शामगढ़आध्यात्ममंदसौर जिला

संपत्ति सब लेने को तैयार है किंतु जिनकी संपत्ति है उनका साथ में रखने से उनको परेशानी

संपत्ति सब लेने को तैयार है किंतु जिनकी संपत्ति है उनका साथ में रखने से उनको परेशानी

शामगढ़ -पोरवाल मांगलिक भवन में संत श्री दिवेश रामजी राम महाराज के मुखारविंद से ज्ञान गंगा प्रतिदिन बह रही हैl

आज के प्रवचन में संत श्री ने वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों में माता-पिता तथा घर के वृद्ध व्यक्ति का अपनी संतानों के साथ रहनाअसहज महसूस हो रहा है l

आधुनिक संताने शिक्षित तो हो गई किंतु संस्कार भूल गई आज जीन माता-पिता के कारण उनके त्याग बलिदान समर्पण के कारण यदि कोई व्यक्ति किसी सम्मानजनक पद पर पहुंचता है तो माता-पिता के लिए तो वह संतान ही होती है किंतु संतान को यह नहीं भूलना चाहिए कि यह मेरे माता-पिता है आपने शिक्षा कितनी ही प्राप्त कर ली है उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है माता-पिता के सम्मान में हमेशा किसी भी परिस्थिति में अपने कर्तव्य से विमुक्त नहीं होना चाहिएl

आज हम देख रहे हैं घर-घर बटवारा हो रहा है पिता की संपत्ति दादाजी की संपत्ति माताजी की संपत्ति सब लेने को तैयार है किंतु जिनकी संपत्ति है उनका साथ में रखने से उनको परेशानी है l

मतलब अधिकार के प्रति आप सजग हैं यह बात सिद्ध हो जाती हैl

आज माता-पिता घर में जिसके वह मालिक है अपनी संतानों से डरे महसूस होते हैंl

आज की आधुनिक पीढ़ी के विषय में बड़ी तीखी बात आपने कही आज जो बहुएं घर में आती है तोस शर्त विवाह हो रहे हैं माता-पिता के साथ नहीं रहेंगे मतलब जिसकी संतान है जिसका खून है जिसको मां बाप ने खून पसीने से पाला शादी की और वही घर से बाहर जाए घर से बेदखल हो जाए अनाथ आश्रम में छोड़ आए यह क्या हो रहा हैl

भारतवर्ष हमेशा से संस्कारी देश रहा है हमारे ग्रंथ हमारी धार्मिक पद्धति हमारे तीर्थ हमारे ऋषि मुनि हमारे वेद पुराण साक्षात नारायण के मुख से श्रीमद् भागवत गीता का उपदेश हमारे ग्रंथ भी भगवान के स्वरूप है शिव महापुराण में भगवान शिव का निवास है क्योंकि उनका जीवन चरित्र काएक एक अक्षर सत्य वर्णित हैl

संत श्री ने एक व्यक्ति की कथा का दृष्टांत देते हुए कहा कि एक व्यक्ति के चार संतान थे चारों लड़के थे चारों का विवाह हो गया किंतु दुर्भाग्य से उसव्यक्ति की पत्नी भी गुजर गई और इधर लड़के विवाह करके अलग हो गए चारों ने पिता से बिना पूछे उनकी संपत्ति का बंटवारा कर दिया और यह तय किया पिताजी को तीन-तीन महीने चारों भाई रखेंगे l

पिताजी को तीन-तीन महीने में रखने पर भी उनको परेशानी होती थी लड़के काम धंधे पर चले जाते थे घर पर जो बहुएं रहती थी उनका उचित सम्मान देखरेख नहीं करती थी l

कुछ ही समय में वह व्यक्ति दुबला पतला हो गया क्योंकि खाना उसको बराबर नहीं दिया जाता था सुबह का शाम को शाम का सुबह इस प्रकार से जो बचता उसको दिया जाता l

बात-बात में प्रताड़ित करना अपमान करना सभी घर वालों की आदत बन गई थीl

काफी समय बाद उस व्यक्ति का एक दोस्त उससे मिलने आया उसकी दशा देखी और पूछा सब कुछ होते हुए तुम्हारी या दशा कैसे हुई उसने सारी बात बताई मेरे पास कुछ नहीं है इसलिए मेरी सेवा नहीं हो रही हैl

मित्रा ने कहा तेरी समस्या का हाल में कर दूंगा तू चिंता मत करl

5 दिन बाद एक बैलगाड़ी में बड़ी भारी संदूक लेकर एक व्यक्ति उसके पास आया और बोला आपके मित्र यह अमानत भेजी है यह तिजोरी इसकी चाबी और आपका सब माल इसमें है l

बड़ी मुश्किल से उस व्यक्ति के कमरे में वह संदूक रखवाई गई पूरा परिवार संदूक में माल समझकर लालच में आ गयाl

