भोपालमध्यप्रदेश

मध्‍य प्रदेश में सहकारी समितियों के चुनाव टले, मई से शुरू होनी थी प्रक्रिया

मध्‍य प्रदेश में सहकारी समितियों के चुनाव टले, मई से शुरू होनी थी प्रक्रिया

भोपाल। प्रदेश में प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के चुनाव सरकार ने एक बार फिर टाल दिए। अब समितियों के पुनर्गठन का हवाला देकर चुनाव आगे बढ़ाए गए हैं। दरअसल, सहकारिता मंत्रालय ने प्रत्येक पंचायत स्तर पर एक साख सहकारी समिति गठित करने के लिए कहा है। प्रदेश में परीक्षण करने के बाद लगभग साढ़े छह सौ समितियां बनाने का निर्णय हुआ है। इनमें से अभी मात्र 189 समितियां गठित करने की प्रक्रिया पूरी हुई है। इसे देखते हुए चुनाव टाल दिए गए।

उधर, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार समितियों की कमान किसानों के हाथों में सौंपना ही नहीं चाहती है, इसलिए किसी न किसी बहाने से बार-बार चुनाव टाले जा रहे हैं। प्रदेश की साढ़े चार हजार प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के चुनाव आखिरी बार 2013 में हुए थे, जिनका कार्यकाल 2018 में समाप्त हुआ नियमानुसार छह माह पहले चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जानी चाहिए थी, लेकिन विधानसभा चुनाव, किसान कर्ज माफी और अन्य कारणों से चुनाव प्रक्रिया लगातार टलती रही।

चुनाव नहीं होने के कारण हाई कोर्ट की जबलपुर व ग्वालियर खंडपीठ में कई याचिकाएं दायर हुईं।

महाधिवक्ता कार्यालय के सुझाव पर राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी ने मई से सितंबर 2025 के बीच चुनाव का कार्यक्रम घोषित किया।

यह प्रक्रिया प्रारंभ हो पाती इसके पहले सरकार फिर हाई कोर्ट पहुंच गई और चुनाव आगे बढ़ाने की अनुमति मांगी।

इसका आधार सहकारिता मंत्रालय के नई समितियों के गठन के दिशानिर्देश पर प्रचलित प्रक्रिया को बनाया। हाई कोर्ट ने इसे स्वीकार कर लिया और एक बार फिर चुनाव टल गए।

जबकि, चार चरण में प्रस्तावित कार्यक्रम में यह व्यवस्था रखी गई थी कि पहले चरण में उन समितियों को ही शामिल किया जाएगा, जो पुनर्गठित हो चुकी हैं।

फिर जैसे-जैसे पुनर्गठन की प्रक्रिया होती जाएगी, वैसे-वैसे पुनर्गठित समितियों को शामिल किया जाता रहेगा।

दिग्विजय ने सीएम को लिखा पत्र:

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सहकारिता के चुनाव न कराने पर आपत्ति जताते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखा है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के विकास में सहकारी संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है।

विगत 12 सालों से चुनाव ही नहीं कराए गए हैं। उच्च न्यायालय द्वारा चुनाव न कराने पर राज्य सरकार पर पेनाल्टी लगाने के बाद भी चुनावी प्रक्रिया अभी तक शुरू नही की गई है।

प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों से लेकर जिला और शीर्ष संस्था अपेक्स बैंक तक सरकारी तंत्र के हवाले कर दिया गया है।

उन्होंने मांग की कि सभी समितियों के चुनाव तीन माह के भीतर कराए जाएं ताकि लोकतांत्रिक व्यवस्था से निर्णय हों और निर्वाचित प्रतिनिधियों के पास सहकारी समितियों की कमान आ सके।

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