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वजनदार होने से नहीं बल्कि भजनदार बनकर भगवान की भक्ति करने से काम बनेगा-पू. गुरूजी श्री शास्त्रीजी


सप्त दिवसीय संगीतमय भागवतकथा का कुंचड़ौद में हुआ शुभारंभ

 

मन्दसौर। समीपस्थ ग्राम कुंचड़ौद में श्री सांवलिया गौशाला और समस्त ग्रामवासियों के संयुक्त तत्वावधान में परम गौभक्त भागवत प्रवक्ता पूज्य गुरूवर पं. भीमाशंकर जी शास्त्री धारियाखेड़ी के मुखारविन्द से सप्त दिवसीय भागवतकथा का कुमावत धर्मशाला कुंचड़ौद में शुभारंभ हुआ।
प्रारंभ में पौथी पूजन कन्हैयालाल कुमावत दम्पत्ति द्वारा किया गया। पूज्य शास्त्रीजी ने भागवत की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि सनातन धर्म ग्रंथों में दो ग्रंथ ही ऐसे है जिनके लिये श्रीमद् शब्द का प्रयोग होता है। प्रथम श्रीमद् भागवत और दूसरा स्वयं भगवान श्री कृष्ण के मुख से उद्घोषित श्रीमद् भगवद् गीता। जहां श्रीमद् भागवत ग्रंथ को साधारण पुस्तक अथवा ग्रंथ नहीं मानकर साक्षात भगवान का ही स्वरूप मानकर भगवान की भक्ति परम सहायक माना है। वहीं सम्पूर्ण संसार को कर्म और अकर्म का उपदेश देने वाला कोई ग्रंथ है तो वह है श्रीमद् भगवद् गीता जो सम्पूर्ण मानव मात्र के कल्याण के लिये यह शिक्षा देता है कि हमारे लिये करने योग्य कर्तव्य कर्म क्या है और अकल्याणकारक त्याग करने वाले अकर्म क्या है ?
आपने कहा कि भगवान की भक्ति में वजनदार का बनकर बल्कि भजनदार बनकर ही आपका काम बनेगा। जब हम यह सोचते है कि हम पद-प्रतिष्ठा-परिवार और समत्ति में सबसे बड़े वजनदार-ओहदे का संग करने पर हमारा कल्याण हो जायेगा परन्तु यह हमारी भूल है। याद रखे हमारा आत्मिक कल्याण हमारी भगवान की प्रीति-भगवान से सच्चा प्रेम तभी होगा तब हमें किसी भजनदार अर्थात भगवान की भक्ति-साधना करने वाले किसी महापुरूष संत का संग प्राप्त होगा।
सात दिवसीय श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा महोत्सव का शुभारंभ कलश यात्रा से हुआ जिसमें बड़ी संख्या में ग्राम कुंचड़ौद सहित आसपास क्षेत्र के श्रद्धालुओं ने भाग लिया। 17 जून तक श्री भीमाशंकरजी शर्मा शास्त्रीजी द्वारा प्रतिदिन दोप. 12 बजे से भागवत कथा का श्रवण कराया जाएगा। पूर्णाहुति, कथा विश्राम एवं महाप्रसादी का आयोजन 17 जून को होगा।
श्री सांवलिया गौशाला एवं कुंचड़ौद ग्रामवासियों ने सभी भक्तों से सात दिवसीय इस धर्म महोत्सव में उपस्थित होकर धर्मलाभ लेने की अपील की है।

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