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सीतामऊ के महालक्ष्मी मंदिर में दर्शनार्थियों का दीपावली के दिन लगा रहता तांता 


श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है यह मंदिर
सीतामऊ- नगर ही नहीं वरन जिले के एकमात्र सीतामऊ स्थित महालक्ष्मी मंदिर है जहां पर प्रतिवर्ष दिपावली के त्योहार पर लक्ष्मी पूजन के दिन श्रद्धालुओं  का तांता लगा रहता है। यहां पर इस वर्ष भी भक्तों और दर्शनार्थियों द्वारा दिनभर महालक्ष्मी के पूजन- अर्चन व दर्शन का क्रम जारी रहेगा।

धर्म कि नगरी छोटी काशी में पांच मंदिर बाहर से आकर स्थापित हुए –

मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि प्राचीन गुप्तकाल में यति जो भगवान के विशेष भक्त होते थे, उनके द्वारा अपने इष्ट देवता कि एकांत स्थान पर पूजा अर्चना कि जाती।जब उनको अपने इष्ट देवता कि भक्ति में बाधा आती तो वे अपनी देवीय शक्ति ईष्ट देव के आशीर्वाद से यति जन आकाश मार्ग से तीन मंदिर उड़ाकर ले जाए जा रहे थे इन मंदिरों को सीतामऊ क्षेत्र में ही विराजित साधु ने अपनी शक्तियों को उपयोग कर इन्हें यहीं उतार लिया था। सीतामऊ नगर प्राचीन समय में धर्म कि नगरी छोटी काशी के नाम से जानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि यहां लगभग 300 मंदिर देव स्थान है। वहीं इनमें पांच मंदिर ऐसे हैं जो बाहर से यति नामक भक्तों द्वारा स्थापित किए गए हैं। इन मंदिरो में राम द्वारा के पास व्यास घाटी स्थित महालक्ष्मीजी मंदिर, राधा-बावड़ी स्थित शिव मंदिर, नांदिया की बावड़ी स्थित विष्णु शिव परिवार मंदिर, गणपति चौक स्थित शिव मंदिर महावीर चौक स्थित भगवान वैद्यनाथ मंदिर शामिल है।

पोषाख चढ़ाने के लिए नो साल करना पड़ेगा इंतजार-

मंदिर पूजारी प्रमोद मोड़ ने बताया कि तीनो मंदिरों की खासियत यह है कि इनकी साइज व बनावट एक जैसी है। जिले में केवल एकमात्र महालक्ष्मीजी का मंदिर सीतामऊ में ही स्थित है।। धनतेरस पर्व पर भी मंदिर में श्रद्धालुओं की सुबह से देर रात भीड़ लगी रही। महाआरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।

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