
* नीमच*
*डॉ बबलु चौधरी*
। आए दिन अक्सर देखा जा रहा है शहर हो या गांव के गली मोहल्ले में आवारा पशुओं जिसमे सबसे ज्यादा सांडो को रास्ते में बैठे हुए देखे जाते है या मिलते है जिनकी वजह से कई राहगीरों की गलियों में सांडो की मार से मरने की कई खबरे समाचार पत्रों की हेड लाइन बनी और हमेशा सब को निकालने में बड़ी दिक्कत आती है व ट्रैफिक जाम कर देते हैं या फिर कहीं ना कहीं देखने को मिलता है इ

न सांडों को आपस में जोरदार अपने सींगों से भिड़ते हुए जिनकी लड़ाई का कोई अंत नहीं इनको छोड़ने से भी लोग डरते है उनकी लड़ाई में यह पता नहीं चलता कि ये कब किसके ऊपर जा गिरेगे चाहे इंसान हो या किसी का वाहन जिसके ऊपर जाकर गिरेंगे उसका नुकसान ओर सिर्फ नुकसान होना तय है और इस नुकसान का हर्जाना देगा कौन कोई नहीं दे सकता जिसका नुकसान उसी को तकलीफ ये स्वांग मोहल्ले में वाहन खड़े रहते है उनको अपने सींग से भिड़ाते है कोई देख ले तो उस वाहन को बचा सकता है ओर कोई नि हो तो उसका तो नुकसान होना तय है बहुत सी बार तो देखने को मिलता है कि अगर किसी के मकान का काम चल रहा हो ओर बाहर

रेत या गिट्टी डाल रखी हो तो ये अपने सींग से उस रेत के ढेर को उछाल उछाल कर बिखेर देते हैं जिसकी वजह से आमजन को भारी नुकसान उठाना पड़ता है और ये इन सांडों आदत में है कई बार तो ये राह चलते लोगो को पीछे से उठा कर पटक देते है जिसकी वजह से लोगों के हाथ पांव टूटने की संभावना रहती हैं व हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ सकता है बहुत सी बार तो ये रोड पर लड़ते दिखाई देते है जिनकी वजह से राहगीरों को कई देर तक रस्ते में खड़ा रहना पड़ता है अगर शासन प्रशासन इन सांडों के बारे में कोई वैकल्पिक हल निकाले तो लोगों को होने वाली परेशानियों से बचाया जा सकता है इस विषय में जिला कलेक्टर जिला पंचायत सीईओ और सभी एसडीएम अनु विभागीय अधिकारी जनपद पंचायत सीईओ को आदेशित कर संज्ञान में लेने की जरूरत है जेसे गायों के लिए गो शाला खोली गई वैसे ही इन सांडों के लिए भी कोई उपाय करे जिससे आमजन को और जान माल को बचाया जा सके नहीं तो फिर आम जन राम भरोसे