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टीबी मरीजों को दवा पहुंचाने में आशा व वॉलिंटियर की लापरवाही, बुजुर्ग मरीजों को हो रही परेशानी

टीबी मरीजों को दवा पहुंचाने में आशा व वॉलिंटियर की लापरवाही, बुजुर्ग मरीजों को हो रही परेशानी

गोरखपुर पीपीगंज भरोहिया ब्लॉक के तुर्कवलिया ग्राम सभा के 77 वर्षीय दयाराम यादव ने टीबी की दवा लेने के लिए नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पीपीगंज का रुख किया। उन्होंने बताया कि इस उम्र में भी उन्हें स्वयं दवा लेने के लिए अस्पताल आना पड़ रहा है, जबकि सरकार की ओर से आशा व वॉलिंटियर को प्रति मरीज ₹1000 दवा पहुंचाने और जांच करने के लिए दिए जाते हैं।
दयाराम यादव ने कहा, “मैं बूढ़ा हो चुका हूं, चलने-फिरने में दिक्कत होती है। फिर भी मुझे हर महीने दवा लेने के लिए अस्पताल आना पड़ता है। आशा व वॉलिंटियर कभी दवा लेकर नहीं आते। सरकार ने यह सुविधा दी है, लेकिन जमीन पर इसका लाभ नहीं मिल रहा।” सरकार की योजना के अनुसार, टीबी मरीजों को उनके घर पर ही दवा पहुंचाने और नियमित जांच करने की जिम्मेदारी आशा व वॉलिंटियर की होती है। इसके लिए उन्हें प्रति मरीज ₹1000 का मानदेय भी दिया जाता है। लेकिन, ग्रामीण इलाकों में कई मरीजों ने शिकायत की है कि उन्हें यह सुविधा नहीं मिल पा रही है।स्थानीय निवासियों का कहना है कि आशा व वॉलिंटियर की लापरवाही के कारण टीबी मरीजों को काफी परेशानी हो रही है। विशेषकर बुजुर्ग और गरीब मरीजों को दवा लेने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है, जो उनके लिए एक बड़ी चुनौती है।इस मामले पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि इस तरह की शिकायतों की जांच की जाएगी और यदि आशा व वॉलिंटियर अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग ने टीबी मरीजों से अपील की है कि यदि उन्हें दवा या जांच संबंधी कोई समस्या हो, तो वे तुरंत संबंधित अधिकारियों को सूचित करें। स्थानी लोगों ने बताया इस मामले ने एक बार फिर ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की आवश्यकता को उजागर किया है। सरकारी योजनाओं का लाभ जमीन तक पहुंचाने के लिए अधिकारियों को गंभीरता से कदम उठाने की जरूरत है।

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