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आरसीपी सिंह ने बनाई नई पार्टी ‘आप सबकी आवाज’, बिहार चुनाव में सभी दलों को देंगे चुनौती

आरसीपी सिंह ने बनाई नई पार्टी ‘आप सबकी आवाज’, बिहार चुनाव में सभी दलों को देंगे चुनौती

 

पटना:–

पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ राजनेता आरसीपी सिंह ने अपनी नई राजनीतिक पार्टी ‘आप सबकी आवाज’ (आसा) की घोषणा की है। सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर 31 अक्टूबर को पटना में हुए एक समारोह में उन्होंने पार्टी का औपचारिक उद्घाटन किया। आरसीपी सिंह, जो लंबे समय तक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी रहे, जदयू से अलग होने और भाजपा में शामिल होने के बाद अब अपनी खुद की पार्टी लेकर आए हैं। सिंह का कहना है कि उनकी पार्टी का उद्देश्य जनता की वास्तविक समस्याओं को सुनना और उनके मुद्दों को राष्ट्रीय स्तर पर उठाना है।

पार्टी का नाम और झंडा

आरसीपी सिंह ने अपनी पार्टी का नाम ‘आप सबकी आवाज’ रखा है, जिसे संक्षिप्त रूप में ‘आसा’ कहा जाएगा। पार्टी के झंडे में तीन रंग शामिल किए गए हैं – हरा, पीला, और नीला। झंडे में सबसे ऊपर हरा रंग, बीच में पीला और सबसे नीचे नीला रंग होगा। सिंह ने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग से पार्टी को चुनाव चिह्न मिलने के बाद पीले रंग के हिस्से में काले रंग से पार्टी का लोगो उकेरा जाएगा। झंडे के रंगों का चुनाव सांकेतिक रूप से उनकी पार्टी की विचारधारा और दृष्टिकोण को दर्शाने के लिए किया गया है।

पार्टी की विचारधारा और भविष्य की योजना

आरसीपी सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी का उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत संगठन बनाना है। उन्होंने बूथ स्तर तक पार्टी को ले जाने का संकल्प लिया है। जदयू के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने पार्टी को बूथ स्तर तक ले जाने का प्रयास किया था, और उसी अनुभव का उपयोग अब अपनी पार्टी के विस्तार में करेंगे। सिंह ने जदयू के संगठन विस्तार में अपनी अहम भूमिका का जिक्र करते हुए इस नई पार्टी को भी इसी प्रकार मजबूत करने का संकल्प लिया है।

राजनीतिक सफर और नीतीश कुमार से दूरियाँ

कुर्मी जाति से ताल्लुक रखने वाले आरसीपी सिंह का नीतीश कुमार के साथ करीब 24 वर्षों का नाता रहा है। जदयू में उन्होंने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर भी कार्य किया। नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बनने को लेकर आरसीपी सिंह और ललन सिंह के बीच मतभेद उत्पन्न हो गए थे। इस विवाद ने इतना गंभीर रूप ले लिया कि उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा और नीतीश कुमार ने ललन सिंह को पार्टी की बागडोर सौंप दी। इसके बाद आरसीपी सिंह और नीतीश कुमार के बीच दूरी बढ़ने लगी।

भाजपा में शामिल होने और नए पार्टी गठन का निर्णय

नीतीश कुमार द्वारा 2022 में एनडीए से अलग होकर महागठबंधन में शामिल होने के बाद आरसीपी सिंह ने 2023 में भाजपा का दामन थाम लिया। हालांकि, भाजपा में उन्हें वह सम्मान और राजनीतिक अवसर नहीं मिले जिसकी उन्हें उम्मीद थी। इससे असंतुष्ट होकर उन्होंने अपनी खुद की पार्टी ‘आसा’ का गठन करने का निर्णय लिया। पटना की सड़कों पर ‘टाइगर अभी जिंदा है’ के पोस्टर के साथ उन्होंने अपनी सक्रियता की घोषणा की, और अब अपनी पार्टी के माध्यम से वे राज्य में एक नई राजनीतिक धारा को स्थापित करने की कोशिश करेंगे।

आगामी विधानसभा चुनाव और ‘आसा’ की रणनीति

आरसीपी सिंह ने अपनी नई पार्टी को आगामी बिहार विधानसभा चुनावों से पहले लॉन्च किया है। उनका कहना है कि उनकी पार्टी सभी राजनीतिक दलों के खिलाफ चुनाव लड़ेगी और बिहार की जनता के मुद्दों को प्रमुखता से उठाएगी। सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि वे बिहार की राजनीति में एक नई सोच और नई दिशा लेकर आए हैं।

 

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