कर्मचारी संघमंदसौरमंदसौर जिला

जिले भर की सैकड़ों उषा कार्यकर्ता व सहयोगिनी ने रैली निकालकर किया प्रदर्शन  ,मांगों का दिया ज्ञापन

जिले भर की सैकड़ों उषा कार्यकर्ता व सहयोगिनी ने रैली निकालकर किया प्रदर्शन  ,मांगों का दिया ज्ञापन

मन्दसौर। आशा उषा पर्यवेक्षक एकता यूनियन मंदसौर (सीटू) ने 9 जुलाई को राष्ट्रव्यापी हड़ताल के आव्हान के तहत रैली निकालकर प्रदर्शन व प्रधानमंत्री के नाम मांगों का ज्ञापन नायब तहसील को दिया गया।
संगठन जिलाध्यक्ष माधुरी सौलंकी ने बताया कि राष्ट्रव्यापी अभियान के तहत उषा कार्यकर्ता हड़ताल पर रही। सभी कार्यकर्ता महाराणा प्रताप पर एकत्र हुई जहां से रैली के रूप में गांधी चौराहा पहुंची जहां प्रदर्शन कर मांगों का ज्ञापन दिया गया। ज्ञापन में माननीय प्रधानमंत्री से मांग की गई क् िश्रम कानूनों को समाप्त कर बार श्रम संहिताओं को लागू करने तथा सरकार की आम जन एवं श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ, दस कदीय अनि उनों एवं स्वतंत्र ट्रेड यूनियनों फेडरेशनों के आह्वान पर देशभर के करोड़ों श्रमिक आज राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल कर रहे है। हम आशा-उषा कार्यकर्ता आशा सहयोगिनी देश भर में इस एक दिवसीय आम हड़ताल में शामिल है। इस हड़ताल में हमारा राष्ट्रीय संगटन आशोर्स एण्ड फेसिलिटेटर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया  भागीदारी करता है। देशभर की उषा कार्यकर्ता व आशा सहयोगिनी के साथ मध्यप्रदेश की बहने भी सम्पूर्ण हड़ताल पर है। ज्ञापन मंे कहा कि आयुष्मान का कार्य हम नहीं करेंगे हमें इस कार्य का पैसा अभी तक नहीं मिला है। टीबी का कार्य उषा कार्यकर्ता करती है लेकिन उसका सारा श्रेय व भुगतान पंचायत और सचिव को मिलता है। साथ ही मांग रखी की एनएचएम की सरकार का स्थायी स्वास्थ्य कार्यक्रम बनाएं जिसमें पर्याम वित्तीय आवंटन के साथ सार्वभौमिक और गुणवत्तापूर्ण हो। उषा कार्यकर्ता व आशा सहयोगिनी की सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए, व तदनुसार सभी हितलाभ दिए जाए। जब तक सरकारी कर्मचारी का दर्जा न हो, आशा-उषा कार्यकर्ता व आशा सहयोगिनी को श्रमिकों के रूप में नियमितीकरण किया जाये तथा न्यूनतम वेतन, जो 20000 रुपये प्रति माह से कम नहीं हो, 26000 रूपये दिया जावे। पेंशन, जो 10000 रुपये प्रतिमाह से कम नहीं हो, ईएसआई, पीएफ, ग्रेच्युटी और सहित सभी सामाजिक सुरक्षा लाभ दिया जाये।
सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा के अधिकार के लिए कानून बनाया आये। बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत आवंटित किया जाए। अस्पतालों सहित स्वास्थ्य जैसी सभी बुनियादी सेवाओं के निजीकरण के प्रस्तावों को वापस लिया जावे। राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (एनडीएचएम) को वापस लें। सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (पीएसई) और सेवाओं का निजीकरण रोका जाये। श्रम संहिताओं को वापस लिया जाये। आशा कार्यकर्ताओं और फैसिलिटेटर्स को श्रम कानूनों के दायरे में शामिल किया जाये। मासिक पारिश्रमिक में नत्काल वृद्धि कर इसे 5000 रुपये किया जाए तथा इस को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ा जाए। आशा एवं फैसिलिटेटर्स की सभी काया राशियों का भुगतान तत्काल किया जाए। पूरे देश में समान कार्य परिस्थिति लाए की जाये। 6 माह का प्रसूति लाभ, प्रति वर्ष 210 दिन का कैजुअल अवकाश एवं मेडिकल लीव दिया जावे। पेंशन लागू होने तक रिटायरमेंट नहीं किया जावे। वरिष्ठता के आधार पर आशा एवं फैसिलिटेटर को एएनएम के पद पर पदोन्नति प्रदान किया जावे। आदि मांगों को रखा गया।
इस अवसर पर उषा कार्यकर्ता नितु शर्मा, इंदिरा चौधरी, धापू गुर्जर, धापू राठौर, ज्योति बैरागी, सीमा गर्ग, कविता हलकारा, रेखा सांवरिया, ममता बैरागी, संगीता शर्मा, शकुंतला बैरागी, शकुंतला भाटी, ममता शर्मा, कविता बैरागी, संतोष गोस्वामी, सीतामऊ ब्लॉक से विद्या मंडलोई, मधुबाला डांगी, रितु शर्मा, किरण देवड़ा, शीला यादव, हेमलता दुबे, शंकर कुूंवर, कैलाश रावत, ललिता देवड़ा, सरेकुंवर, भानपुरा ब्लॉक से संतोष भाना, संतोष धाकड, अंतिमबाला जोशी, अनिता कछावा, मंजू गुर्जर, गायत्री राव, नीता राव, मल्हारगढ़ ब्लॉक से ममता शर्मा, उषा गायरी, अंतिमबाला, कविता बैरागी, चंदा मालवीय, राधा सौलंकी, मधुबाला सेन, बिंदिया नायक, कस्तुरी मेघवाल, शांति वर्मा, अंनिता टेलर सहित सैकड़ों उषा कार्यकर्ता व सहयोगिनी उपस्थित रही।

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