दीपावली त्यौहार की तैयारियों में लगे कार्यकर्ता,कृषक जुटे खेतो में गांवों बाजारों व सड़़को पर छाया सन्नाटा

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उम्मीदवारों के दौरे फिर भी जारी किसी को समझ नही आ रहा है इस बार की कौन किस पर भारी
सीतामऊ। नवरात्रि दशहरा पर्व के बाद दिपावली आने वाली है। वहीं विधानसभा चुनाव का बिगुल भी बज चुका है ऐसे में गांवो की गलियां हो या शहर के चौराहे व्यस्त सड़़कें हो या नुक्कड़ों की होटल व चाय की टपरीया हर जगह सन्नाटा पसरा हुआ है। विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों के साथ गाड़ीयों में बैठने वाले कार्यकर्ताओं के अतिरिक्त जनता कहीं नही दिख रही हैं न चुनावी माहौल अभी तक जम नहीं पाया चुनावी रंगत अभी फिखी दिखती नजर आ रही है। अक्सर चुनावो में देखा जाता है कि जैसे ही किसी दावेदार की टिकिट तय होकर वो सम्बंधित पार्टी का उम्मीदवार बन जाता है वैसे ही उस क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की गतिविधियों में उछाल आ जाता है, नुक्कड़,चौराहों, होटलों व सैलून की दुकानों पर चर्चाओं का माहौल गर्म रहता है,गांवो ने उत्साह रहता है कि चुनाव है तों वहीं शहरों में वोटो का गणित लगाया जाता है की कौन जीत रहा है व कौन कैसे हार रहा है। लेकिन इस बार अचरज होगा कि कुछ दिनों उपरांत विधानसभा का चुनाव होना हैं और चारो ओर सन्नाटा पसरा है गलियां खाली है, सड़़कें सुनसान है, चौराहों पर महफिल सजी नही है न कोई माहौल है न उत्साह है बस हर जगह चंद पदाधिकारीयों की चहलकदमी दिख रही है क्योंकि एक तो चुनाव का समय है वहीं दीपावली जैसे महापर्व भी आने वाला है जिसके कारण अधिकांश कार्यकर्ताओ व पदाधिकारीयों को स्वंय के काम धंधे त्यौहारी सीजन पर करना है। और घरो/कार्यालयों/गोदामो/दुकानों की साफ सफाई भी करना है व वर्ष भर में सर्वाधिक कुछ ही दिन त्योहारों के समय अच्छी ग्राहकी हों सभी दुकानदार भी यही चाहते है जो व्यापार व्यवसाय से नही जुड़े़ है वो किसान कृषि कार्यो में व्यस्त है। वहीं मजदूर कृषि कार्यों के साथ साफ सफाई रंग रोगन के कामो कि मजदूरी कर रहे हैं। इस बार कृषि कार्य जल्दी आ गया है ऐसे में बाजारों में सन्नाटा छाया हुआ हैं और थोड़े कुछ लोग जिनके पास अपने अपने दलों कि जिम्मेदारी है या भविष्य में अपेक्षा है सिर्फ वो ही लोग उम्मीदवारों की गाड़ीयों में बैठकर शोभा बढ़ा रहे है। माला व ढोल भी साथ मे ही है क्योंकि गांवो में तो सन्नाटा है इस बार अभीतक माहौल नही बन पाया है और न किसी में उत्साह फिलहाल दिख रहा है। ऐसी स्थिति में यह अनुमान लगाना भी मुश्किल है कि इस बार ऊट किस करवट बैठेगा। क्योंकि सभी व्यस्त है तो चुनावी माहौल बनेगा कैसे खैर दीपावली के फटाके दोनो पार्टियां बचाकर रखेगी इस बार पता न किसे आतिशबाजी करने का अवसर मिल जाये। उत्साह के भावों से भरकर आइए ‘मतदान करे’ स्वयं भी मतदान करे व अन्य को भी प्रेरित करे,आपका मत ही मध्यप्रदेश की नई दिशा व दशा तय करेगा लोकतंत्र के इस महापर्व में भागीदार बनें।