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विकसित कृषि संकल्प अभियान में ग्राम फुलवरिया, बलुआ और बनटिकुला में किसानों के साथ कृषि वैज्ञानिकों ने किया बैठक

विकसित कृषि संकल्प अभियान में ग्राम फुलवरिया, बलुआ और बनटिकुला में किसानों के साथ कृषि वैज्ञानिकों ने किया बैठक

गोरखपुर पीपीगंज केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के तत्वावधान में 29 मई से 12 जून 2025 तक चल रहे विकसित कृषि संकल्प अभियान के दूसरे दिन ब्लॉक जंगल कौड़िया के ग्राम फुलवरिया, बलुआ और बनटिकुला में महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने किसानों के साथ संवाद किया। इस अभियान का उद्देश्य किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों, मृदा स्वास्थ्य, प्राकृतिक खेती, संतुलित उर्वरकों के उपयोग और सरकारी योजनाओं की जानकारी प्रदान कर उन्हें सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना है।महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ डॉ. संदीप प्रकाश उपाध्याय, डॉ. अजीत कुमार श्रीवास्तव और डॉ. विवेक प्रताप सिंह ने ग्राम भ्रमण के दौरान किसानों को खरीफ फसलों की नवीनतम उन्नत तकनीकों, मृदा जांच की महत्ता और प्राकृतिक खेती के लाभों के बारे में विस्तार से बताया। इस दौरान उपनिदेशक कृषि श्री धनंजय सिंह, जिला कृषि अधिकारी देवेंद्र प्रताप सिंह, सहायक विकास अधिकारी श्री अवध बिहारी और उद्यान इंस्पेक्टर श्री शशिमुरारी पांडे ने भी किसानों को सरकारी योजनाओं जैसे बीज सब्सिडी, कृषि यंत्रों पर अनुदान और सूक्ष्म सिंचाई योजनाओं की जानकारी दी।वैज्ञानिकों ने किसानों के साथ संवाद के दौरान उनके अनुभवों और नवाचारों का दस्तावेजीकरण किया, ताकि भविष्य की नीतियों और अनुसंधान में इनका उपयोग हो सके। प्रत्येक गांव में 80 से अधिक किसानों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया, जिसमें कृषि विभाग के एक दर्जन से अधिक कर्मचारी भी उपस्थित रहे।यह अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “लैब टू लैंड” मंत्र को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। वैज्ञानिकों ने ड्रोन तकनीक, धान की सीधी बुवाई (DSR), और फसल विविधीकरण जैसी आधुनिक तकनीकों का प्रदर्शन भी किया। किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर उर्वरकों के संतुलित उपयोग की सलाह दी गई, जिससे उत्पादन लागत कम हो और फसल की गुणवत्ता में वृद्धि हो।किसानों ने इस पहल की सराहना करते हुए इसे खेती में नवाचार और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। अभियान के तहत जिले के अन्य गांवों में भी इसी तरह के संवाद और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

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