गर्मियों में पशुओं का सही से करें आहार प्रबंधन डॉ. विवेक

गर्मियों में पशुओं का सही से करें आहार प्रबंधन डॉ. विवेक
गोरखपुर पीपीगंज गर्मियों के मौसम में पशुओं से अधिक उत्पादन प्राप्त करना और उनका बेहतर प्रबंधन करना पशुपालकों के लिए एक बड़ी चुनौती है। तापमान 30 से 45 डिग्री सेल्सियस या उससे भी अधिक होने के कारण पशुओं के स्वास्थ्य और दूध उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। हालांकि, महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ डॉ. विवेक प्रताप सिंह का कहना है कि सही आहार प्रबंधन और देखभाल से इस समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।डॉ. विवेक के अनुसार, गर्मियों में पशुओं के आहार में ऊर्जा से भरपूर दाने जैसे मक्का और जौ का प्रयोग करना चाहिए। इसके साथ ही संतुलित आहार में हरा चारा, खनिज लवण और नमक को शामिल करना जरूरी है, ताकि पशुओं को प्रोटीन, ऊर्जा, विटामिन और खनिजों की पर्याप्त मात्रा मिल सके। हरे चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए मक्का, लोबिया, चरी और ज्वार जैसी फसलों को उगाने की सलाह दी गई है। इससे पशुओं को पोषण के साथ-साथ पानी की कमी भी पूरी होती है। यदि हरा चारा कम हो, तो अतिरिक्त विटामिन दिए जा सकते हैं।गर्मी में पशुओं की नमक की जरूरत बढ़ जाती है, इसलिए प्रत्येक पशु को रोजाना 25-30 ग्राम नमक देना चाहिए। साथ ही, पानी की प्रचुर मात्रा उपलब्ध करानी चाहिए, क्योंकि सामान्य दिनों में 35-40 लीटर पानी की जरूरत गर्मियों में दोगुनी हो जाती है। आहार को दिन में तीन-चार बार ठंडे समय (सुबह, शाम और रात) में देना बेहतर है। पशुओं को चराने के लिए भी सुबह या शाम का समय चुनना चाहिए, क्योंकि तेज धूप उनके स्वास्थ्य और उत्पादन के लिए हानिकारक होती है।पशुशाला में साफ और ताजा पानी की व्यवस्था अनिवार्य है। डॉ. विवेक ने बताया कि भैंसें गायों की तुलना में गर्मी से अधिक प्रभावित होती हैं, इसलिए उन्हें दिन में एक-दो बार नहलाना जरूरी है। यदि तालाब उपलब्ध हो, तो भैंसों को कुछ घंटों के लिए वहां छोड़ा जा सकता है। इन उपायों से गर्मियों में पशुओं का स्वास्थ्य और दूध उत्पादन दोनों बेहतर बनाए रखा जा सकता है।