माननीय न्यायालय ने अपील को निरस्त करते हुए, सही हकदारों के पक्ष में सुनाया फैसला

माननीय न्यायालय ने अपील को निरस्त करते हुए, सही हकदारों के पक्ष में सुनाया फैसला
मंदसौर। न्यायालय जिला न्यायाधीश श्रृंखला न्यायालय सीतामऊ के द्वारा एक महत्वपूर्ण निर्णय पारित करते हुए शारदा देवी भार्गव पति सुशील भार्गव निवासी सीतामऊ की अपील निरस्त करते हुए असली हकदारों के पक्ष में निर्णय सुनाकर न्याय प्रदान किया।
प्रकरण के अनुसार शारदादेवी ने एक दावा न्यायालय में प्रस्तुत किया कि ग्राम माउखेड़ा तह. सीतामऊ की भूमि आशाराम नामक व्यक्ति ने उसके यहा वर्ष 1990 में दो वर्ष के लिए रहन रखी थी व कब्जा दिया था जो शारदादेवी के करने पर भी आशाराम ने रहन से मुक्त नही करवाया। इस कारण बाद मे वह प्रतिकुल कब्जे के आधार पर भूमि की स्वामी हो गई, बाद में वर्ष 2012 आशाराम कांछी व महेश भार्गव खेत पर आये व कब्जा करने का प्रयास किए तो उसने पुलिस में रिपोर्ट लिखवाई की आशाराम ने झगड़ा पैदा करने के लिए जमीन की विक्रय की अनुबंध व रजिस्ट्री महेश भार्गव के हक में करवा दी। जबकी आशाराम का कोई हक व अधिकार वादग्रस्त भूमि में नही रहा था और कब्जा भी नहीं था इसलिए शारदादेवी ने घोषणा व स्थाई निषेवाया का दावा पेश किया, जिसके जवाब मे आशाराम कांछी व महेश भार्गव का कहना था कि उसने कभी भूमि वादिया के यहां रहन नहीं रखी न ही कभी कब्जा दिया आशाराम भूमि स्वामी व कब्जाधारी था उसने विधिवत महेश भार्गव को भूमि विक्रय की व कब्जा दिया जो वर्ष 2012 से महेश भार्गव का कब्जा चला आ रहा है।
अधिनस्थ न्यायालय ने सीतामऊ के वादिया का दावा 10 -6-22 को निरस्त कर दिया था जिसके विरुद्ध शारदादेवी ने अपील प्रस्तुत की जो अपील न्यायालय मे दोनों पक्षों को सुनकर महत्वपूर्ण निर्णय पारित करते हुए रहन नामा लिखित व रजिस्टर्ड नही होने तथा रहन मुक्ति का नोटिस नहीं देना मानते हुए रजिस्टर्ड बंधक के अभाव मे कृषि भूमि का बंधक नही माना तथा न्यायालय ने वादग्रस्त भूमि पर शारदादेवी का कब्जा होना भी सिद्ध नही माना वहीं माननीय न्यायालय ने शारदादेवी व उसके साथियो कथनो का भी विश्वसनीय नही माना है। इस प्रकार माननीय न्यायालय ने झूठे वाद व अपील को निरस्त कर दिया व इमानदार पक्षकार के हक में निर्णय व जयपत्र प्रदान किया। इस मामले में सफल पैरवी मंदसौर के एडव्होकेट बी एल गुप्ता ने की।