पोरवाल महिला मंडल सीतामऊ द्वारा पांच दिवसीय गणगौर पूजन का आयोजन धुमधाम के साथ मनाया

पोरवाल महिला मंडल सीतामऊ द्वारा पांच दिवसीय गणगौर पूजन का आयोजन धुमधाम के साथ मनाया
सीतामऊ- नगर में आस्था, समृद्धि व सौभाग्य के त्यौहार गणगौर तीज के अवसर पर पोरवाल समाज महिला मंडल सीतामऊ के तत्वाधान में महिलाओ द्वारा पांच दिवसीय गणगौर पूजन पर्व का आयोजन किया। सर्वप्रथम ईसर-गौरी व मंगल कलश की पूजा के साथ झेल प्रारंभ हुई। झेल में विशेष श्रृंगार कर दुल्हा-दुल्हन लेकर चल रही थी। पोरवाल बंधुओं ने झेल का स्वागत किया। महिलाओं ने परम्परागत गणगौर गीत ‘‘गोर ए गणगौर माता खोल किवाड़‘‘, ‘‘खेलन दो गणगौर’’, ‘‘गणगौरया रे मेला पेला, म्हारी पियर में बोई गणगौर रे’’ गाए नृत्य किया ।
आयोजन के प्रथम दिन 28 मार्च शुक्रवार को लाल साड़ी में महिलाओं द्वारा फुल पाती लाने (कलश यात्रा) का आयोजन किया गया।दुसरे दिन 29 मार्च शनिवार को पीली साड़ी में महिलाओं द्वारा माता गौरी की पीहर में हल्दी उबटन रस्म निभाई। तीसरे दिन 30 मार्च रविवार को हरी साड़ी में महिलाओं द्वारा गण ईशर शंकर और गौर माता गौरी पार्वती के साथ मेहंदी लगाने तथा चौथे दिन 31 मार्च सोमवार को लहँगे में महिलाओं ने स्वयं और माता गौरी को चुनरी और सौलह सिंगार से सजने संवरने कि परंपरा का आयोजन किया गया।
पांचवें दिन 01 अप्रैल मंगलवार को लहँगे में महिलाओं द्वारा ढोल ढमाके बेंड बाजे के साथ गीत भजनों गाते और मनमोहक नृत्य के साथ नगर गोवर्धन नाथ मंदिर से ईशर गणगौर कि झेल प्रारंभ होकर राजवाड़ा चौक भृगु ऋषि द्वार महाराणा प्रताप चौराहे होकर बस स्टैंड से श्री कृष्णा कालोनी सुवासरा रोड से पोरवाल मांगलिक भवन पहुंची जहां पर महिलाओं ने ईशर गणगौर कि पूजा अर्चना कर अपने पति परिवार के प्रेम बंधन में रहने की कामना की।
महिला मंडल द्वारा पांच दिवसीय गणगौर पूजन का आयोजन धुमधाम के साथ मनाया गया। यह पर्व गण-गौर यानि शिव-पार्वती की पूजा का यह पावन पर्व पति पत्नी के आपसी स्नेह और साथ ही कामना से जुड़ा हुआ है। यह ईश शिव और गौरी की उपासना का मंगल उत्सव है।
पांच दिवसीय आयोजन में साधना मेहता श्वेता सेठिया आशा घाटिया भगवती सेठिया प्रेमलता मांदलिया अनुसूइया घाटिया अंजली घाटिया सुनीता फरक्या संगीता घाटिया सुनीता घाटिया प्रेमलता सेठिया उषा घाटिया सुनीता गुप्ताममता राहुल घाटिया मोना विशाल घाटिया संतोष घाटिया अंकिता घाटिया रिंकू सेठिया पूनम सेठिया कांति मेहता पायल घाटिया संगीता गोपाल घाटिया कोमल दिनेश घाटिया कृष्णा घाटिया जया घाटिया पिंकी आशीष मेहता अंतिम बाला घाटियाउषा सेठियामोनिका गौरव सेठिया पदमा घाटिया उषा प्रदीप जी घाटियारेखा अनिल जी घाटिया हेमा प्रमोद घाटिया कविता तरुण घाटिया शेफाली मोनू घाटिया निधि उज्ज्वल घाटिया हेमा पवन वेद समता जितेश घाटिया रेखा गोविंदजी घाटियाललिता अनिलजी घाटिया सुनीता अतुल वेद प्रियंका यश घाटिया राधा तरुण घाटिया स्नेहलता घाटिया ललिता ओमप्रकाश घाटिया शिवकन्या गुप्ता मनीषा अरुण गुप्ता पिंकी रवि घाटिया खुशबु मेहता मेघा नागेश घाटिया सरोज फरक्या शेली मेहुल घाटिया संध्या दीपक घाटिया चन्दा श्री राम घाटिया विमला कैलाशजी घाटिया ममता संजय घाटिया शिवानी अंशुल घाटिया दिलखुश डपकरा आयुषी पंकज डपकराअनिता निर्मल फरक्या परिधि रोहित मेहता टीना महेश गुप्ता उषा जुगलकिशोर जी घाटिया कीर्ति अर्पित घाटिया हिना रवि घाटिया सहित समाज कि महिलाओं ने गणगौर व्रत पुजन झेल आयोजन में सम्मिलित रही।
गणगौर पर्व –
गणगौर व्रत का संबंध भगवान शिव और माता से है । शास्त्रों में वर्णित कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव , माता पार्वती और नारद मुनि भ्रमण पर निकले । सभी एक गांव में पहुंचे । जब इस बात की जानकारी गांव वालों को लगी तो गांव की संपन्न और समृद्ध महिलाएं तरह – तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाने की तैयारी में जुट गईं , ताकि प्रभु अच्छा भोजन ग्रहण कर सकें । वहीं गरीब परिवारों की महिलाएं पहले से ही उनके पास जो भी साधन थे उनको अर्पित करने के लिए पहुंच गई । ऐसे में उनकी भक्ति भाव से प्रसन्न होकर माता पार्वती ने उन सभी महिलाओं पर सुहाग रस छिड़क दिया । फिर थोड़ी देर में संपन्न परिवार की महिलाएं तरह – तरह के मिष्ठान और पकवान लेकर वहां पहुंची , लेकिन माता के पास उनको देने के लिए कुछ नहीं बचा ।
इस पर भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा कि अब आपके पास इन्हें देने के लिए कुछ नहीं बचा क्योंकि आपने सारा आशीर्वाद गरीब महिलाओं को दे दिया । ऐसे में अब आप क्या करेंगी। इस माता पार्वती ने अपने खून के छींटों से उन पर अपने आशीर्वाद बांटे । इसी दिन चैत्र मास की शुक्ल तृतीया का दिन था , इसके बाद सभी महिलाएं घरों को लौट गई । इसके बाद माता पार्वती ने नदी के तट पर स्नान कर बालू से महादेव की मूर्ति बनाकर उनका पूजन किया । फिर बालू के पकवान बनाकर ही भगवान शिव को भोग लगाया और बालू के दो कणों को प्रसाद रूप में ग्रहण कर भगवान शिव के पास वापस लौट आईं ।