शामगढ़आध्यात्ममंदसौर जिला

भारत टाटा बाय-बाय का देश नहीं रामकृष्ण की भूमि है -राम जी राम महाराज 

भारत टाटा बाय-बाय का देश नहीं रामकृष्ण की भूमि है -राम जी राम महाराज 

शामगढ़- पोरवाल मांगलिक भवन में दिव्य, अद्भुत तथा चातुर्मास में रामस्नेही संप्रदाय के संत श्री दिव्येश राम जी राम महाराज ने आज के सत्संग में बड़े आक्रामक ढंग से आज की संस्कृत में पल रहे बच्चों के विषय में तथा उनके माता-पिता के विषय में बड़ी गंभीर एवं चिंतित करने वाली बात कही आज पुरानी संस्कृति में माता-पिता को हर बेटा बेटी पत्नी पूरा सम्मान देती थी पत्नी तो पति को भगवान के समान हमारी संस्कृति में हमारे संतो ने महर्षियों ने अपने विचारों में कहा है l

अनादि काल से भारत की भूमि पर समय-समय पर भगवत “अवतरण ” होता रहा है l

जितने भी संत महं ग्रंथ,पथ एक ही बात कहना मतमतांतर उनका है सब उन सबका कहना है मनुष्य बनकर जो आया है मनुष्य बनकर इस पृथ्वी पर रहे अर्थात मनुष्य का मतलब हर जीव में शिव है यह बात समझना पड़ेगीl

संत श्री ने सामाजिक दुर्दशा पारिवारिक दुर्दशा पर अपने विचार प्रकट किया संत श्री ने कहा हर घर में कुछ ना कुछ अशांति बनी रहती चाहे वह धन की हो बीमारी की हो कोई भी सांसारिक पीड़ा होती रहती है l

इसका मतलब हम संकट के समय अपना धर्म अपना ईमान अपनी आत्मा सब कुछ घबराहट में बेचकर क्या मनुष्य कहला पाएंगे नाना प्रकार की बातें आपने मनुष्य के विषय में बताइएl

क्या हमारे ऋषि महर्षि संत आचार्य ग्रंथ नहीं होते तो क्या आज कोई भी मनुष्य बन पाता कदापि नहीं धर्म का अंकुश संतो के उपदेश ग्रंथ का ज्ञान नहीं होता तो हजारों वर्ष पहले ही पशु समान हो जाते l

संत श्री ने कहा आजकल हम बच्चे को टाटा बाय-बाय सीखा रहे हैं उनके नाम हमारी संस्कृति के विरुद्ध रखकर एक तरह से धर्म से विमुख हमारी पीढ़ियां हो रही है और यही चलता रहा तो ईश्वर का अवतार पाप को मिटाने के लिए होना तय हैl

परिवार में माता-पिता दादा दादी कोई और भी पारिवारिक सदस्य हो तो पुत्र का कर्तव्य है उनकी हर इच्छा पूरी करें खाना पीना रहना उनके अनुकूल तथा उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार करना चाहिए जो पुत्र यह सब करता है उसे कहीं तीर्थ व्रत मंदिर चारों धाम जाने की आवश्यकता नहीं होती है उसके घर में ही चारों धाम होते हैंl

आज की कथा में संत श्री के तेवर वर्तमान परिस्थितियों पर बड़ी कठोर शब्दों में सब कुछ समझते हुए कहा रामकृष्ण चाहिए तो दशरथ कौशल्या बानो नंद बाबा और यशोदा बनोl

आज के पारिवारिक और सामाजिक वातावरण में हम कभी भी रामकृष्ण की कल्पना नहीं कर सकते क्योंकि हम देवी संस्कृति को भूलकर आसुरी संस्कृति की तरफ आकर्षित हो रहे हैंl संत श्री ने कहा समाज सुधार अति आवश्यक है हमारी संस्कृति हमारा धर्म के साथ हमारा जुड़ाव हमेशा बना रहना चाहिए l

संत श्री ने लोहे का उदाहरण देते हुए कहा आप लोहे को पानी में डालेंगे तो वह डूब जाएगा किंतु लकड़ी का स्वभाव तैरना है किंतु अलग-अलग लकड़ी का तैरना कोई महत्व नहीं रखता है किंतु जब संत रूपी लकड़ी बिगड़े हुए मनुष्य को जो डूबने वाला है उसका यथास्थान उपयोग करके नदिया को पर लोहे को लगा देता है लोहा और कोई नहीं हमारा जीव है लकड़ी और कोई नहीं हमारे संत ऋषि मुनि ग्रंथ पथ सतगुरु हैl

जब तक हम अपने आप को गुरु को समर्पित नहीं करेंगे गुरु चाहे उसे लोहे की खीलको जो किसी भी है अपने हृदय में लगते हैं अर्थात गुरु सब कुछ दुख सहन करके शिष्य को सत मार्ग पर लाता हैl

चातुर्मास पावन अवसर पर 12 ज्योतिर्लिंग की जो कथा चल रही है उसमें दो-दो से लिंग की कथा का वर्णन संत श्री ने विगतदोनों अपने प्रवचनों में कहा सोमनाथ ज्योतिर्लिंग और मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की कथा सविस्तार भक्त जनों को कही थी आज भगवान कालों के काल उज्जैन ज्योतिर्लिंग जिसमें महाकाल ज्योतिर्लिंग की बात आपने सहीl

