Uncategorizedकृषि दर्शनमंदसौरमध्यप्रदेश

90 किलो प्रति 10 आरी के मान से सीपीएस में डोडे देने वाले किसान कर सकेंगे इस बार लूणी चिरनी

सीपीएस में बेहतर प्रदर्शन करने वालों को मिलेगा लाभ

नीमच मंदसौर संसदीय क्षेत्र के सांसद सुधीर गुप्ता ने बताया कि नई अफीम नीति 2024-25 में सरकार ने सीपीएस में बेहतर प्रदर्शन करने वाले किसानों को दीपोत्सव का उपहार दिया है।

नीमच-मंदसौर संसदीय क्षेत्र के सांसद सुधीर गुप्ता ने बताया कि देश की राजधानी दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अफीम पॉलिसी 2024-25 पर सोमवार को हस्ताक्षर कर दिए है। इस बार अफीम पॉलिसी में तीन प्रमुख बिंदुओं को शामिल किया है। इसमें उन सीपीएस वाले अफीम किसानों को लुनी चिरनी में शामिल किया गया है, जिन्होंने बीते वर्ष 90 किलो प्रति 10 आरी के मान से सीपीएस में डोडे दिए थे। वहीं इस नीति में दूसरा प्रमुख बिंदू है, जिन किसानों ने 67.5 किग्रा से उपर प्रति 10 हेक्टेयर औसत दी थी, उन्हें भी लुनी-चिरनी में शामिल किया गया है। जबकि तीसरे बिंदू में सरकार ने उन किसानों को झटका दिया है, जिन्होंने 67.5 के नीचे की औसत दी थी। इन किसानों के एक साल के लिए पट्टे निरस्त किए गए हैं। वहीं लुनी चिरनी में 4.2 किलोग्राम हेक्टेयर से कम अफीम तुलवाने वाले किसानों को भी लुनी चिरनी से हटाकर सीपीएस में पट्टा जारी किया गया है।

10 दिनों से बाहर थी वित्त मंत्री

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पिछले 10 सालों में इस बार अफीम नीति सबसे लेट हुई है। अफीम पॉलिसी के जारी होने में देरी का कारण वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के दिल्ली से बाहर होना सामने आया है। वित्त मंत्री पिछले 10 दिनों से राजधानी में नहीं थी। इसी के चलते नई अफीम नीति में हस्ताक्षर करने पर देरी हुई है। लेकिन अब किसानों का इंतजार भी खत्म हो गया है। आज मंगलवार को अफीम नीति का गजट नोटिफिकेशन भी जारी हो गया है।

इन्हें भी जारी किए पट्टे

वर्ष 1995-96 से अब तक जिन किसानों के पट्टे किसी कारण से निरस्त किए गए थे और जिन्होंने एनडीपीएस एक्ट का उल्लंघन नहीं किया था, उन काश्तकारों को भी सीपीएस पद्धति के तहत 10 आरी का पट्टा जारी किया गया है। वहीं 1995 से 98 तक के जिन किसानों ने 25 किलोग्राम प्रत्येक हेक्टेयर औसत दी थी, यानि 25 एमक्यूवाय उन्हें भी सीपीएस पद्धति में शामिल किया गया है। उस समय 56 से 58 की औसत निर्धारित होती थी।

4 हजार 500 मीट्रिक टन डोडे दे रहे किसान लेकिन 100 मीट्रिक टन का ही हो रहा प्रोसेस

अफीम की खेती से जुड़े जानकारों की मानें तो प्रतिवर्ष सीपीएस पद्धति में अफीम की खेती करने वाले किसान सरकार को करीब 4 हजार 500 मीट्रिक टन डोडे दे रहे हैं। लेकिन सरकार महज 100 मीट्रिक टन डोडों का ही प्रोसेस बजाज हेल्थ केयर के माध्यम से कर पा रही है। सरकार के पास इन डोडों की प्रोसेस करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। यहीं कारण है कि इस बार की अफीम नीति में सरकार ने बड़ा उलटफेर किया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}