आध्यात्मदलौदामंदसौर जिला
सनातन संस्कृति प्रधान राष्ट्र के गौरव तभी सुरक्षित रहेगा जब व्यसन मुक्त हिन्दू समाज होगा- पू. शास्त्रीजी

सुखी जीवन का आधार है श्रीमद् भागवत और श्री भगवद् गीता
मन्दसौर। श्री सांवलिया गौशाला कुंचड़ौद समिति एवं समस्त ग्रामवासियों के सहयोग से कुमावत धर्मशाला में आयोजित गौभक्त पू. भीमाशंकर जी शर्मा की श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस कथा प्रसंग में भगवान कपिल देव ने अपनी माता देवहूती का आत्म ज्ञान का प्रबोध करते हुए कहा कि जो जड़ है वह शरीर है और जो चेतन है यह हम स्वयं इस शरीर और इसमें विद्यमान 5 ज्ञानेन्द्रिया, 5 कर्मेन्द्रिया मन बुद्धि चित्त और अहंकार को नियंत्रित करने वाला जो है वह चेतन हम स्वयं आत्मा है।
हम ईश्वर को बाहर ढूंढते है परन्तु वह बाहर मिलता नहीं। जीव और ब्रह्म का एकत्व उसी प्रकार है जैसे कण्डा और धागा जैसे कपड़ा और धागा अर्थात सूत नाम से पृथक नाम है परन्तु दोनों एक ही है।
दुखी होने का कारण है जो हमारे पास है उसे अपर्याप्त मानकर दुखी हो रहे है और जो परमात्मा ने दे रखा है उसे पर्याप्त नहीं मानकर संतोष नहीं कर रहे है।
जो कथाओं-सत्संग में पहले विशेषकर वृद्धजनों को देखा जाता था परन्तु वर्तमान युग परिवर्तन में हुआ है। विशेषकर युवान कथाओं में उपस्थित ही हो रहे है बल्कि आयोजन में सक्रियता से भाग ले रहे है। यह भारत के लिये शुभ प्रेरणादायक संदेश है।
पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिये अधिक से अधिक पौधरोपण, बच्चों को संस्कारित बनाने के लिये सद्शास्त्रों का स्वाध्याय, दृढ़ संकल्प में विकल्प नहीं होना आदि कई महत्वपूर्ण बातों को जीवन में उतारने पर बल दिया।
तृतीय दिवस कथा में भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष नानालाल अटोलिया, जनपद अध्यक्ष बसंत शर्मा, गुर्जरबर्डिया मण्डल अध्यक्ष भेरूलाल सेन, युवा मोर्चा मण्डल अध्यक्ष दशरथ जाट ने पूज्य गुरूजी का सम्मान कर आशीर्वाद लिया। जनपद अध्यक्ष बसंत शर्मा ने गौशाला में सत्संग भवन हेतु 2 लाख रू. देने की घोषणा की।
अतिथियों का भागवत आयोजन एवं सांवलिया गौशाला समिति, सरपंच कारूलाल भील, उपसरपंच बिहारीलाल गोयल आदि ने दुपट्टा धारण कराकर सम्मान किया। संचालन पूर्व जनपद सदस्य मण्डल उपाध्यक्ष गोपाल गुजरिया ने किया। बड़ी संख्या ने महिला, पुरूष आदि अनेक भक्तगण कथा श्रवण का लाभ ले रहे है।
हम ईश्वर को बाहर ढूंढते है परन्तु वह बाहर मिलता नहीं। जीव और ब्रह्म का एकत्व उसी प्रकार है जैसे कण्डा और धागा जैसे कपड़ा और धागा अर्थात सूत नाम से पृथक नाम है परन्तु दोनों एक ही है।
दुखी होने का कारण है जो हमारे पास है उसे अपर्याप्त मानकर दुखी हो रहे है और जो परमात्मा ने दे रखा है उसे पर्याप्त नहीं मानकर संतोष नहीं कर रहे है।
जो कथाओं-सत्संग में पहले विशेषकर वृद्धजनों को देखा जाता था परन्तु वर्तमान युग परिवर्तन में हुआ है। विशेषकर युवान कथाओं में उपस्थित ही हो रहे है बल्कि आयोजन में सक्रियता से भाग ले रहे है। यह भारत के लिये शुभ प्रेरणादायक संदेश है।
पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिये अधिक से अधिक पौधरोपण, बच्चों को संस्कारित बनाने के लिये सद्शास्त्रों का स्वाध्याय, दृढ़ संकल्प में विकल्प नहीं होना आदि कई महत्वपूर्ण बातों को जीवन में उतारने पर बल दिया।
तृतीय दिवस कथा में भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष नानालाल अटोलिया, जनपद अध्यक्ष बसंत शर्मा, गुर्जरबर्डिया मण्डल अध्यक्ष भेरूलाल सेन, युवा मोर्चा मण्डल अध्यक्ष दशरथ जाट ने पूज्य गुरूजी का सम्मान कर आशीर्वाद लिया। जनपद अध्यक्ष बसंत शर्मा ने गौशाला में सत्संग भवन हेतु 2 लाख रू. देने की घोषणा की।
अतिथियों का भागवत आयोजन एवं सांवलिया गौशाला समिति, सरपंच कारूलाल भील, उपसरपंच बिहारीलाल गोयल आदि ने दुपट्टा धारण कराकर सम्मान किया। संचालन पूर्व जनपद सदस्य मण्डल उपाध्यक्ष गोपाल गुजरिया ने किया। बड़ी संख्या ने महिला, पुरूष आदि अनेक भक्तगण कथा श्रवण का लाभ ले रहे है।