आध्यात्मनीमचमध्यप्रदेश

भक्ति का विरोधी खरपतवार जैसा है-शास्त्री

 श्रीकृष्ण-सुदामा मिलन प्रसंग के साथ हुआ कनावटी में चल रही 7 दिनी श्रीमद भागवतकथा ज्ञान गंगा महोत्सव का विश्राम

नीमच, 24 अगस्त (नप्र)। फसल बोना पड़ती हैं लेकिन खरपतवार अपने आप उगते है। वहीं भक्ति का विरोध करने वाले खरपतवार जैसे है। हैप्पी बर्थडे जैसी पश्चिम के संस्कार हमारे सनातन संस्कार का न उड़ा दे। पाश्चात्य का अनुकरण न करे। भगवान भी भक्तों को याद करते हैो। सुख में सुमरिन करो तो दुख नही आता। दुख आ रहा मतलब भगवान याद कर रहे हैं। ऐश्वर्य के आने पर ईश्वर को न भूले।
यह बात पं.भीमाशंकर शास्त्री (धारियाखेड़ी)ने कही। कनावटी स्थित श्रेष्ठा पेराडाईस रिसोर्ट में चल रहे श्रीमद भागवतकथा ज्ञान गंगा महोत्सव के अंतिम सांतवे दिन उन्होंने कृष्ण-सुदामा मिलन प्रसंग सुनाया। उक्त प्रसंग पर आधारित झांकी व अभिनय की प्रस्तुति भी दी गई। इस दौरान कई श्रद्धालुओं की आंखें भी भर आई। उन्होंने कहा मित्र सुदामा के गरीब और फटेहाल कपड़ों को न देखकर उनके भावों को समझो और उनकी सच्ची मित्रता पर जोर दिया है। साथ ही यह भी बताया कि कैसे श्रीकृष्ण ने सुदामा को खाली हाथ जाने नहीं दिया और उन्हें बहुत सारा धन दिया। साथ ही यह भी कहा कथा विराम का दिन संकल्प का होता है। हमें भक्ति मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। शरीर से मृत्यु हो जाती लेकिन संसार याद करता हैं तो आप जीवित यानी अमर है। मीरा व सूरदास आज भी यश के रूप में जिंदा है। अपने कर्म सदैव स्मरण किए जाते है। भलाई के काम करना हैं, यही आपकी गवाई देने आएंगे। विचारों को शुद्ध रखने का संकल्प ले।
चाय बिगड़ी तो सुबह, बाल बिगड़े तो दिन, आचार बिगड़े तो साल और विचार बिगड़े तो जीवम बिगड़ जाता है। उन्हें सुरक्षित और संरक्षित रखना। इसके लिए बार-बार कथा को सुनो। इससे व्यक्ति वास्तविक स्वरूप में आ जाता है। 9 भक्ति में सखा भक्ति भी होती है। सत्संग में जाना प्रथम भक्ति है। अंत में कथा के मुख्य यजमान व आयोजक नाथूलाल पाटीदार परिवार के सदस्यों ने कथावाचक पं.शास्त्री का सम्मान किया और आभार भी व्यक्त किया। अंतिम दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा श्रवण करने पहुंचे।
परिवार में हर कोई बड़ा बना तो वह बिखरता है-
पं. शास्त्री ने परिवार की स्थिति पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा परिवार में जब तक बड़े लोगो की चलती तब तक बिखराव नही होता है। परंतु जब परिवार में जब हर कोई बड़ा बने तो परिवार में बिखराव होता है। साथ ही मंदिर जाओ तो भगवान से शिकायत की बजाए धन्यवाद दो। भगवान को प्रणाम करने और रिझाने जाओ। जैसा देह के साथ व्यवहार करते है वैसा देवताओ के साथ भी करो। श्रेष्ठ वस्तु ही परमात्मा को समर्पित करें । उसके जीवन में भी श्रेष्ठ होता हे। निर्धनता में अगर जीवन बीता हैं तो विचार करना। पैसे