गरोठमंदसौर जिला

भगत सिंह की बातें करना तो आसान है पर भगत सिंह बनना आसान नहीं -आचार्य प्रशांत शर्मा

 

महाराणा युवा संघ के तत्वाधान में दी शहीदों को श्रद्धांजलि

गरोठ। रविवार को महाराणा युवा संघ के तत्वाधान में एक शाम बलिदानियों के नाम कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें कार्यक्रम में सर्व प्रथम मुरेना से आये आचार्य प्रशांत शर्मा, हरिद्वार से मिनाक्षी सहरावत मेरठ से आई डा आयुषी राणा , गोपुत्र सेना झालावाड़ के संरक्षक विनीत पोरवाल तथा फौजियों व जनप्रतिनिधियों नगर गणमान्य नागरिको के दुवारा शहीद चोक में स्थित शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित कि गई। उसके पश्चात फौजी भाईयों वक्ताओं तथा गौ सेवा के रूप में नगर गरोठ में अपनी सेवाएं देने वाली संस्था महाकाल मडण्ली तथा गोपुत्र सेना गरोठ का महाराणा युवा संघ के सदस्यों द्वारा प्रतीक चिन्ह तथा महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा रचित पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में हरिद्वार से आई मीनाक्षी सहरावत द्वारा अपने उद्बोधन में कहां की हमारे देश का पुत्र हो सकता सपुत हो सकता है हमारे देश पिता नही हो सकता है हमारा इडियल भगत सिंह होने चाहिए ना कि दो कौड़ी के नचनिया गुटखा खैनी बेचने वाले आइडियल नहीं होने चाहिए हमारे आदर्श खुदीराम बोस भगत सिंह चंद्रशेखर आजाद होने चहिए। बच्चों में संस्कार अपनी माताओ से आते हैं माताओ को चाहिए कि माताओ चाहिए कि अपने बच्चों को भगत सिंह सुखदेव चंद्रशेखर आजाद रामप्रसाद बिस्मिल के जीवन चरित्र की गाथाएं सुनानी चाहिए।मेरठ से आई डा आयुषी राणा ने कहा कि अन्याय के विरुद्ध हर क्रांतिकारी विचारधारा का नाम है भगतसिंह। भगतसिंह के पूरे परिवार ने आजादी के लिए अंग्रेजी हुकूमत से लड़ते हुए शहादत दे दी।भगत सिंह आजादी की वो रवानी थे जिनसे अंग्रेजी हुकूमत खोफ खाती थी। कई युवाओं की शहादत से आजादी आई थी। ओर आज आजाद भारत में कुछ बेशर्म लोग लोकतंत्रों के मंदीर में खड़े होकर कह दिया करते हैं महाराणा सांगा तो गद्दार थे में उन गद्दारों कहना चाहती हु कोन थे महाराणा सांगा महाराणा सांगा वो थे जिनके शरीर पर अस्सी अस्सी घाव होते थे तब भी वे युद्ध करते थे।

मुरेना से आये आचार्य प्रशांत शर्मा ने कहा कि भगत सिंह की बातें करना तो आसान है पर भगत सिंह बनना आसान नहीं है। भगत सिंह के बचपन की एक घटना है भगत सिंह अपने पिता को खेतों में गन्ना बोते हुए देख रहे थे तो भगत सिंह ने अपने पिता से पूछा कि पिताजी यह क्या कर रहे हो पिताजी ने कहा गन्ना बो रहा हु। भगत सिंह कहते हैं गन्ना बोने से क्या होगा तो भगत सिंह के पिता कहते हैं एक गन्ना बोऊगां तो उससे कई गन्ने होगे। भगत सिंह अपने पिता से कहते हैं तो फिर हम खेतों में गन्ने की जगह बंदूकें ही क्यों न बो देते और उन बन्दुको से अंग्रेजो की छाती छलनी कर देंगे ये थे भगतसिंह के बचपन के विचार। क्रांतिकारी बनाए नहीं जाते वह तो पेंदा ही क्रांतिकारी होते हैं। क्या हमने भगत सिंह के सपनों का भारत बना पाए । भगत सिंह कहते थे हमको तो कुचल सकते हैं अंग्रेज पर हमारे विचारो को नहीं कुचल सकते है। कार्यक्रम के अंत मे महाराणा युवा संघ के सदस्यों ने फौजी भाइयों तथा बाहर से पधारे हुए वैदिक वक्ताओं गौ माता की सेवा करने वाले को पुत्रों का आभार प्रकट किया कार्यक्रम मे नगर के कई गणमान्य नगरिक जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}