पहला संस्कार अच्छे से निभाया तो परिवार और अगली पीढ़ी दोनों ठीक हो जाती है – प्रांतिय समन्वयक श्रीमती तोमर

गायत्री परिवार के तत्वाधान में पुंसवन संस्कार एवं नौ कुंडिय यज्ञ कार्यक्रम सीतामऊ में संपन्न, 56 दम्पतियों ने लिया लाभ

श्रीमती तोमर ने कहा कि सोलह संस्कार में पहला संस्कार गर्भाधारण संस्कार होता है। गुरुदेव कहते हैं कि पहला संस्कार अच्छे से निभाया तो परिवार और अगली पीढ़ी दोनों ठीक हो जाती है। हमे मन चाही संतान राम, कृष्ण, दूर्गा, रानी लक्ष्मीबाई जैसी हो इसके लिए युवा पीढ़ी दोनों को सोचना पड़ेगा और गर्भाधान संस्कार के लिए आना पड़ेगा। रानी पद्मिनी ने राजा को आश्वस्त किया कि अगली संतान होगी वह राजपाठ संभालने वाली होगी। रानी ने अच्छी पुस्तकें पढ़ना भगवान राम कृष्ण महापुरुषों के जीवन पर थी। और अच्छा देखने अच्छा सोचने का परिणाम यह हुआ कि जो संतान हुई आगे चलकर राजपाठ संभालने के साथ चक्रवृति राजा बना। कहने का तात्पर्य है कि हम जैसा चाहते हैं वैसा हमारा परिवार बेटे बेटी होंगे।
हमारे जीवन में वनस्पतियों का बहुत महत्व है।वनस्पतियों से कई बिमारियों को समाप्त किया जा सकता है। यहां भी तीन वनस्पतियों से बनी दवाई को सुंघाई जाएंगी। माताओं बहनों को अच्छी शिक्षा मिले कैसी दिनचर्या रहें इसके लिए हम वाट्सएप ग्रुप से जोड़ेंगे।जो माताएं बहनें गर्भावस्था में है उन्हें पेट पर हाथ रख कर अपने बच्चे से बात करना चाहिए।हम अच्छा भोजन कर रहे हैं इस भोजन से लाभ बताए गलत भोजन करने से शरीर को नुक्सान के बारे में बताएं। साधारण भोजन दो घंटे में पच जाता है परंतु मांसाहार 24 घंटे में भी नहीं पचता है। ऐसे में जो 24 घंटे में भी नहीं पचता उससे शरीर को कितना नुक़सान होता है।यह हम जानना होगा।जब स्नान करने जाए तो स्नान करने कि बोले नहाते हुए भजन मंत्र बोलें जो मंत्र आपने गुनगुनाया वह उसके पैदा होने के बाद रोता है उस समय सुना देंगे तो रोता बंद हो जाएगा। जब पेट के अंदर बच्चा और अपने कहा कि चलो बेटा भोजन करना है और भोजन के समय मंत्र भजन गुनगुनाते हुए भोजन करते हैं तों बच्चा जब इधर उधर घुम रहा पास में बुलाना है वह गीत भजन मंत्र माता सुनाती है तो बच्चा आकर बैठ जाएगा। एक अच्छे बच्चे का 80 प्रतिशत निर्माण माता पेट में ही विभिन्न अच्छे क्रियाकलापों कर कर सकते हैं।
श्रीमती तोमर ने कहा कि हमारी संतान के कोई टुकड़े टुकड़े कर दे या नीले ड्रम में काटकर भर दें ऐसी नहीं हो और गुणवान हो तो गायत्री परिवार से जुड़कर संस्कारो को अपनाना होगा। गायत्री परिवार एक ऐसा आध्यात्मिक परिवार तपोनिष्ठ गुरु पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के सानिध्य में हम कार्य करते हैं हमारे यहां किसी से कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। यहां कोई मठाधीश नहीं होता है। सभी सेवा भाव से कार्य करते हैं। जहां स्वार्थ होता है वहां परमार्थ नहीं हो सकता है।
कार्यक्रम में नपं अध्यक्ष श्री मनोज शुक्ला ने संबोधित करते हुए कहा कि जितने भी वेद और पुराणों में सबसे शक्तिशाली मंत्र है तो वह गायत्री मंत्र है। इसके जाप से ही जीवन बदल जाता है।
संपादक संघ जिलाध्यक्ष लक्ष्मीनारायण मांदलिया ने संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में संस्कारों के अभाव में परिवार रिश्ते नाते टूट रहें। संस्कार जहां है वहां एक दुसरे का आदर सम्मान है। कहते हैं कि संस्कार विहिन समाज पशु कि तरह हो जाता है। हमारे पूर्वजों ने शिक्षा संस्कार सभी विरासत में प्रदान किए हमारा धर्म आध्यात्म वैज्ञानिक आधारित है इसलिए हम सब सनातन धर्म से जुड़े और गायत्री परिवार के साथ चले। प्रतिदिन गायत्री मंत्र का रात्रि कालीन जाप करने से सुख एवं आनंद कि अनुभूति होती है।
माताएं आहार विहार का रखें ध्यान
उपस्थित दम्पति को आहार विहार कि जानकारी देते हुए श्री जितेंद्र सिंह प्रज्ञेय ने कहा कि आप चाहते हैं कैसा बच्चा हो यह माता पर निर्भर करता है। फिजिकली, मेंटेलेटी, इमोशनल होना चाहिए। इनमें से किसी कि कमी पुरा व्यक्तित्व बदल देती है। शरीर तो है पर दिमाग नहीं तो एक मजदूर बन सकता है। दिमाग है पर शरीर से ठीक नहीं तो केवल एक पुतले कि तरह दिखाई देगा। शरीर और दिमाग है तो वह पढ़ लिख सकता है आगे बढ़ सकता डिग्री भी ले रखी है नौकरी कर कर्मचारी अधिकारी बन सकता है पर उसका भाव नहीं हैं । तो वह परिवार समाज राष्ट्र से नहीं जुड़ सकता है। क्योंकि उसके मन में भाव नहीं हैं। पाकिस्तान का आतंकवादी लादेन ने डिग्रीयां तो लेली पर उसको भाव समाज से हटकर चला गया था। इसलिए हमारे बच्चे शारीरिक मानसिक और भावनात्मक वाले होना चाहिए। इसके लिए माता पिता को बाहरी ज्ञान के साथ अंतर्ज्ञान को भी जागृत करना पड़ेगा। इसके लिए गायत्री परिवार कि निशुल्क पाठशाला से जुड़ सकते हैं।
श्री प्रज्ञेय ने कहा कि माताएं बाहर कि तली गली वस्तुओं को खाने के बजाए जितना फल सब्जियां ड्रायफ्रूट्स अंकुरित अनाज खाए। अच्छा खायेंगे तो अच्छा बच्चा होगा। ज्ञानवान माता पिता होंगे तो संतान भी ज्ञान बुद्धि वाली होगी।पर संस्कार के बिना सब अधुरा है संस्कार होना जरूरी है। तथा आने वाला बच्चा भावना वाला होना चाहिए। तभी सभी को मान सम्मान मिलेगा नहीं तो पति-पत्नी तक परिवार समित होकर माता पिता को वृद्धाश्रम में भेजने वाला होगा।
पुंसवन संस्कार एवं नौ कुंडिय यज्ञ कार्यक्रम का शुभारंभ वेद माता गायत्री और पुज्य श्रीराम शर्मा आचार्य माता श्री कि तस्वीर पर माल्यार्पण एवं द्वीप प्रज्वलित कर किया गया।
अतिथि देवो भव किया स्वागत अभिनंदन