उसे मित्र ने इस व्यक्ति को यह बात समझा दी थी जैसा मैं कह रहा हूं वैसा ही करना उसी की बात के अनुसार रात के 9:00 बजे से अंदर किवाड़ लगाकर ठठन में सिक्के की आवाज बाहर आई थी दूसरे दिन सुबह ही पूरा परिवार उनकी देखरेख करने लगा नए कपड़े आ गए खाने में सभी तरह की मिठाइयां रसमलाई तरह-तरह के व्यंजन खाने को मिलाने लगे वह भी रात को रोज सिक्के की आवाज बाहर निकलता ही थाl

विधि के विधान के अनुसार उसव्यक्ति का निधन हो गया चारों लड़कों ने जोरदार मृत्यु भोज किया आसपास के सभी गांव को आमंत्रित कियाl

कार्यक्रम निपट गया सब अपने अपने घर चले गए बस चारों भाई और उनकी पत्नियों घर पर थी उन्होंने चाबी ढूंढ कर इसकी तिजोरी को खोला तिजोरी में देखकर सभी की आंखें फटी की फटी रह गई पूरी तिजोरी पत्थर से भरी हुई थी दो सिक्के चांदी के तो दुनिया को धन चाहिए और जिसके पास धन नहीं है या जिसे नहीं रखा है उसकी दशा हम देख सकते हैं l

इस प्रकार के शिक्षाप्रद प्रवचन में 50 से अधिक उम्र व्यक्तियों को सोचना चाहिए और अपने लिए भी कुछ रखना चाहिएl क्योंकि जब तक जीवन है तब तक पैसे की इच्छाओं की कमी नहीं होती है और हर इच्छा बिना पैसे के पूरी होना असंभव है l

इस प्रकार की बातें सुनकर उपस्थित भक्तजन जिनकी उम्र 50 से अधिक है उनके यहां बहुएं आ गई है और आज के समय में उनके साथ जो व्यवहार हो रहा है निश्चित ही वह बात अधिकांश श्रोताओं ने महसूस की हैl

संत श्री का इस प्रकार का साफ-साफ शब्दों में अपनी वाणी द्वारा सबको सचेत किया हैl

संत, ग्रंथ, और भगवान द्वारा हमारे शास्त्रों में कही गई बातें सत्य है l

एक राजा का भी अपने दृष्टांत देते हुए कहा कि एक भाई वन में तपस्या करने चला गया घर पर छह भाई थे सभी भाइयों ने संपत्ति का बंटवारा कर लिया और जो तपस्या करने गया था उसके लिए वह वृद्ध पिता छोड़ दियेl

वह भाई तपस्या करके घर पर आया सभी भाइयों ने एक स्वर में कहा कि यह वृद्ध पिता संपत्ति के रूप में तुम्हारे लिए छोड़ा हैl

पिताजी ने उससे कहा चिंता की कोई बात नहीं जो भाग्य में लिखा है वह होगा पिताजी विद्वान थे यह भी शिक्षा ग्रहण करके तपस्या करके उनसे भी ज्यादा तेजस्वी ज्ञानी थाl

पास के ही देश में यज्ञ चल रहा था जिसका अनुष्ठान 6 दिन का होता था किंतु देव योग से हर बार छठे दिन वह यज्ञापूर्ण नहीं होता था और हर बार एक दो तीन चार पांच के बाद सीधा 6 नहीं होता था l

पिताजी ने उस अपने लड़के को पास के देश में भेजा और जो छठे दिन जी मंत्र से यज्ञ पूरा होता था वह उस दे दिया, वह वहां गया वहां पर सारी बात करी और छठे दिन यज्ञ पूर्ण करने की बात भी की यज्ञ का आयोजन हुआ छठे दिन उसके द्वारा उच्चारित्र मंत्र द्वारा यज्ञ पूर्ण हुआ यज्ञ पूर्ण होते ही दिव्यविमान प्रकट हुआ सभी उस पर बैठकर स्वर्ग जाने से पहले सारी दिव्य सामग्रियां, सोने चांदी हीरे जावरा हत अपार भंडार उस देकर चले गए जैसे ही वह उससंपत्ति को समेटने लगा वहां पर रुद्रा प्रकट हो गए और कहा यह सभी सामग्री जो यहां पर है हम रूद्र लोगों की होती है अर्थात रुद्र गणो की होती है यह बात तुम चाहो तो तुम्हारे पिताजी से पूछ लो पिताजी से पूछा पिताजी ने कहा यह सब सामग्री रुद्र देवता की होती है तो धन संपत्ति छोड़कर आने लगा तभी भोलेनाथ प्रकट हो गए और उन्होंने आशीर्वाद देते हुए उसकी धर्म निष्ठा देखते हुए वह सारी संपत्ति उसे दे दीl

अपार संपत्ति का मालिक वह हो गया तो पिता माता गुरु और धर्म की बात सबको मानना चाहिए इन सबसे हम बड़े नहीं होते हैंl

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