मंदसौर जिलासीतामऊ
बेटियों केे भविष्य का निर्माण माता पिता से बेहतर कोई नहीं कर सकता है, बेटियों को भी माता पिता की गहरी चिंता अपने मन में रखना चाहिए – पं. नारायणजी

बेटियों केे भविष्य का निर्माण माता पिता से बेहतर कोई नहीं कर सकता है, बेटियों को भी माता पिता की गहरी चिंता अपने मन में रखना चाहिए – पं. नारायणजी

बेटियों का जन्म उस घर के उपर साक्षात् बरसती है माँ अन्नपूर्णा की कृपा। लेकिन बेटियां कई बार अपने भविष्य को लेकर बड़ी चिंतित हो जाती है। उन बेटियों को कहना चाहते है कि जिन माता पिता ने इस बेटी को जन्म दिया है उस बेटी के भविष्य के निर्माण का सबसे गहरा निर्णय सिर्फ और सिर्फ माता पिता ही ले सकते है। बेटियों को सदैव अपने माता पिता के साथ जीवन की हर खुशी एवं जीवन में आने वाली हर समस्या को सा-हजया करना चाहिए। इस कलयुग में बेटियों को बड़ी सतर्कता की आवश्यकता है। किसी भी जाने अनजाने पर बड़ी आसानी से विश्वास ना करें। बेटियों को अपने माता पिता की भावना का भी बड़ा गहरा सम्मान करना चाहिए। क्योंकि जिन माता पिता के घर होती है बेटियां वह माता पिता अपनी बेटियों के लिए हर क्षण, हर समय गहरी चिंता में रहकर अपने बेटियों के भविष्य की चिंता करते हैं। बेटियों का जन्म इतना आसान नहीं जितना लोग सम-हजयते हैं। बेटियों का जन्म तो उन्हीं माता पिता के घर होता है जिनके उपर साक्षात् भगवान का आशीर्वाद होता है।
जिन माता पिता को होता है कन्या दान का सौभाग्य प्राप्त उन माता पिता को साक्षात् इस भव्य सागर को पार करने का सद्मार्ग प्राप्त होता है।बड़े भाग्य शाली होते है वो माता पिता जिनके भाग्य में लिखा होता है कन्यादान का सौभाग्य। लेकिन जिन माता पिता को बेटी न हो उन माता पिता को बिन माता पिता की बच्ची को गोद लेकर करना चाहिए कन्यादान उन माता पिता को कई कन्याओं के कन्या दान से भी बड़ा सोभाग्य प्राप्त होता है जो गरीब परिवार की बेटी के विवाह में करता है सहायता वह साक्षात् भगवान की कृपा का पात्र होता है। श्रीमद भागवत कथा के छठे दिवस में भगवान श्रीकृष्ण रूकमणी विवाह महोत्सव का सुंदर वर्णन करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण अपने मामा कंस के छल भरे आमंत्रण को स्वीकार करते हुए मथुरा नगरी आगमन कर कंस के समस्त राक्षसों का उद्धार कर अपने मामा कंस से युद्ध कर उनकी बैर भक्ति को स्वीकार कर मामा कंस का भी मोक्ष करते है एवं कंस के कारागृह से अपने माता पिता एवं अपने नाना को मुक्त करवाकर मथुरा के राज्य का राजा अपने नाना को बनाते हैं। अपने भक्तों के साथ द्वारिका नगरी का निर्माण करते है। जिसकी पटरानी बनाने के लिए रूकमणी जी से विवाह करते हैं।
श्रीमद भागवत कथा के छटे दिवस में समस्त भक्तों के द्वारा भव्य उत्साह एवं आनन्द के साथ भगवान श्रीकृष्ण रूकमणी महोत्सव मनाया गया। श्रीमद भागवत कथा के छटे दिवस की आरती, प्रसादी सत्यनारायणजी फरक्या (एस.के.) के द्वारा की गई। समस्त जानकारी परिषद सदस्य मनीष शर्मा द्वारा दी गई।