आध्यात्ममंदसौरमध्यप्रदेश

घर परिवार में आपसी सामंजस्य, प्रेम बनाये रखने से ही सुख मिलेगा


नरसिंहपुरा में आयोजित श्री हनुमंत कथा के पंचम दिवस पं. दिलीपजी व्यास ने कहा


मन्दसौर। 29 दिसम्बर से 4 जनवरी तक नरसिंहपुरा स्थित कुमावत धर्मशाला में सात दिवसीय संगीतमय श्री हनुमंत कथा का आयोजन हो रहा है। इस कथा में  परम पूज्य हनुमान भक्त पं. दिलीपजी व्यास प्रतिदिन दोप. 1 से सायं 4 बजे तक हनुमंत कथा धर्मालुजनों को श्रवण कर रहे है। हनुमंत कथा केा श्रवण करने के लिये नरसिंहपुरा ही नहीं अपितु पूरे मंदसौर नगर में धर्मालुजनों की अपार संख्या कथा श्रवण करने आ रही है। हनुमंत कथा के पंचम दिवस गुरूवार को प.पू. दिलीपजी व्यास ने हनुमान जन्म के बाद की कथा श्रवण कराते हुए बाल स्वरूप में हनुमानजी की लीलाओं का श्रवण कराया। आपने धर्मसभा में कहा कि श्री हनुमानजी बाल्यावस्था से ही चंचल स्वभाव के थे। वानर राज केसरी व माता अंजना की संतान पर जन्म से ही पवन देव की कृपा रही इसी कारण उन्हें कई देवियां शक्तियां जन्म से ही प्राप्त थी। श्री हनुमानजी की इसी चंचलता के कारण कई बार असहज स्थितियां भी बन गई थी। उन्हें ऋषि मुनियों का श्राप मिला था कि वे अपनी सभी शक्तियां खो देंगे लेकिन यदि उन्हें शक्तियों का स्मरण कराया जायेगा तो उन्हें वे शक्तिया पुनः मिल जायेंगी। इसी कारण श्री हनुमानजी ने लंगा विजय के दौरान वानरों के द्वारा उन्हें शक्तियों का स्मरण कराने पर उन्होंने अद्भुत वीरता दिखाई।
प.पू. श्री दिलीपजी व्यास ने कहा कि भगवान श्रीराम व उनके भाईयों लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न की बाल लिलाये भी अयोध्या में हो रही थी। राजा दशरथ की चारो संताने अपनी तीनों माताओं कोशल्या, सुमित्रा एवं केकयी की ममतामय छाव मे आनंदपूर्वक बड़ी हुई। भगवान राम व उनके परिवार में जो आपसी सामंजस्य था वह अद्भुत था। चार भाइयों में अटूट प्रेम था। उनकी मातायें भी सगी बहनों की भांति अयोध्या में प्रेमपूर्वक रहती थी। तीनों रानियों में कोई प्रतिस्पर्धा बैर नहीं था जब यह स्थिति तो अयोध्या का राजमहल स्वर्ग की भांति खुशहाल था। जीवन में यदि हमें स्वर्ग भोगना है तो घर परिवार में आपसी सामंजस्य प्रेम बनाये रखना जरूरी है। जब अलग अलग माताओं की संतान एक साथ प्रेमपूर्वक रहती है तो माता पिता का जीवन आनंदमय होता ही है। लेकिन संतों में  प्रतिस्पर्धा बैर हो तो माता पिता को दुख अनुभव होता है। यदि पारिवारिक सुख देना है तो राम के वनवास के पूर्व की कभा को देखे और सुने तब आपको मालूम पड़ेगा कि घर परिवार में खुशहाली लाना है तो प्रेमपूर्वक आपसी सामंजस्य से रहना जरूरी है।
इन्हांेंने लिया पौथी पूजन का धर्मलाभ- श्री  हनुमंत कथा के चतुर्थ दिवस बुधवार की शाम भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अनिल कियावत, मंदसौर कमर्शियल बैंक अध्यक्ष विनय दुबेला, समाजसेवी ओ.पी. वर्मा, पुष्पेन्द्र भावसार, डॉ. रविन्द्र पाण्डेय, प्रवीण मण्डलोई, गायत्रीप्रसाद शर्मा, राजनारायण लाड़, विनोद मेहता, सुभाष गुप्ता, विकास दशोरा, शुभम कामराज, विश्वास दुबे, पार्षद गोवर्धन कुमावत, राजेश सोनी ऐरावाला, समाजसेवी बाबूलाल चौहान, अम्बालाल चौहान, राजू कहार, दिलीप कहार, राजाराम तवर, बंशीलाल टांक, गोविन्द नागदा, कमलेश नागदा, विरेन्द्र भट्ट, प्रकाश कल्याणी नटवर पारीख, रमेश टिटवानिया, पं. रणजीत, मुकेश चनाल पटेल, रूपनारायण मोदी, राजेन्द्र चाष्टा, रविन्द्र जादौन, लक्ष्मीनारायण टांक, आनंदीलाल कुरारिया, रामचन्द्र हरवा, राजू नागदा, मुकेश आर्य, ब्रजेश मारोठिया, राजेश चौहान, शंभूसेन राठौर, शशि झलोया, प्रेमलता वरदीचंद कुमावत आदि ने पौथी की आरती की। कथा के पंचम दिवस गुरूवार को नपाध्यक्ष रमादेवी गुर्जर, पार्षदगण गरिमा भाटी, भावना पमनानी, गोवर्धन कुमावत, वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश जोशी, प्रकाश सिसौदिया, महावीर जैन, लोकेश पालीवाल, विजयेन्द्र फांफरिया, देवेन्द्र मोर्य, संजय भाटी, शंभुसेन राठौर, युवा नेता भानुप्रतापसिंह सिसौदिया, पिंकेश चौरड़ियश महेश जुनवाल, पूज्य सिंधी जनरल पंचायत के अध्यक्ष वासुदेव सेवानी, महामंत्री राजेश चाहुजा, समाजसेवी नन्दूभाई आडवानी, दृष्टानंद नैनवानी, होटल व्यापारी  संघ के यशवंत भावसार, दिलीप अग्रवाल, प्रकाश पालीवाल, कैलाश पालीवाल, अनिल अग्रवाल, पूर्व पार्षद कांजी पटेल, समाजसेवी गौरव सोनी, सुनील योगी आदि ने भी पौथी पूजन किया। पंचम दिवस की कथा में प.पू. श्री रामकिशोरदासजी महाराज तीन छत्री बालाजी का भी सानिध्य रहा। उनका कथा आयोजकों द्वारा सम्मान किया गया।

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