जीवन में अहंकार छोड़ों, विनय को अपनाओ- आचार्य श्री निपुणरत्नसूरिश्वरजी म.सा.

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जीवन में अहंकार छोड़ों, विनय को अपनाओ- आचार्य श्री निपुणरत्नसूरिश्वरजी म.सा.
मन्दसौर। मानव जीवन में उन्नति का सबसे बड़ा बाधक कोई है तो वह है अहंकार, अहंकार के कारण हमारे जीवन में विनय, विद्या, शिक्षा, संस्कार का अभाव बना रहता है। जीवन में जो व्यक्ति अहंकार छोड़ देता है वह स्वतः ही उन्नति की ओर अग्रसर होने लगता है इसलिये जीवन में अहंकार को त्यागे और विनय के गुण को अपनाये।
उक्त उद्गार परम पूज्य जैन आचार्य श्री निपुणरत्नसूरिश्वरजी म.सा. ने शहर भोजका गली स्थित श्री आदिनाथ जैन मंदिर के भण्डारी आराधना भवन में आयोजित व्याख्यान में कहे। आपने शनिवार को यहां व्याख्यान में कहा कि भगवान आदिनाथ के 100 पुत्र थे। जिसमें भरत, चक्रवर्ति व बाहुबली भी शामिल है। इन दोनों भाईयों ने कई वर्षों तक मनमुटाव चला जब बाहुबली ने दीक्षा ले ली तब भी बाहुंबली का अहंकार कम नहीं हुआ था। बाहुबली अपने से पूर्व संयम लेने वाले 98 भाइयों को वंदन करने को तैयार नहीं थे। ऐसे में उनकी बहन बाह्मी व सुंदरी ने उन्हें प्रतिबोध दिया और अहंकार की तुलना हाथी से की तब जाकर बाहुबली की अहंकार छोड़ने की प्रेरणा मिली जिस क्षण उन्होंने छोड़ा उसी समय उन्हें केवल ज्ञान हो गया। अर्थात अहंकार की भावना ज्ञान प्राप्ति में सबसे बड़ी बाधा है।
दान देने की प्रवृत्ति लाये- आचार्य श्री ने कहा कि जीवन में कई बार हम दान देने के भाव मन में लाते है लेकिन वस्तु धन के मोह के कारण इसका दान नहीं करते है। दान देने योग्य होने पर भी दान नहीं देना मनुष्य के पापकर्म बड़ाता है इसलिये जीवन में दान देने की भावना जरूर रखे।
आयम्बिल श्रेष्ठ तप है- आचार्य श्री ने कहा कि मनुष्य को अपने जीवन में आयम्बिल वृत की महिमा को समझना चाहिये। आयम्बिल करने से तन व मन दोनों शुद्ध होता है तथा शरीर भी निरोगी बना रहता है। अठाई या मासखमण करने से शरीर में हर्बलता महसूस हो सकती है लेकिन जो लोग आयम्बिल करते है उन्हें शरीर में दुर्बलता नहीं लगती है इसलिये मनुष्य को आयम्बिल व्रत की महिला को समझकर आयम्बिल जरूर करना चाहिये।
आदिनाथ जैन मंदिर में आचार्यश्री की हुई भव्य अगवानी- आचार्य श्री के शहर भोजका गली स्थित श्री आदिनाथ जैन मंदिर पहुंचने पर शहर क्षेत्र के जैन परिवारों के द्वारा उनकी भव्य अगवानी की गई। श्रावक श्राविकाओं ने आचार्यश्री के आगमन पर गुरू वंदन किया। इस अवसर पर शांतिलाल लोढ़ा, विरेन्द्र भण्डारी, प्रदीप लोढ़ा, कपिल भण्डारी, शैलेन्द्र भण्डारी, चेतन खमेसरा, अभिषेक खमेसरा, नरेन्द्र खमेसरा, अजीत नाहर, भरत संघवी, प्रीत संघवी, मोहित नाहर, प्रदीप संघवी, गजराज संघवी, राहुल संघवी, कमलेश जैन, पत्रकार संजय भाटी सहित कई गणमान्य नागरिकगण भी उपस्थित थे। संचालन विरेन्द्र भण्डारी ने किया। धर्मसभा में बड़ी संख्या में श्राविकाओं ने भी सहभागिता की।
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