पुंसवन संस्कार एवं नौ कुंडिय यज्ञ कार्यक्रम का आयोजन तहसील समन्वयक श्री जसवंत सिंह राठौड़ सह समन्वयक श्री ईश्वर लाल फरकिया खेजडिया द्वारा संपन्न कराया गया। जिसमें 56 गर्भाधारण करने वाली मातृशक्ति अपने मय पति के साथ नौ कुंडिय यज्ञ के साथ पुंसवन संस्कार कार्यक्रम का लाभ प्राप्त किया।
इस अवसर पर श्री अमर सिंह कुशवाह श्री गोविंद सांवरा श्री रामदयाल घाटिया श्री अनिल घाटिया श्री अजय वेद श्री भारत सिंह श्री जितेंद्र शर्मा श्री दशरथ लाल राठौर श्री भेरूलाल मकवाना श्री बद्रीलाल परिहार जगदीश लौहार श्री श्रीमती द्रोपदी घाटिया श्रीमती दुर्गा टांकवाल श्रीमती कृष्णा घाटिया श्रीमती सुनीता जामलिया, पंजीयन टीम कुमारी दिया शर्मा, शानू राठौर लक्ष्मी राठौर तनुजा गोस्वामी वेदिका राठौर प्रज्ञा गोहिल के साथ ही मातृशक्ति पुरुष उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन पवन गुप्ता ने एवं आभार मोहनलाल जोशी शामगढ़ ने व्यक्त किया