वालों के शब्दों में तीर होता है। वे गरीबों का अपमान करते है। कथा सीखाती हैं कि कभी किसी की औकात भूलकर भी मत बोलना। ईश्वर की कृपा से आप संपन्न है। लेकिन ओरो के ह्रदय को ठेस लगे ऐसा मत बोलो। धरती पर कुछ भी असम्भव नही है। जो साधना के मार्ग पर चलता उसकी दिशा और दशा दोनों बदल जाती हैं। हम आजकल धन को सुख का कारण मानते हैंं लेकिंन वह नही है। जिसके पास राम नाम धन हैं वह बहुत धनवान है। भक्ति का असर होता हैं। जीवन में साधक बन जाओ सब कुछ संभव होगा।
अटेक से मृत्यु सबसे ज्यादा पुरूषों की होती है-
पं. शास्त्री ने बताया कि एक सर्वे में बताया कि अटैक से ज्यादा मृत्यु पुरूषों की होती है। इसके पीछे एक आध्यात्मिक कारण है। माता-बहने हृदय से जीती हैं और पुरुष बुद्धि से जीता है। हृदय से जीने वालों को अटेक की संभावना कम होती है। कोई बड़ा सपना देखना और पूरा करने में पूरा जीवन लगा दो। कुछ लोग शरीर से काम नही लेना चाहते है। जीवन मिले तो बहुत कार्यो करो। जितना हो सके उपयोग करो। बराबर पैसे वाले दोस्त बनते हे। उम्र, विचारधारा, जाति, व्यसन से मित्रता बनती हैं। गरीब व्यक्ति बहुत सोचते है और स्वाभिमान से जीवन जीते है। लोग क्या कहेंगे इसकी चिंता मत करो। अपने मार्ग को मत छोड़ना ।
सतयुग आ रहा है कलयुग गया-
उन्होंने कहा सन 2000 से सतयुग आ गया और कलयुग चला गया। इसमें धर्म बढ़ रहा है व अधर्म कम हो रहा है। यही सतयुग है। हरि हैं जब तक सम्मान है। हरि को सदैव स्मरण रखना किया करना। अंत मे योग मुद्रा में 11 बार ॐ हरि ये नम मंत्र जाप किया।
दीक्षा सत्र में दिया गुरू मंत्र
कथा विराम के बाद दीक्षा सत्र का आयोजन हुआ। जिसमें पं.शास्त्री से कई श्रद्धालुओं ने गुरूमंत्र के साथ दीक्षा ली। उन्होंने कहा कि गुरु मुख से जो गुरु मंत्र श्रवण कर लेता हैं उसे 7 करोड़ मंत्र का प्रतिफल प्राप्त होता है। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु के दर्शन जरूर करना चाहिए। इससे कई जन्मों के पाप समाप्त हो जाते है। दीक्षा लेकर अच्छे मार्ग पर चले। एक मंदिर के रोज दर्शन करो। दीक्षा मंत्र किसी को बताना मत। हमारी समिति जो आश्रम निर्माण का प्रकल्प धरती पर तैयार कर रही है वह दीक्षार्थियों के लिए ही रहेगा।
भजनों सुन छलक गए आंसू-
कथा के दौरान पं. शास्त्री ने संगीतय भजनों की प्रस्तुति दी तो कथा पांडाल में मौजूद कई श्रद्धालुओं की आंखों से आंसू छलक गए। तीनों लोकन से न्यारी, राधा रानी हमारी…दशा मुझ दीन की भगवन संभालोगे तो क्या होगा, अगर चरणों की सेवा में लगा लोगे तो क्या होगा….,चले श्याम सुंदर से मिलने सुदामा…..,सुन सँवारे तेरे भरोसे मेरी…सुन संवारे तेरे ही भरोसे मेरी नाव……बता मेरे यार सुदामा रे तू घणा दिना मेंआया …..जैसे भजनों की प्रस्तुति दी तो श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे।

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