भोपालमध्यप्रदेश

मध्यांचल ग्रामीण बैंक होगा खत्म, मध्यप्रदेश ग्रामीण बैंक में होगा विलय

 

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भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने ‘एक राज्य, एक ग्रामीण बैंक’ की नीति के तहत वह क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को एकीकृत करेगे, जिसके कारण मध्यप्रदेश समेत 12 राज्यों के 15 बैंकों का वजूद हो जाएगा खत्म।

केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने मध्यप्रदेश सहित 12 राज्यों में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको के विलय की तैयारी कर ली है। इसके तहत 15 बैंकों का वजूद खत्म होने जा रहा है। ‘एक राज्य, एक ग्रामीण बैंक’ की नीति के तहत वह क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को एकीकृत करेंगे। इसमें मध्यप्रदेश के दो बैंक प्रभावित होने जा रहे हैं। मध्यांचल ग्रामीण बैंक और मध्यप्रदेश ग्रामीण बैंक का एकीकरण किया जाएगा।

देखा गया कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की शाखाएं तो अधिक हैं परन्तु गुणवत्ता में अपेक्षित सुधार नहीं है। ऐसे में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों व्यय को न्यूनतम करने,पूंजी आधार और परिचालन क्षेत्र को बढ़ाने तथा उनके जोखिम को बढ़ाने में सक्षम बनाने के उद्देश्य से इनके एकीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है। तीन चरणों के एकीकरण के दौरान क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की संख्या को 196 से घटा कर 43 तक ले आया गया है। अब इसके चौथे चरण की प्रक्रिया प्रारंभ की जा रही है।उसमें क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की संख्या 43 से घट कर 28 हो जाएगी।

इस प्रक्रिया के संबंध में वित्त मंत्रालय ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के प्रायोजक बैंकों के चेयरमैन, एमडी और सीईओ को सोमवार को पत्र के जरिए सूचित करते हुए 20 नवंबर तक टिप्पणी आमंत्रित की है।

मध्यप्रदेश के दो बैंक मध्यांचल ग्रामीण बैंक (प्रायोजक बैंक एसबीआई) और मध्यप्रदेश ग्रामीण बैंक (प्रायोजक बैंक बैंक आफ इंडिया) का एकीकरण होगा। इसमें प्रस्तावित विलय मध्यांचल ग्रामीण बैंक का होगा। जिसके बाद प्रदेश में मध्यप्रदेश ग्रामीण बैंक संचालित होगा जिसका प्रायोजक बैंक ऑफ इंडिया होगा।

अन्य जिन राज्यों में बैंकों का एकीकरण होना है उनमें आंध्र प्रदेश के चार बैंकों का एकीकरण होना है। उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में तीन-तीन बैंकों का विलय होना है। बिहार, गुजरात, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उड़ीसा, राजस्थान, तेलंगाना राज्यों में दो-दो बैंकों का एकीकरण किया जाकर हर राज्य में एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक स्थापित करना है।

1976 में हुई थी स्थापना
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) की स्थापना 1976 के तहत की गई थी। बैंकों को खोलने का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे किसानों, कृषि मजदूरों, कारीगरों को ऋण और अन्य सुविधाएं प्रदान करना था। 2015 में अधिनियम में संशोधन किया गया। संशोधन के बाद बैंकों को केन्द्र, राज्य और प्रायोजक बैंकों के अलावा अन्य स्रोतों से पूंजी जुटाने की अनुमति दी गई। केंद्र की वर्तमान में आरआरबी में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है। 35 प्रतिशत और 15 प्रतिशत हिस्सेदारी क्रमशः संबंधित प्रायोजक बैंकों और राज्य सरकारों के पास है।

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