वही साहित्य अमर होता है जिसमें समाज का उत्थान निहित हो

वही साहित्य अमर होता है जिसमें समाज का उत्थान निहित हो
मंदसौर। अगर लेखक की लेखनी से समाज का भला नहीं होता है तो ऐसा लिखना सिर्फ कागज रंगने जैसा है। ये विचार क्षेत्र के प्रमुख कवि प्रमोद रामावत में व्यक्त किये। वे अपने जन्मदिन के अवसर पर प्रबुद्ध जनों द्वारा आयोजित सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वही साहित्य अमर होता है जिसमें समाज का उत्थान निहित है। प्रेमचंद कालखंड में अनेक साहित्यकार हुए उनमें से प्रेमचंद ही सर्वाधिक पाठ्यक्रम का भाग बने। प्रमोद रामावत ने उभरते कवियों से कहा कि वे समाज को केंद्र में रखकर लिखेंगे तो उनका लेखन अर्थ पूर्ण होगा। इस अवसर पर उन्होंने कई रचनाओं का पाठ किया।मालवा अंचल में साहित्य , कला संस्कृति के संरक्षक नरेंद्र सिंह सिपानी ने अपना उद्बोधन में कहा कि प्रमोद रामावत की उर्दू और हिंदी पर समान रूप से पकड़ रही है। वे दोनों भाषाओं के सच्चे प्रतिनिधि हैं। श्री रामावत की लेखनी समाज को प्रेरित करती है।
वरिष्ठ पत्रकार घनश्याम बटवाल ने कहा कि श्री रामावत अपनी लेखनी से जो कटाक्ष करते हैं उनसे समाज को नई दिशा मिलती है। फिल्मकार प्रदीप शर्मा ने श्री रामावत की पुस्तक सपने छू मंतर की समीक्षा करते हुए उसके भाव पक्ष को सामने रखा।प्रगतिशील लेखक संघ के असअद अंसारी ने श्री रामावत के प्रकाशित नौ संकलनों का जिक्र करते हुए पुस्तक सहने की भी हद होती है पर विचार व्यक्त किये उन्होंने श्री रामावत को उद्धारित करते हुए कहा कि काश हम से कोई धर्म छीन ले। फिर हम हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई की जगह दुनिया भर में सब इंसान ही बचे रहेंगे
श्री अंसारी ने अपने अशआर सुनाते हुए कहा कि आंसुओं आँख की दहलीज पे आया न करो, दिल के हालात जमाने को बताया ना करो। वरिष्ठ पत्रकार बृजेश जोशी ने कहा कि समाज में मूल्य और संस्कार का प्रभाव साहित्य के माध्यम से होता है। श्री रामावत इसी आधार पर लेखन करते हैं। जावरा के शायर फजल हयात ने अपनी ग़ज़ल में कहा कि वो आग लगाकर आए दूर तलक, वो आग अब उनके घर तक आ गई है।युवा शायर डीजे सिंह तथा मनी शामगढ़ वाला ने रचना पाठ किया।
राजकुमार अग्रवाल ने गीत और भजनों की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर सुनील व्यास, संजय भारती, पत्रकार नवीन जैन ,डॉ.रामराज सैन ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन संगीत महाविद्यालय जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष नरेंद्र त्रिवेदी ने किया। आभार माना इंजीनियर सुनील व्यास ने।