मंदसौरमध्यप्रदेश
राष्ट्र और संस्कृति के लिए शास्त्र और शस्त्र दोनों धारण करना पड़ेंगे-गुरूदेव श्री भीमाशंकर शास्त्री
विश्व हिंदू परिषद भालोट प्रखंड दुर्गा वाहिनी का मातृशक्ति मानवंदना यात्रा कार्यक्रम सम्पन्न
मन्दसौर। विश्व हिन्दू परिषद बजरंग दल दुर्गावाहिनी भालोट प्रखण्ड द्वारा मातृशक्ति मानवंदना यात्रा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें प.पू. गुरुदेव श्री भीमाशंकर जी शास्त्री धारियाखेड़ी वाले, विभाग संयोजिका टीना दीदी शर्मा, मातृशक्ति जिला संयोजिका शांति दीदी रावल, जिलाध्यक्ष डॉ प्रवीण मंडलोई, जिला सत्संग प्रमुख कन्हैयालाल धनगर मंच पर उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन दुर्गा वाहिनी जिला संयोजिका वंदना दीदी सेन ने किया मंच पर उपस्थित श्री गुरुदेव व पदाधिकारी द्वारा अहिल्याबाई होलकर, रानी लक्ष्मीबाई, भारत माता व राम दरबार के चित्र पर पुष्पमाला समर्पित कर दीप प्रज्वलित किया। कार्यक्रम में जिला मंत्री हेमंत बुलचंदानी, जिला संयोजक अनिल धनगर भी उपस्थित रहे।
दुर्गा वाहिनी विभाग संयोजिका टीना दीदी शर्मा द्वारा दुर्गा वाहिनी मातृ शक्ति कार्यक्रम में पधारे सभी दुर्गा वाहिनी मातृशक्ति का मार्गदर्शन किया गया मंच से कहा गया की शास्त्र के साथ शस्त्र की शिक्षा लेना आज के समय की मांग है। बहने रानी दुर्गावती और रानी अहिल्याबाई से प्रेरणा लेकर शस्त्रों की शिक्षा प्राप्त कर आत्मनिर्भर बने। हमारे हिंदू धर्म की संस्कृति, परंपराओं, संस्कारों मान बिंदुओं की रक्षा के लिए और समरसता का भाव लेकर हमें समाज में एकजुट होकर आगे आना पड़ेगा। हमारी मातृशक्ति और बहनों को आत्म सुरक्षा और आत्म स्वाभिमान से सुसज्जित होकर समाज में फैलाएं जा रहे षड्यंत्र का सामना करना होगा।
गुरुदेव श्री भीमाशंकर शास्त्री ने दुर्गा वाहिनी मातृशक्ति का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि शस्त्र के अभाव में हम राष्ट्र को ना खो दें और शास्त्र के अभाव में हम संस्कृति को ना खो दे इसलिए हमको हमारे राष्ट्र और संस्कृति के लिए शास्त्र और शस्त्र दोनों धारण करना पड़ेंगे। हम बटे थे इस कारण हमारे ऊपर विभिन्न आक्रांता आकर शासन करके गए हैं। बटोगे तो कटोगे इसलिए हम वर्ग भेद को मिटाते हुए एक दूसरे के प्रति प्रेम श्रद्धा बढ़ाकर स्नेह से रहे। आपने कहा कि बाजीराव पेशवा 41 युद्ध लड़े और एक भी युद्ध वह नहीं हारे ऐसे अजय योद्धा के नाम से एक भी प्रतीक चिन्ह नहीं है पर जो आक्रांता हार गए उनके नाम से भारत में कई प्रतीक चिन्ह आपको मिल जाएंगे। चीन स्वतंत्र होने के 1 वर्ष तक परतंत्रता के चिन्हों को हटाता रहा और मैं आपसे आज आव्हान करता हूं कि आप उन प्रतीक को हटाकर अपनी भारतीय संस्कृति का मान और गौरव बढ़ाओ। जैसे शाही सवारी यह भी एक उर्दू शब्द था इसके लिए हमने आव्हान किया और और उसका राजसी सवारी नाम हुआ। एक लड़ाई हम जीते हैं पर यहीं पर हमको रुकना नहीं है एक वर्ष में कम से कम दो परतंत्रता के प्रतीकांे को मिटाने का संकल्प ले और उसको मिटाकर अपनी भारतीय संस्कृति का मांन और गौरव बढ़ाओ। आपने कहा कि सभी हिंदू अपने दक्षिण पश्चिम में 51 पत्थर छत के ऊपर रखकर अपने नैऋत्य कोण को भारी रखें जिससे वास्तु दोष का समाधान होगा क्योंकि नैऋत्य कोण अगर भारी हो वास्तु दोष का समाधान हो जाता है। आपने कहा कि अमन चैन से रहना है तो गौ हत्या को बंद करो। आपने कहा हम किसी भी विचारधारा में रहे कहीं पर भी हम रहे पर जब हिंदुत्व का मामला हो जहां पर संस्कृत का मामला हो तब एक भगवा ध्वज के नीचे हम खड़े रहें जिससे हमारा मान और गौरव बढ़ेगा। अंत में आभार दुर्गा वाहिनी मातृशक्ति नगर समिति गुराडिया देदा ने माना।