मंदसौर जिलासीतामऊ

सीतामऊ  की सुहानी यादें समेटती पुस्तक “लौटा मन अतीत की ओर” का लोकार्पण

सीतामऊ  की सुहानी यादें समेटती पुस्तक “लौटा मन अतीत की ओर” का लोकार्पण

सीतामऊ । छोटी काशी नगरी की साहित्यिक परम्परा को आगे बढाने के प्रयास में सीतामऊ क्षेत्र के नागरिक साक्षी बने अवसर था 09 फरवरी रविवार को सीतामऊ पर केन्द्रित “लौटा मन अतीत की ओर” लोकार्पण का। इस कृति में 1965 से 1975 बीच सीतामऊ की भौगोलिक स्थिति, ऋतु परिर्वतन, तीज त्यौहार के महत्व व कहावतों को समेटा गया है।

विशेष अतिथि इतिहासकार पण्डित कैलाशचन्द्र  पाण्डेय, ने अपने उद्बोधन में कहा कि मालवा को समर्पित महाराजकुमार हा रघुवीरसिंह के योगदान को याद करते हुए उल्लेख किया कि श्री दुबे परिवार के पितृपुरुष पण्डित किशनलालजी दुबे संस्कृत के उद्भट विद्वान थे जिन्होने मान प्रकाश का संस्कृत से हिन्दी में अनुवाद किया उनके सुपुत्र द्वय भी साहित्य साधना में जुटे है । डॉ. भोलेश्वर दुबे, की कृति “लौटा मन अतोत की ओर” जो एक एतिहासिक नगर के प्रति समर्पित है यह कृति इतिहास के अध्ययन को आगे बढाने में सहायक होगी ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. विक्रमसिंह भाटी, निदेशक नटनागर शोध संस्थान ने संस्मरण और डायरी लेखन का इतिहास लेखन में महत्व प्रतिपादित करते हुए कहा कि यह पुस्तक भी सीतामऊ के इतिहास का महत्वपूर्ण दस्तावेज है।

श्री भुवनेश्वरसिंह दीपाखेड़ा ने मालवी भाषा क महत्व को समझाते हुए इसे अपनाने पर जोर दिया इसकी मिठास और इससे बढने वाली अपनत्व की भावना की विशेषताओं को रेखांकित किया। पूर्व प्रशासनिक अधिकारी, श्री अनिल पटवा ने इस पुस्तक के आध्यात्मिक और दार्शनिक पक्ष को बहुत सपष्ट रूप से प्रस्तुत किया। कार्यकम के प्रारंभ में श्री अमरसिंह कुशवाह ने दुबे परिवार का सीतामऊ की शिक्षा में योगदान पर उदबोधन दिया। पुस्तक के लेखक डॉ. भोलेश्वर दुबे ने रोचक तरीके से उस काल के विविध प्रसंग प्रस्तुत किए। संचालन सेवानिवृत्त शिक्षक श्री गोविंद सांवरा ने बड़े उत्साह के साथ प्रभावी संचालन किया।

कार्यकम में उपस्थित सभी मंचासीन गणमान्य नागरिक, भाई, बहन व पत्रकारगण के अतिरिक्त इस्टेट मैनेजर श्री रवीन्द्रसिंह राठौर, डॉ. राजेन्द्र चौहान श्री विरेन्द्रसिंह राठौर, मोहनसिंह भंसाली, रामेश्वर जामलिया, श्री भूपेन्द्रसिंह राजगुरू, श्री ओमसिंह भाटी, डॉ. शिवसिंह भाटी, श्री कष्णसिंह राजगुरू, श्री सुरेन्द्र व्यास तथा सीतामऊ से बाहर बसे कई श्रीराम विद्यालय के पूर्व छात्र भी उपस्थित रहे। अंत में श्री गौरीशंकर दुबे ने इन सबका आभार व्यक्त किया ।

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