी भगवंत को गुरु वंदना करके पुनः नईआबादी होते हुए नयापुरा पंहुचा। तपस्वियों की कई जगह अनुमोदना की गई।
चल समारोह में श्री संघ अध्यक्ष कमल कोठारी चातुर्मास समिति अध्यक्ष अशोक मारु नाकोड़ा पेपर, आदिनाथ ट्रस्ट अध्यक्ष अभय चोरडिया, सकल जैन समाज पूर्व अध्यक्ष श्रीदिलीप लोढ़ा, श्री अरविन्द बोथरा, श्री पंकज डोसी, श्री अभय पोखरना, श्री विकास भंडारी, श्री यशवंत पोखरना, श्री डॉ अनिल बरडिया, श्री अभय नाहटा, श्री समरथ लोढ़ा, श्री श्याम छाजेड, श्री अशोक मेहता रानू रेडियो, श्री धीरज लोढ़ा, श्री अरुण लोढ़ा, श्री राजेन्द्र धारीवाल, श्री कुशल लोढ़ा, श्री शिखर धारीवाल, श्री सुशील बोथरा, श्री सुरेश कोठारी, श्री नितेश डोसी, श्री परसमल लोढ़ा, श्री ललित लोढ़ा, श्री अर्पित पोखरना, श्री प्रदीप लोढ़ा, श्री राजेश कोठारी, श्री चित्रेश कोठारी, श्री अंशुल कोठारी, श्री चंद्रेश बाफना, श्री प्रदीप चन्डावला, श्री सुरेंद्र डोसी, श्री सुनील बाफना, श्री प्रकाश कोठारी, श्री सुरेश बाफना, श्री देवेंद्र चौधरी, श्री चंद्रेश बाफना, श्री अनिल मुरडिया उपस्थित रहे। प्रभावना श्री बलवंत सिंह कोठारी, सौरभ मनसुख लाल डोसी, राजेन्द्र जीतेन्द्र दीक्षांत धारीवाल परिवार द्वारा वितरित की गई। परमात्मा की आंगी श्री यशवंत सिंह प्रतिक पोखरना परिवार द्वारा करवाई गई।