गुइलैन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) की गहन जांच पड़ताल करें : कलेक्टर श्रीमती गर्ग

गुलन बेरी सिंड्रोम (जीबीएस) बीमारी एक और संदिग्ध मरीज खेरखेड़ा में मिला
स्वास्थ्य विभाग आसपास के 6 गांवों में घर-घर जाकर सर्वे करें, केंद्रीय स्वास्थ्य दल ने बिमारी से बचाव के उपाय बताए
मंदसौर।कलेक्टर श्रीमती अदिती गर्ग की अध्यक्षता में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार का केंद्रीय दल एवं राज्य सरकार के स्वास्थ्य दलों के साथ गुइलैन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के संबंध में एक विशेष बैठक कलेक्ट्रेट चेंबर में आयोजित की गई। बैठक के दौरान बताया गया कि, गुइलैन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) एक दुर्लभ और गंभीर बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली नसों पर हमला करती है, जिससे मांसपेशियों की कमजोरी और पक्षाघात होता है। जीबीएस के लक्षण में मुख्य रूप से मांसपेशियों की कमजोरी या पक्षाघात, हाथों और पैरों में झुनझुनी या सुन्नता, दर्द या असहजता, संतुलन और समन्वय में समस्या, सांस लेने में कठिनाई होने लगती है। जीबीएस अक्सर एक वायरल संक्रमण के बाद विकसित होता है, जैसे कि श्वसन या पाचन तंत्र का संक्रमण। बैठक के दौरान डॉ. नवीन छरंग, अतिरिक्त निदेशक, एनसीडीसी अलवर शाखा (टीम लीड), डॉ. नरेंद्र आर्य, सहायक प्रोफेसर, एबीवीआईएमएस एवं डॉ. आरएमआई- अस्पताल नई दिल्ली, डॉ. गीतांजलि, निदेशक, एनएफएल कोलकाता, डॉ. विजय कुमार तेवतिया, संयुक्त आयुक्त (एएच), डॉ. विजय नेमा, वैज्ञानिक-एफ, आईसीएमआर-एनआईआरटीएच, जबलपुर, जल शक्ति मंत्रालय के प्रतिनिधि, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर जीएस चौहान, जिला आईएसडीपी टीम मौजूद थे। बैठक के दौरान कलेक्टर ने निर्देश देते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग एवं पीएचई विभाग मिलकर आसपास के गांव में घर-घर जाकर सर्वे करें। पानी के स्रोत, खाने के स्रोत अन्य स्त्रोतों की जांच करें। इस कार्य में आशा एवं एएनएम को भी लगाए, इसके लिए उन्हें प्रशिक्षण भी प्रदान करें। जीबीएस के साथ-साथ अन्य बीमारियों को भी चिन्हित करें और उसका भी सर्व करें। जो परिवार जीबीएस से प्रभावित हैं उनके परिवार में अन्य कोई व्यक्ति किसी बीमारी से ग्रसित तो नहीं है उसकी भी जांच करें। केंद्र एवं राज्य सरकार के दल गहन रिसर्च करें। जितने भी खाने एवं पीने के स्रोत हैं उनकी फूड लेब के माध्यम से माइक्रो बायोलॉजिकल टेस्ट किया जाए। केंद्रीय एवं राज्य के दलों द्वारा बताया गया कि मुल्तानपुरा, भूनिया खेड़ी, संजीत नाके क्षेत्र में पानी और अन्य पदार्थ की लगातार जांच की जाए। पूरे एरिया को सेनीटाइज करें। वहां से होने वाली जितनी भी सप्लाई हैं, उसको वर्तमान में रोक दिया जाए, सभी लोग पानी उबाल के पीए, लोगों जागरूक करें। लोगों को अगर शरीर में कमजोरी लगे तो तुरंत अस्पताल या डॉक्टर को बताएं और जांच कराए। पानी के टैंकरों की लगातार साफ सफाई हो, जहां पर पोल्ट्री फार्म है, उसके आसपास गंदगी ना हो, फार्म के आसपास में पानी का स्रोत न हो, पानी के स्रोत की प्रॉपर पैकिंग की जाए। पानी के स्रोत में क्लोरीन टैबलेट डाली जाए। क्लोरीन टैबलेट स्वास्थ्य विभाग पर्याप्त मात्रा में लोगों को उपलब्ध करवाए। दलों ने सस्पेक्ट लोगों से मुलाकात की, उन सभी घरों में सर्व किया। लोगों के ब्लड सैंपल लिया। सभी सैंपल को जांच के लिए भेजा गया है।
मरीज सीतामऊ क्षेत्र के खेरखेड़ा में
