मंदसौरमध्यप्रदेशसमस्या

तैलिया तालाब के अमृत को जहरीला बना रही अमृत रिफ़ाईनरी

तैलिया तालाब के अमृत को जहरीला बना रही अमृत रिफ़ाईनरी

जिम्मेदारों के गैर-जिम्मेदाराना रवैये से शहर का सबसे बड़ा जल स्त्रोत खतरे में, तैलिया तालाब को गंदा नाला बना देगी अमृत रिफ़ाईनरी, आधे शहर में फैला रही भीषण वायु प्रदूषण, मेडिकल कॉलेज भी आया अमृत रिफ़ाईनरी के जहरीले धुएं की चपेट में, फिर भी जिम्मेदार मौन आखिर क्यों ?

मन्दसौर। वैसे तो मन्दसौर शहर भगवान श्री पशुपतिनाथ महादेव की नगरी होने के कारण पवित्र नगरी की लिस्ट में शुमार है, लेकिन इस पवित्र नगरी में कई प्रकार से अपवित्र कृत्य होते है। उन्हीं पाप कर्मो में से आज हम एक पाप कर्म की बात करेंगे जिसके कारण शहर का सबसे बड़ा जल स्त्रोत तैलिया तालाब गंदा नाला बनने की ओर अग्रसर है। ज़ी हाँ जिस तैलिया तालाब से शहर के लोगों के *कंठ* *तर* होते है, जिस तैलिया तालाब के कारण शहर के जल स्त्रोत रिचार्ज होते है उस तैलिया तालाब पर अमृत रिफ़ाईनरी के संचालकों की कु-दृष्टि पड़ चुकी है। शहर के एकमात्र पिकनिक स्पॉट को निगलने को आतुर अमृत रिफ़ाईनरी को आखिर कब बंद किया जाएगा ? आधे शहर में रात-दिन वायु प्रदुषण फैलाकर जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वालों पर आखिर किसका आशीर्वाद है ? फैक्ट्री का जहरीला वेस्ट मटेरियल तैलिया तालाब में छोड़कर तालाब को नष्ट करने वालों को इतना बड़ा अपराध करने की छूट कौन दे रहा है ?

तैलिया तालाब में छोड़ रहे वेस्ट मटेरियल

किसी भी फैक्ट्री का वेस्ट मटेरियल उसी फैक्ट्री के परिसर में डिस्ट्राय किया जाता है, लेकिन अमृत रिफ़ाईनरी के संचालक द्वारा फैक्ट्री का वेस्ट मटेरियल तैलिया तालाब में छोड़ा जा रहा है जिससे तालाब के पानी में ऑक्सीजन की कमी हो रही है और जल जीव मारे जा रहे हैं। अमृत रिफ़ाईनरी वालों द्वारा जिस स्थान से जहरीला कैमिकल युक्त बदबूदार पानी छोड़ा जा रहा हैं उस जगह हमारी टीम ने मौका मुआयना भी किया है। अगर यह जहरीला पानी तैलिया तालाब में जाने से नहीं रोका गया तो बहुत जल्द तैलिया तालाब एक सुंदर तस्वीर तब्दील होकर गंदा नाला बनकर रह जाएगा।

क्या कहता है नियम

जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 भारत में जल प्रदूषण को रोकने और नियंत्रित करने के लिए बनाया गया है। इस अधिनियम के तहत यदि कोई फैक्ट्री संचालक जल प्रदूषण करता है, तो उस पर निम्नलिखित कानूनी कार्यवाही की जा सकती है:

जुर्माना: अधिनियम में जल प्रदूषण करने पर जुर्माना लगाने का प्रावधान है। जुर्माना राशि प्रदूषण की गंभीरता और बार-बार उल्लंघन पर निर्भर करती है।

कारावास: गंभीर मामलों में, फैक्ट्री संचालक को कारावास की सजा भी हो सकती है।

अन्य दंड:अधिनियम में बोर्ड द्वारा दी गई शर्तों का उल्लंघन करने पर भी दंड का प्रावधान है, जैसे कि उद्योग को बंद करना या अन्य आवश्यक कदम उठाना।

वायु प्रदुषण कर शहरवासियों के स्वास्थ्य पर हमला

अमृत रिफ़ाईनरी के संचालक को सिर्फ उनका फायदा दिख रहा है ना तो मुख्य जल स्त्रोत तैलिया तालाब को नष्ट करने में कोई शर्म आ रही ना लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते हुए शरमा रहे। फैक्ट्री से रात-दिन जहरीला धुंआ निकलता है जो घहरी लेयर बनाकर आधे शहर के ऊपर फ़ैल जाता है। शहर की कॉलोनीयों के ऊपर यह धुंआ बादलों जैसा दिखता है। इससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

मेडिकल कॉलेज डूबा धुएं में

विचारणीय यह है की जिस मेडिकल कॉलेज को बीमारों को स्वस्थ करने के लिए खोला गया है उस मेडिकल कॉलेज को अमृत रिफ़ाईनरी का धुआं घेर लेता है तो सोचिये वहाँ एडमिट मरीजों के स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

वायु प्रदूषण पर सजा

वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981: यह अधिनियम वायु प्रदूषण को रोकने और नियंत्रित करने के लिए बनाया गया है।

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986: यह अधिनियम पर्यावरण को किसी भी प्रकार के प्रदूषण से बचाने के लिए बनाया गया है।

दंड-

पहला उल्लंघन: तीन महीने तक की कैद या दस हजार रुपये तक का जुर्माना, या दोनों।

लगातार उल्लंघन: पहले दंड के बाद, हर दिन के लिए पांच हजार रुपये तक का अतिरिक्त जुर्माना लगाया जा सकता है।

अन्य कानूनी कार्यवाही:

यदि कोई फैक्ट्री प्रदूषण नियंत्रण मानकों का उल्लंघन करती है, तो राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नोटिस जारी कर सकता है और प्रदूषण को कम करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने का आदेश दे सकता है।

यदि फैक्ट्री संचालक आदेश का पालन नहीं करता है, तो बोर्ड औद्योगिक इकाई को बंद करने या अन्य आवश्यक कदम उठाने का आदेश दे सकता है।

कहीं तालाब की हत्या करने की भूमाफियाओं ने सुपारी तो नहीं दी ?

तैलिया तालाब को पहले से ही भूमाफियाओं की नजर लगी हुई है। तालाब पर कब्जा करते-करते उसे समेट दिया गया है। ऐसे में अमृत रिफ़ाईनरी द्वारा तालाब के जल में जहरीला कैमिकल युक्त बदबूदार पानी छोड़ना सवाल खड़ा करता है कि कहीं भूमाफियाओं ने अमृत रिफ़ाईनरी के संचालक को तैलिया तालाब की हत्या करने की सुपारी तो नहीं दे दी है ? क्योंकि जहरीले कैमिकल से तालाब के पानी में ऑक्सीजन की कमी होगी तो जल जीव मारे जाएंगे, जल जीव जल में नहीं होंगे तो जल प्रदूषित हो जाएगा जैसा शिवना नदी का हुआ। धीरे-धीरे तालाब गंदा नाला बन जाएगा और नालों पर कब्जा करना तो मन्दसौर के भूमाफियाओं का पुराना शौक रहा है।जिम्मेदार समय पर जाग जाएं तो शहर हित में अच्छा होगा।

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