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राजा हत्याकांड: महज एक सनसनीखेज अपराध नहीं, बल्कि आधुनिक भारतीय समाज के नैतिक और सांस्कृतिक संकट का लक्षण है- डॉ विद्यापति उपाध्याय

राजा हत्याकांड: महज एक सनसनीखेज अपराध नहीं, बल्कि आधुनिक भारतीय समाज के नैतिक और सांस्कृतिक संकट का लक्षण है- डॉ विद्यापति उपाध्याय

 

ताल ब्यूरो चीफ –शिवशक्ति शर्मा

इंदौर का अत्यंत सनसनीखेज और अप्रत्याशित हत्या कांड के संबंध में प्रसिद्ध लेखक,चिंतक, संपादक , डाक्टर विद्यापति उपाध्याय ने अपने विचार व्यक्त करते हुए बेबाकी से बताया कि राजा हत्याकांड जहां एक पत्नी ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति की नृशंस हत्या की, महज एक सनसनीखेज अपराध नहीं, बल्कि आधुनिक भारतीय समाज के नैतिक और सांस्कृतिक संकट का लक्षण है.यह घटना किसी फिल्मी पटकथा जैसी प्रतीत हो सकती है, किंतु इसका सामाजिक प्रभाव और मनोवैज्ञानिक संकेतक अत्यंत गंभीर हैं. यह एक ऐसी आहट है, जो बताती है कि हम केवल अपराधों में नहीं, बल्कि संबंधों, मूल्यों और मनुष्यता में भी विघटन की कगार पर खड़े हैं.

इस कांड की भीतरी परतों में उतरें तो यह स्पष्ट होता है कि अब सामाजिक पतन केवल सीमांत वर्गों या शहरी अपराधियों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि मध्यवर्गीय और तथाकथित ‘सुसंस्कृत’ घरों तक अपनी गहरी पैठ बना चुका है. पारिवारिक हिंसा अब सिर्फ दहेज या घरेलू झगड़े तक सीमित नहीं, अब इसमें भावनात्मक बेवफाई, यौन स्वच्छंदता और आत्मकेंद्रित वासनाओं की भी भूमिका प्रमुख हो चली है. यह एक नये प्रकार का ‘मनो-सांस्कृतिक अपराध’ है,जिसमें मरते केवल व्यक्ति नहीं, मरती हैं परंपराएं, मरते हैं संबंधों के आदर्श. बहरहाल, यह नृशंस हत्याकांड सिर्फ जघन्य आपराधिक मामला नहीं, बल्कि भारतीय सामाजिक ताने-बाने में आती दरार और पश्चिमी उपभोक्तावादी संस्कृति के अनियंत्रित प्रभाव का एक चेतावनी भरा संकेत है.ऐसे मामले अब अपवाद नहीं, बल्कि लगभग दैनिक समाचारों का हिस्सा बन चुके हैं, जो समाजशास्त्रियों और मानव मनोविज्ञान के विशेषज्ञों के लिए एक अभूतपूर्व चुनौती प्रस्तुत करते हैं.

प्रश्न उठता है कि क्या यह विकृति पश्चिम की देन है? इसमें कोई संदेह नहीं कि वैश्वीकरण और सूचना क्रांति ने पश्चिमी जीवनशैली और विचारों को भारतीय समाज में तेजी से फैलाया है. व्यक्तिगत स्वतंत्रता, भोगवाद और क्षणिक सुख की अवधारणाएं, जो अक्सर पश्चिमी समाजों में प्रबल होती हैं, भारतीय पारंपरिक मूल्यों पर सीधा प्रहार कर रही हैं. एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स का बढ़ना, भावनात्मक अस्थिरता और रिश्तों में प्रतिबद्धता की कमी इसी का परिणाम है.संयुक्त परिवार प्रणाली का विघटन, एकल परिवारों का बढ़ता चलन और व्यक्तिगत आकांक्षाओं को सामाजिक जिम्मेदारियों से ऊपर रखने की प्रवृत्ति ने पारिवारिक संबंधों की नींव को कमजोर किया है. पहले जहां परिवार एक मजबूत सुरक्षा कवच और नैतिक शिक्षा का केंद्र होता था, वहीं अब वह व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के टकराव का अखाड़ा बनता जा रहा है. भारतीय समाज में भी आंतरिक स्तर पर कुछ ऐसी कमजोरियां पनपी हैं, जिन्होंने इस विकृति को बढ़ावा दिया है. संवाद हीनता, धैर्य की कमी, तनाव प्रबंधन का अभाव और भौतिकवादी सुखों के पीछे की अंधी दौड़ ने भी व्यक्तिगत रिश्तों को खोखला किया है. सोशल मीडिया और तकनीक ने जहां एक ओर लोगों को जोड़ा है, वहीं दूसरी ओर क्या इसने रिश्तों में सतहीपन और तुलना की भावना को भी बढ़ाया है ?

