मंदसौरमंदसौर जिला
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन एवं उसके प्रचार-प्रसार में विद्या भारती के आचार्य की महत्वपूर्ण भूमिका

नवीन आचार्य शिक्षण वर्ग के पंचम दिवस वर्ग संयोजक श्री सोनी ने कहा
मन्दसौर। ग्राम भारती शिक्षा समिति जिला मंदसौर द्वारा आयोजित नवीन आचार्य शिक्षण वर्ग 3 जून से 9 जून तक सरस्वती शिशु मंदिर नगरी में आयोजित हो रहा है।
शिक्षण वर्ग के पंचम दिवस के मुख्य अतिथि के रूप में जिला प्रमुख श्री महेश विश्वकर्मा, वर्ग संयोजक श्री मयूर सोनी, संकुल प्रमुख नगरी श्री पुष्कर धाकड़ उपस्थित थे। अतिथियों ने माँ सरस्वती का पूजन अर्चन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
वंदना सत्र में वर्ग संयोजक श्री मयूर सोनी ने अपने उद्बोधन में ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की क्रियान्वयन आचार्य की भूमिका विषय’’ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि लार्ड मैकाले शिक्षण पद्धति शिक्षार्थी को मानसिक गुलाम बनाने का काम करती है। शिक्षण पद्धति के सुधार करने हेतु विभिन्न प्रकार के आयोगो का गठन हुआ। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का क्रम(5+3+3+4) है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में 6 टूल्स का ज्ञान होना आवश्यक है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन एवं उसके प्रचार-प्रसार में विद्या भारती के आचार्य की महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है
श्री सोनी ने कहा कि हमारी प्राचीन शिक्षा अपने आप सुदृढ़, समृद्ध थी। शिक्षण का संपूर्ण कार्य गुरुकुल आश्रम में होता था। शिक्षण में धार्मिक शिक्षा, शारीरिक शिक्षा, नैतिक शिक्षा, बौद्धिक,आध्यात्मिक, शिक्षण पर भी जोर दिया था। प्राचीन समय में संदीपनी आश्रम,नालंदा तक्षशिला,आदि बड़े-बड़े विश्वविद्यालय थे। प्राचीन शिक्षा मे भारत दर्शन देखा जा सकता है। आपने बताया कि 1857 का संग्राम सबसे बड़ा स्वाधीनता संग्राम था। देश की आजादी के एवं अपने धर्म के लिए, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, महाराणा प्रताप, राणा रतन सिंह,रानी लक्ष्मीबाई, आदि में अपना सर्वस्व संचार किया ।
प्रारंभ में अतिथि परिचय शिक्षार्थी दीदी आशा पाटीदार ने दिया। अतिथि स्वागत शीतल सोनी, सोनिया गुप्ता,आँचल शर्मा ने किया। कार्यक्रम का संचालन उर्मिला पाटीदार ने किया। वंदना के पश्चात गणवेश प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। उक्त जानकारी प्रचार-प्रसार प्रमुख द्वारा दी गई।
शिक्षण वर्ग के पंचम दिवस के मुख्य अतिथि के रूप में जिला प्रमुख श्री महेश विश्वकर्मा, वर्ग संयोजक श्री मयूर सोनी, संकुल प्रमुख नगरी श्री पुष्कर धाकड़ उपस्थित थे। अतिथियों ने माँ सरस्वती का पूजन अर्चन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
वंदना सत्र में वर्ग संयोजक श्री मयूर सोनी ने अपने उद्बोधन में ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की क्रियान्वयन आचार्य की भूमिका विषय’’ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि लार्ड मैकाले शिक्षण पद्धति शिक्षार्थी को मानसिक गुलाम बनाने का काम करती है। शिक्षण पद्धति के सुधार करने हेतु विभिन्न प्रकार के आयोगो का गठन हुआ। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का क्रम(5+3+3+4) है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में 6 टूल्स का ज्ञान होना आवश्यक है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन एवं उसके प्रचार-प्रसार में विद्या भारती के आचार्य की महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है
श्री सोनी ने कहा कि हमारी प्राचीन शिक्षा अपने आप सुदृढ़, समृद्ध थी। शिक्षण का संपूर्ण कार्य गुरुकुल आश्रम में होता था। शिक्षण में धार्मिक शिक्षा, शारीरिक शिक्षा, नैतिक शिक्षा, बौद्धिक,आध्यात्मिक, शिक्षण पर भी जोर दिया था। प्राचीन समय में संदीपनी आश्रम,नालंदा तक्षशिला,आदि बड़े-बड़े विश्वविद्यालय थे। प्राचीन शिक्षा मे भारत दर्शन देखा जा सकता है। आपने बताया कि 1857 का संग्राम सबसे बड़ा स्वाधीनता संग्राम था। देश की आजादी के एवं अपने धर्म के लिए, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, महाराणा प्रताप, राणा रतन सिंह,रानी लक्ष्मीबाई, आदि में अपना सर्वस्व संचार किया ।
प्रारंभ में अतिथि परिचय शिक्षार्थी दीदी आशा पाटीदार ने दिया। अतिथि स्वागत शीतल सोनी, सोनिया गुप्ता,आँचल शर्मा ने किया। कार्यक्रम का संचालन उर्मिला पाटीदार ने किया। वंदना के पश्चात गणवेश प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। उक्त जानकारी प्रचार-प्रसार प्रमुख द्वारा दी गई।