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MP में AI की मदद से संचालित होगा Dial 100 System, लोगों को जल्दी मिलेगी सहायता

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MP में AI की मदद से संचालित होगा Dial 100 System, लोगों को जल्दी मिलेगी सहायता

भोपाल। प्रदेश में लोगों को पुलिस सहायता जल्द उपलब्ध हो, इसके लिए डायल- 100 सेवा में काल अग्रेषित (डिस्पैच) करने वालों की संख्या बढ़ाई जाएगी। ये अभी 24 हैं, जिसे बढ़ाकर 40 किया जाएगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के माध्यम से आटो डिस्पैच तकनीक को लागू किया जाएगा। इससे डायल-100 वाहन रवाना करने में तेजी आएगी। कॉल सेंटर की अधिकतम क्षमता अभी 80 सीट की है जिसे 100 किया जाएगा। वाहनों की संख्या भी 1000 से बढ़ाकर चरणबद्ध तरीके से 2000 तक की जाएगी। संचालन करने वाली नई कंपनी के आने के बाद ये सुविधाएं बढ़ेंगी। पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों ने बताया कि विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाएगा, जो डायल-100 वाहन, काल सेंटर और अन्य संसाधनों की विशिष्टता (स्पेसिफिकेशन) तैयार करेगी। उदाहरण के तौर पर वाहन में बैठने की क्षमता, ग्राउंड क्लियरेंस आदि। इसके बाद वाहनों का संचालन करने वाली कंपनी के चयन के लिए निविदा जारी की जाएगी। सरकार ने बुधवार को डायल- 100 सेवा की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को स्वीकृति दी है।

अभी ये परेशानियां-

प्रदेश में संचालित हो रहे डायल- 100 वाहनों को नई कंपनी के आने के साथ ही पांच वर्ष में बदला जाना था। नई कंपनी के चयन में चार वर्ष की देरी हो चुकी है, इस कारण वाहनों की हालत खराब है।

अधिकतर वाहन तीन लाख किमी से अधिक चल चुके हैं।

घटनास्थल की जीपीएस लोकेशन बताने वाले एमडीडी बाक्स वाहनों में खराब हो चुके हैं।

1000 वाहनों में से 100 से 150 हमेशा खराब रहते हैं। ऐसे में लोगों को पुलिस सहायता मिलने में देरी होती है।

अपराधियों ने लड़की की आवाज में बात कर 150 लोगों से ठगे 13 लाख, न्यूड वीडियो बना लेते थे*

इंदौर। अनजान लड़कियों से चैटिंग के शौकीन जमकर ठगा रहे हैं। अपराधी अश्लील चैटिंग कर उनकी जेब खाली करवा रहे हैं। पिछले साल 158 लोगों ने 13 लाख रुपये की धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज करवाई है। अपराधी वाइस चेंजर से लड़कियों की आवाज में बात करते हैं। ठगी के शिकार होने वालों में छात्र, व्यापारी और निजी कंपनी के कर्मचारी शामिल हैं। एडिशनल डीसीपी (अपराध) राजेश दंडोतिया ने बारे में विस्तार से जानकारी दी।

लड़कियों-महिलाओं की सुंदर फोटो से देते हैं लालच

दंडोतिया के मुताबिक, सोशल मीडिया पर टिंडर, बंबल, हैपन आइल, एडवेंचर सीकिंग, बद्दू, जूस्क, वन्स, हगल, द लीग, आक्यूपिड और लेस्ली जैसे डेटिंग-चैटिंग एप उपलब्ध हैं।

इन पर लोग लड़कियों और महिलाओं की सुंदर फोटो देख कर आसानी आकर्षित हो जाते हैं। वो यह नहीं समझते हैं कि पुरुष ही वाइस चेंजर एप के जरिए उनसे लड़की की आवाज में बात कर रहा है।

कईं दिनों की चैटिंग के बाद पुरुष ठग पर विश्वास करने लगता है। वह घर-परिवार, दोस्त-रिश्तेदारों के साथ-साथ दिनचर्या भी साझा करने लगता है। ठग भी देखभाल करने का अभिनय कर खुद को अच्छा पार्टनर बताने की कोशिश करता है।

पुरुष को लगता है कि उसको अच्छा पार्टनर मिला है। अचानक ठग उस पर नाराज हो जाता है। वह किसी अन्य महिला से चैटिंग करने का आरोप लगा कर पुरुष से सोशल मीडिया अकाउंट का आईडी पासवर्ड ले लेता है।

इससे पुरुष को लगता है कि महिला मित्र उसकी केयर कर रही है और वह भरोसे में आकर संपूर्ण जानकारी दे देता है। ठग पहले मेडिकल इमरजेंसी बता कर रुपये मांगता है। फिर चैटिंग के दौरान निर्वस्त्र कर उसका वीडियो बना लेता है।

आरोपी पुरुष के अकाउंट पर ही फोटो और वीडियो अपलोड करने दी धमकी देकर रुपये मांगता है।

एडिशनल डीसीपी के मुताबिक, पिछले साल साइबर सेल के समक्ष 158 शिकायतें पहुंची है। इसमें छात्र, व्यापारी और दुकानदार शामिल हैं।

सभी शिकायतों में 13 लाख रुपये से ठगी हुई है। हालांकि 37 प्रतिशत राशि पुलिस लौटा चुकी है। पुलिस ने लोगों से अलर्ट रहने और सोशल मीडिया पर अनजान लोगों से बात करते समय सावधान रहने की सलाह दी है।

क्राइम ब्रांच अफसर बनकर रुपये मांगते हैं साइबर अपराधी

वीडियो बनाने के बाद पीड़ित के पास फर्जी क्राइम ब्रांच अफसर कॉल लगाते हैं। उस पर महिला के साथ वीडियो बनने और यौन शौषण का आरोप लगाया जाता है। पीड़ित गिरफ्तारी और बदनामी के डर से रुपए देने के लिए तैयार हो जाता है। एडीसीपी के मुताबिक, कई लोग तो रुपये गंवा कर भी बदनामी के डर से शिकायत नहीं करते हैं।

 

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