इसका उत्तर ‘हां’ है, लेकिन यह ‘हां’ इतना सरल नहीं है. हमें परिवार की पारंपरिक अवधारणा को वर्तमान संदर्भ में फिर से परिभाषित करना होगा.इसका अर्थ यह नहीं कि हम रूढ़िवाद की ओर लौटें, बल्कि यह है कि हम परिवार को एक ऐसी संस्था के रूप में मजबूत करें जो व्यक्तियों को नैतिक बल, भावनात्मक सहारा और सामाजिक जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाए. इसके लिए,

परिवारों में खुला और ईमानदार संवाद बहुत महत्वपूर्ण है. बच्चों को बचपन से ही सही-गलत का भेद सिखाना, रिश्तों की अहमियत समझाना और भावनात्मक समस्याओं को साझा करने के लिए प्रोत्साहित करना आवश्यक है.

हमें अपनी सांस्कृतिक और नैतिक विरासत के उन पहलुओं को पुनर्जीवित करना होगा जो त्याग, सहिष्णुता, करुणा और रिश्तों में प्रतिबद्धता पर जोर देते है.परिवार संस्था का संरक्षण और उसे आधुनिक संदर्भों में प्रासंगिक बनाए रखना ही इस सामाजिक पतन को रोकने का एकमात्र मार्ग है.

राजा रघुवंशी हत्याकांड से जुड़ी इस वक्त की बड़ी खबर सामने आई है। शिलॉन्ग कोर्ट ने राजा की पत्नी सोनम समेत 5 आरोपियों को 8 दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा है। सोनम, राज, विशाल, आकाश और आनन्द को 8 दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा गया है।

पुलिस ने मांगी थी 10 दिनों की रिमांड

पुलिस की तरफ से हत्या के आरोपियों के लिए 10 दिनों की रिमांड मांगी गई थी। लेकिन कोर्ट ने आरोपियों को 8 दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा। आज रात आरोपियों से सदर पुलिस थाने में पूछताछ की जाएगी। रिक्रिएशन के लिए आरोपियों को सोहरा (चेरापूंजी) ले जाया जा सकता है।

पूछताछ में सोनम ने कबूला था अपना जुर्म

दरअसल इंदौर से पत्नी के साथ हनीमून मनाने शिलॉन्ग गए राजा रघुवंशी की हत्या हो गई थी। इस मामले ने मीडिया में काफी सुर्खियां बटोंरी और राजा की पत्नी सोनम पर हत्या को लेकर शक गहराया। इसके बाद जब छानबीन की गई तो सोनम को लेकर चौंकाने वाली बातें सामने आईं।

फिलहाल आरोपी सोनम रघुवंशी ने पूछताछ में अपना जुर्म कबूल कर लिया है। सारे सबूत सामने रखकर सोनम से पूछताछ की गई है,जिसमें सोनम ने कहा, ”हां, मैं अपने पति राजा रघुवंशी की हत्या की साजिश में शामिल थी।” दरअसल मेघालय पुलिस ने सोनम रघुवंशी और उसके प्रेमी राज कुशवाहा का आमना-सामना करवाया था। इस दौरान सोनम टूट गई और उसने सच उगल दिया।

सोनम रघुवंशी का भाई बोला- बहन को दिलवाऊंगा फांसी की सजा

हालही में मृतक राजा रघुवंशी के घर सोनम रघुवंशी का भाई गोविंद रघुवंशी भी पहुंचा था। वह राजा रघुवंशी की मां से गले मिलकर रोया और बोला कि वह अपनी बहन को इस करतूत कि लिए फांसी की सजा दिलवाएगा। हालही में राजा रघुवंशी के पिता ने कहा था, ‘जो भी इसमें शामिल हैं, उनको फांसी मिलनी चाहिए। सोनम के पूरे परिवार को मालूम था कि सोनम का अफेयर है।’ उन्होंने रघुवंशी समाज से अपील की है कि सोनम के परिवार को समाज से बाहर करें।

सोनम ने पूरी योजना मायके से रहकर ही बनाई थी’

इंदौर क्राइम ब्रांच के सूत्रों का कहना है, ‘सोनम ने ठान रखा था कि उसे राजा को मारना ही है। सोनम ने पूरी योजना मायके से रहकर ही बनाई थी। 11 मई को शादी के बाद 15 मई को सोनम अपने मायके आ गई थी। सोनम ने राजा से कहा था कि कामाख्या मंदिर में दर्शन के बाद ही वो पास आएंगे। इस बहाने उसने राजा को पहले कामाख्या मंदिर और फिर मेघालय जाने के लिए मनाया।

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