इस ज्योतिर्लिंग के विषय में दो कहानियां प्रचलित है एक कहानी का वर्णन आपने आज किया एक का कल करेंगे दोनों कहानियों का वर्णन कल के लेख में एक साथ किया जाएगा क्योंकि ज्योतिर्लिंग की अधूरी कथा का वर्णन उचित नहीं है l

संत श्री का ध्यान व्यक्ति को धर्म के साथ जोड़ना तथा वर्तमान सामाजिक धार्मिक विसंगतियों को दूर करना तथा मानव कल्याण के लिए संतों का योगदान ग्रंथ का योगदान के बिना संभव नहीं है l संत श्री ने इसका कारण भी बताया आज की शिक्षा भौतिक साधन जुटाना की तथा व्यक्ति को भोगवादी बनाना l

पहले की शिक्षा जो गुरुकुल में होती थी विद्यालय में होती थी मठो में होती थी वहां पर व्यक्ति का निर्माण तो होता ही था उसको ऐसी शिक्षा दी जाती कि वह 84 लाख के चक्कर में कभी नहीं पड़ता भवसागर पार करा देते l

इस प्रकार से शिक्षा नीति के ऊपर भी आपकी चिंता अआपने विचारों में प्रकट की l ऐसे ही क्रांतिकारी संतों की आवश्यकता इस युग में है

अपनी बातों को बड़ी सहजता से सरलता से बीच-बीच में रामस्नेही संप्रदाय के संतो वाणी जो उन्होंने छंदों में दोनों में बड़ी सरल भाषा में आत्म अनुभव लिखे जो उस समय भी सत्य थे आज भी सटीक है कितना ज्ञान और भविष्य को जानने वाले संत ऋषि महर्षि आचार्य भारत की भूमि पर प्रकट हुए उनकी भूमि पर टाटा बाय-बाय या कोई अंग्रेजी नाम कोई अंग्रेजी संस्कृत या किसी भी प्रकार की सनातन संस्कृति सनातन काल से चले आ रहे हमारे धर्म ग्रंथो की बात का विरोध करेंगे निश्चित ही वह राष्ट्र विरोधी के साथ-साथ हिंदू धर्म के विरोधी भी होते हैं चाहे वह हिंदू होl

कल बड़ा सुंदर प्रसंग संत श्री ने कहा था गौ माता के विषय में कि देश में 100 करोड हिंदू है क्या आज देश में 100 करोड़ गोवंश है नहीं हम हिंदुओं ने वो वंश को पालना बंद कर दिया वह वंश को हमने सड़कों पर छोड़ दिया गौशाला में छोड़ दिया मतलब अब हमें गोवंश सेकोई मतलब नहीं जब हम खुद हिंदू होकर गोवंश नहीं रखेंगे तो क्या विधर्मी रखेंगे?

बड़ी चिंता गोवंश के संबंध में आपने कही और गौशालाओं की मजबूरी भी बताई हर गौशाला की अपनी कैपेसिटी होती है उससे अधिक गोवंश हो तो वह नहीं रखते इसी कारण से हमारे घरों के सारे गोवंश आधे से ज्यादा तो कट गए और जो बचे हैं वह सड़कों पर घूम रहे हैं और हम वर्ष में एक बार गौ माता का पूजन वस बारस को करते हैं बाकी 364 दिन गौ माता को यदि आ जाए तो डंडे से भगाते हैं तो वह हमारी माता कहां हुई हमने तो उसे पशु समझ रखा है और पशु व्रत व्यवहार ही करते हैं क्या यह हमारी संस्कृति में है भगवान स्वयं ने दो वंश की वृद्धि के लिए ग्वाला बनकर गायों को चराया वह तो त्रिलोक ब्रह्मांड नायक थे उनका क्या जरूरत थी यह सब करने की किंतु हमारे लिए आदर्श प्रस्तुत किया और हम हमारे ग्रंथो के हमारे भगवान के आचरण के अनुसार चलना चाहिए और कम से कम एक गाय हर घर में होऐसा संकल्प हम सबको लेना पड़ेगाl

शामगढ़ पोरवाल मांगलिक भवन में प्रतिदिन भक्तों की संख्या बढ़ रही है और माताएं बहने भाई कथा का आनंद लेते हुए अपने जीवन के पुण्य में सतत वृद्धि कर रहे हैं निश्चित ही ग्रंथ और संतों की बात पर चलकर इस भवसागर से पार हो जाएंगे इसमें कोई सशयनहीं है l

प्रतिदिन रामसनेही भक्तों द्वारा नगर के पुण्य आत्माओं द्वारा प्रसादी की व्यवस्था हो रही है आगे से आगे राम भक्त अपने नाम लिखवा रहे हैं भगवान के काम में कभी भी किसी भी बात की कमी नहीं होती है श्रद्धा सच्ची हो तो पानी से भी दीपक जल जाते हैं परमात्मा तो आपके पुकारने का इंतजार कर रहा है कब भक्त बुलाए और कब मैं जाऊं भगवान भी भक्त के अधीन है और भक्त बनने के लिए सत्संग संतों का संघ चाहिएl

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